यूपी में प्रचंड जीत के बाद राज्यसभा में भाजपा की धमक, पीएम मोदी के हाथ मजबूत
उत्तर प्रदेश के चुनाव में बंपर जीत के बाद राज्यसभा में भाजपा की जबरदस्त धमक, पीएम मोदी की ताकत में जबरदस्त इजाफा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रचंड जीत उसे प्रदेश में 14 साल बाद ना सिर्फ सत्ता में लाने जा रही है बल्कि केंद्र में भी भाजपा की दशा और दिशा को पूरी तरह से बदलने जा रही है। लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के बाद मोदी सरकार को राज्यसभा में विपक्ष के विरोध का कई मामलों में सामना करना पड़ता था, जिसके चलते कई विधेयक और बिल राज्यसभा में अटक गए, लेकिन यूपी में जबरदस्त जीत के बाद भाजपा राज्यसभा में बहुमत हासिल करने की ओर बढ़ रही है जोकि पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहां से तकरीबन 31 राज्यसभा उम्मीदवार राज्यसभा पहुंचते हैं, इस लिहाज से भाजपा राज्यसभा में काफी ताकत हासिल करने जा रही है। मौजूदा समय में भाजपा के पास राज्यसभा में कुल 53 सीटें हैं, लेकिन यूपी की जीत के चलते अब भाजपा कांग्रेस के उम्मीदवारों को सदन से बाहर का रास्ता दिखाएगी और राज्यसभा में और मजबूती हासिल करेगी।
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राज्यसभा में बढ़ी मोदी की ताकत
उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 31 राज्यसभा सांसद राज्यसभा पहुंचते हैं, 31 में से मौजूदा समय में सपा के पास 18, बसपा के पास 6, निर्दलीय के पास 1 और 3-3 भाजपा व राज्यसभा के सांसद हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश में 300 से अधिक सीटें जीतने के बाद पार्टी प्रदेश में 8 या उससे अधिक सीटें हासिल कर सकती है। राज्यसभा में सदस्य को पहुंचाने के लिए 34 वोटों की आवश्यकता होती है, इस लिहाज से भाजपा 8 राज्यसभा सांसदों को यूपी से भेज सकती है, वहीं अन्य दलों के विधायकों के समर्थन से वह 9वें सदस्य को भी राज्यसभा में भेज सकती है।
मायावती का संसद पहुंचना मुश्किल
वहीं कांग्रेस, सपा और बसपा के लिए यूपी के चुनाव अभिशाप साबित होने जा रहे हैं, अगर तीनों दलों को मिल रही सीटों पर नजर डालें तो ये मुश्किल से तीन सीटें ही राज्यसभा में हासिल कर सकते हैं, वहीं सबसे बड़ी दिक्कत बसपा के सामने हैं, मुमकिन है कि बसपा एक भी उम्मीदवार को राज्यसभा नहीं पहुंचा पाए, ऐसे में लोकसभा चुनाव हारने के बाद यूपी के चुनावों में दुर्दशा के चलते मायावती का राज्यसभा में भी जाना मुश्किल लगता है। हालांकि अगर वह अन्य दलों या निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल करती हैं तो वह राज्यसभा पहुंच सकती हैं, ऐसें में कहा जा सकता है कि मायावती को संसद में पहुंचने के लिए दूसरे विधायकों पर निर्भर होना पड़ेगा।
अमित शाह का बादशाहत बरकरार
दिल्ली और बिहार में भाजपा की हार के बाद भाजपा के चुनावी रणनीतिकार अमित शाह की काबिलियत पर बड़ा सवाल खड़ा होने लगा था, लेकिन यूपी में शाह ने एक बार फिर से अपनी बादशाहत को सिद्ध करके दिखाया है, जिस तरह से उन्होंने प्रदेश में गैर यादव और अति पिछड़ी जातियों को भाजपा के लिए लामबंद करने की रणनिति बनाई उसने उन्हें एक बार फिर से सबसे बड़े चुनावी रणनीतिकार के रूप में स्थापित करने का काम किया है। यूपी के चुनाव के बाद शाह की ना सिर्फ पार्टी बल्कि शीर्ष नेतृत्व में पकड़ और मजबूत होगी।
ब्रांड मोदी मजबूत
लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश के सबसे लोकप्रिय नेता के तौर पर उभरे, इसके बाद कई राज्यों में भाजपा को जीत हासिल हुई, लेकिन जिस तरह से बिहार व दिल्ली में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा उसके बाद माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता अब धीरे-धीरे कम होने लगी है। लेकिन यूपी में प्रचंड जीत के बाद ब्रांड मोदी एक फिर से काफी मजबूत होगा।
विपक्ष कमजोर
लोकसभा में बंपर जीत के बाद मोदी सरकार को समय के साथ कई मुद्दों पर विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ा, नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, महंगाई, असहिष्णुता जैसे मुद्दों पर विपक्ष ने मोदी सरकार को ना सिर्फ सड़क बल्कि संसद में भी घेरने का काम किया, लेकिन जिस तरह से यूपी में भाजपा को जबरदस्त जनसमर्थन प्राप्त हुआ है उसे देखने के बाद विपक्ष को मोदी सरकार के खिलाफ अपने तेवरों को बदलना पड़ेगा।