कोरोना से जान गंवाने वालों की लगातार जल रहीं चिताएं, श्मशान की चिमनी पिघलकर शवयात्रा में गिरी
सूरत। गुजरात में सूरत श्मशानों पर कोरोना से जान गंवाने वालों का आए रोज बड़ी संख्या में अंतिम संस्कार हो रहा है। श्मशान और कब्रिस्तान चौबीसों घंटे शवों को निपटाने में सक्रिय हैं। सूरत के कुरुक्षेत्र श्मशान (केसी) में शवों को लगातार फूंकने की वजह से उसकी चिमनी गर्म होकर पिघल गई। आग के लगातार दवाब के चलते श्मशान की चिमनी पिघली और एक तरफ को झुक गई। ऐसे में वह नीचे गिरी तो कई जिंदगियां खत्म हो सकती थीं। गनीमत रही कि ऐसा होते समय कोई चपेट में नहीं आया।
सूरत में कुछ दिन पहले भी कई श्मशानों पर ऐसी ही स्थिति देखी गई। श्मशान के एक कर्मी ने कहा- 'क्योंकि, आग की लपटों से वह लाल हो जाती है और शवों को निरंतर जलाने की वजह से उसकी लोहे की ग्रिल तक पिघल रही हैं। ऐसे में श्मशान में काम कर रहे लोग ज्यादा खतरा झेलते हैं। कुछ श्मशान-घाटों पर भट्टियों के धातु के ढांचे पिघलने या टूटने लगे हैं। क्योंकि शवों की संख्या काफी ज्यादा होती है और उन्हें यहां चौबीसों घंटे फूंका जा रहा है।
कुरुक्षेत्र श्मशान पर मौजूद कर्मियों के मुताबिक, जब अत्यधिक दवाब के चलते चिमनी क्षतिग्रस्त हुई तो धुएं का गुबार उठने लगा। जिससे मजदूरों को बगल की चिमनी पर धुआँ निकालने के लिए मजबूर होना पड़ा। श्मशान के केंद्र में दाह संस्कार की प्रक्रिया मौजूदा सुविधाओं के साथ जारी रही और क्षतिग्रस्त चिमनी को ठीक करने का काम शुरू किया गया।
श्मशान के संचालक के अनुसार, कुरुक्षेत्र श्मशान में रोज लगभग 60 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, जो सूरत के जहांगीरपुरा इलाके में स्थित है।