भारत का पहला टी-20 कप्तान कौन था ? जीत भी दिलायी तब भी छीन ली थी कमान
ये अजीब इत्तेफाक है कि भारतीय चयनकर्ताओं ने जिस पावर हिटर बल्लेबाज को पहले टी-20 इंटरनेशनल में कप्तान बनाया था उसे फिर नेतृत्व का मौका नहीं दिया।
नई दिल्ली, 29 सितंबर: ये अजीब इत्तेफाक है कि भारतीय चयनकर्ताओं ने जिस पावर हिटर बल्लेबाज को पहले टी-20 इंटरनेशनल में कप्तान बनाया था उसे फिर नेतृत्व का मौका नहीं दिया। तब भारत को टी-20 खेलने का कोई अनुभव नहीं था। फिर भी उसने अपनी कप्तानी भारत को पहले ही मैच में जीत दिलायी थी। 29 गेंदों पर 34 रन की तेज पारी भी खेली थी। फिर भी चयनकर्ताओं ने उसे टी-20 में कप्तानी का दोबारा मौका नहीं दिया।
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नजफगढ़ के नवाब हैं भारत के पहले टी-20 कप्तान
तब भारतीय क्रिकेट बोर्ड में जबर्दस्त गुटबाजी चल रही थी। बहुत कुछ जोड़तोड़ में स्वाहा हो गया। जी हां ! यहां 'नजफगढ़ के नवाब' वीरेन्द्र सहवाग की बात हो रही है। वे किसी अंतर्राष्ट्रीय टी-20 मैच में भारत के पहले कप्तान हैं। भारत ने अपना पहला टी-20 इंटरनेशनल 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ही खेला था। तब वीरेन्द्र सहवाग को महेन्द्र सिंह धोनी के ऊपर तरजीह दी गयी थी। सहवाग ने अपनी कप्तानी में पहला टी-20 मैच जीत कर भारत के लिए शानदार शुरुआत की थी। इस मैच में सहवाग कप्तान थे और महेन्द्र सिंह धोनी विकेटकीपर। यह मैच भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच जोहांसबर्ग में 1 दिसम्बर 2006 को खेला गया था। तब भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 6 विकेट से हराया था।
भारत के डेब्यू टी-20 में कार्तिक मैन ऑफ द मैच बने थे
भारत के डेब्यू टी-20 के साथ एक और खास बात जुड़ी हुई है। दिनेश कार्तिक मैन ऑफ द मैच के पुरस्कार से नवाजे गये थे। उन्होंने पांचवें नम्बर पर बल्लेबाजी की थी और 28 गेंदों पर नाबाद 31 रन बना कर मैच भारत के पक्ष में फिनिश किया था। जब कि महेन्द्र सिंह धोनी इस मैच में जीरो पर आउट हो गये थे। 16 साल बाद वही कार्तिक आज उसी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अभी भी खेल रहे हैं। तब कार्तिक और महेन्द्र सिंह धोनी के बीच कांटे की होड़ चल रही थी कि भारतीय टीम का विकेटकीपर कौन बनेगा ? दोनों ही बेहद चुस्त विकेटकीपर थे। दोनों की बैटिंग भी अच्छी थी और हार्ड हिटर थे। चयनकर्ताओं को मजबूरी में दोनों को टीम में शामिल करना पड़ता था। लेकिन एक साल के बाद धोनी, कार्तिक से आगे निकल गये। फिर तो 2007 में एक नया इतिहास बना दिया।
कैसे मिली कप्तानी ?
2006 में भारतीय क्रिकेट संक्रमणकाल से गुजर रहा था। ग्रेग चैपल विवाद के कारण सौरव गांगुली की स्थिति कमजोर हो गयी थी। उन्हें कप्तानी से हटा कर राहुल द्रविड़ को नेतृत्व सौंपा गया था। 2006 में जिस भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया था उसके कप्तान राहुल द्रविड़ थे। वे टेस्ट और एकदिवसीय मैचों में भारत के कप्तान थे। सौरव गांगुली को टेस्ट टीम का हिस्सा तो बनाया गया था लेकिन सीमित ओवरों की टीम से वे बाहर थे। एक साल पहले 2005 में ही टी-20 क्रिकेट का आगाज हुआ था। इस दौरे में भारत को एक टी-20 इंटरनेशनल भी खेलना था। इस फॉरमेट में भारत ने पहले कभी क्रिकेट नहीं खेली थी। ये नये मिजाज और अंदाज का खेल था। ताबड़तोड़ बैटिंग इसकी पहली जरूरत थी। अब सवाल आया कि भारतीय टी-20 टीम की कप्तानी कौन करेगा ? द्रविड़ की बैटिंग टी-20 के अनुकूल न थी। गांगुली टीम से बाहर थे। सचिन तेंदुलकर को कप्तानी में कोई रुचि नहीं थी। तब वीरेन्द्र सहवाग और धोनी पर नजर गयी। काफी सोच विचार कर चयनकर्ताओं ने वीरेन्द्र सहवाग को कप्तानी सौंप दी। द्रविड़ की गैरहाजिरी में वे पांचवें वनडे में भी कप्तानी कर चुके थे।
पहले टी-20 में भारत का प्रदर्शन
1 दिसम्बर 2006 को भारत ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला टी-20 मैच खेला। दक्षिण अफ्रीका के कप्तान ग्रीम स्मिथ ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी चुनी। लेकिन उनका फैसला गलत साबित हुआ। जहीर खान, श्रीसंत और अजीत अगरकर की तेज गेंदबाजी के सामने दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज बिल्कुल नहीं चले। 31 के स्कोर पर उनके तीन विकेट गिर गये। जहीर ने स्मिथ और बोसमैन को आउट किया और अगरकर ने हर्शल गिब्स को। ऑलराउंडर एल्बी मॉर्कल ने सबसे अधिक 27 रन बनाये थे। एबी डिविलियर्स को अगरकर ने सिर्फ 6 रनों पर बोल्ड कर दिया था। दक्षिण अफ्रीका 20 ओवर में 9 विकेट के नुकसान पर सिर्फ 126 रन ही बना सका था। जहीर, अगरकर को 2-2, श्रीसंत, तेंदुलकर और हरभजन सिंह को एक-एक विकेट मिला था।
भारत की शानदार बैटिंग
भारतीय टीम 127 के टारगेट को पाने के लिए मैदान पर उतरी। कप्तान वीरेन्द्र सहवाग ने सचिन तेंदुलकर के साथ पारी शुरू की। तेंदुलकर 12 गेंदों पर 10 रन बना कर आउट हो गये। तब सहवाग ने दिनेश मोंगिया के साथ पारी को जमाया। दोनों ने 43 रनों की साझेदारी की। सहवाग ने 29 गेंदों पर 34 रन बनाये जिसमें 5 चौके और एक छक्का शामिल था। सहवाग के आउट होने के बाद बाद धोनी क्रीज पर आये। लेकिन सिर्फ दो गेंद खेले और जीरो पर बोल्ड हो गये। इससे भारत पर दबाव बढ़ गया। तब दिनेश कार्तिक भारत के संकटमोचक बने। उन्होंने 28 गेदों पर नाबाद 31 रन बनाये जिसमें 3 चौके और एक छक्का शामिल था। कार्तिक ने रैना (3) के साथ मिल कर भारत को एक गेंद रहते जीत दिला दी। भारत ने 6 विकेट से इस मैच को जीता। चूंकि मुश्किल वक्त में कार्तिक ने 31 रन बनाये थे इसलिए उन्हें मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला था। यानी पहले टी-20 मैच में भी कार्तिक ने 'फिनिशर' की भूमिका निभायी थी। ये बड़े हैरत की बात है कि इस शानदार जीत के बाद भी सहवाग की कप्तानी टी-20 में आगे नहीं बढ़ी।