सहवाग ने 10 साल बाद तोड़ी अपने सबसे विवादित फैसले पर चुप्पी, IPL क्वॉलिफायर में क्यों मोर्केल को किया था बाहर
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग ने इंडियन प्रीमियर लीग के अपने करियर का आगाज दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) की टीम के साथ किया था, जहां पर वो 2008 से लेकर 2013 तक इस टीम का हिस्सा बने हुए थे। आईपीएल के पहले 5 सीजन के दौरान वीरेंदर सहवाग ने दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम की कमान भी संभाली थी और दो बार अपनी टीम को सेमीफाइनल (2008 और 2009) तक लेकर पहुंचे तो वहीं पर 2012 में प्लेऑफ तक ले जाने का कारनामा भी किया। हालांकि तीनों ही मौकों पर दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम खिताब जीतने को सपना पूरा करने में नाकाम रही।

इतना ही नहीं दिल्ली की टीम आज तक उन 3 टीमों में शुमार है जिन्होंने अब तक दुनिया की सबसे मशहूर टी20 लीग का खिताब नहीं जीता है। इस फेहरिस्त में दिल्ली कैपिटल्स के साथ पंजाब किंग्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम भी शुमार है। इस बीच आईपीएल 2012 में जब दिल्ली की टीम आईपीएल के दूसरे क्वालिफायर में पहुंची तो सहवाग ने एक ऐसा निर्णय लिया जो उनके करियर का सबसे विवादित निर्णय बन गया।
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10 साल बाद सहवाग ने उस फैसले पर तोड़ी चुप्पी
हालांकि उस निर्णय के लगभग 10 साल बाद दिल्ली के पूर्व कप्तान वीरेंदर सहवाग ने इस पूरे मामले पर चुप्पी तोड़ी है और अपने उस फैसले के पीछे का कारण बताया। आईपीएल के दूसरे क्वालिफायर में दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम का सामना एमएस धोनी की चेन्नई सुपरकिंग्स से हुआ था जहां पर उसे 86 रनों से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि इस हार से ज्यादा सहवाग के उस फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया जिसके तहत दिल्ली की टीम ने उस सीजन सबसे ज्यादा विकेट हासिल करने वाले अपने गेंदबाज मोर्ने मोर्केल को प्लेइंग 11 से बाहर बिठा दिया और एक भी मैच नहीं खेले ऑफ स्पिनर सन्नी गुप्ता को मौका दिया।

इस वजह से मोर्केल की जगह सन्नी को दिया मौका
उल्लेखनीय है कि मोर्ने मोर्केल उस सीजन के पर्पल कैप होल्डर रहे थे लेकिन टीम के इस निर्णय ने फैन्स और क्रिकेट जगत के दिग्गजों को हैरान कर दिया। इस विवाद के 10 साल बाद सहवाग ने आखिरकार अपने इस निर्णय को लेकर चुप्पी तोड़ी है और बताया कि उन्होंने यह डिसीजन चेन्नई सुपर किंग्स की टीम में शामिल बायें हाथ के बल्लेबाजों को देखते हुए लिया था क्योंकि उस समय माइकल हसी, सुरेश रैना, एल्बी मोर्केल और रविंद्र जडेजा समेत कई बायें हाथ के बैटर मौजूद थे।

कई बार फेवर में नहीं जाते फैसले
क्रिकबज से बात करते हुए सहवाग ने कहा,'उस वक्त हमारी टीम में एक ऑफ स्पिनर थे जिनका नाम सन्नी गुप्ता था। मैंने उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ सीधे प्लेऑफ में खेलने का मौका दिया क्योंकि मुझे लगा कि उनके पास 3 बायें हाथ के बैटर मौजूद हैं और मैं उन्हें उनके खिलाफ गेंदबाजी कराउंगा। मैंने उन्हें पहला ओवर दिया लेकिन मुरली विजय ने मुझे उनसे पूरी पारी में गेंदबाजी नहीं कराने दी, तो कई बार ऐसा होता है कि जो बदलाव आप करते हैं वो आपके पक्ष में जाते हैं क्योंकि आपकी विपक्षी टीम ने उन्हें देखा नहीं होता है और कोई उनके खिलाफ खेला नहीं होता है।'

महज 3 ओवर में ही सन्नी ने लुटा दिये थे 47 रन
उल्लेखनीय है कि सन्नी गुप्ता उस मैच में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिये काफी महंगे साबित हुए थे और अपने 3 ओवर के स्पेल में 47 रन लुटा दिये थे। गौरतलब है कि 2018 के सीजन के बाद दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम ने अपने नाम को बदलने का फैसला किया और इसे दिल्ली कैपिटल्स कर दिया। दिल्ली कैपिटल्स की टीम तब से लेकर अब तक 4 सीजन खेल चुकी है जिसके पहले दो सीजन में श्रेयस अय्यर ने कमान संभाली और अगले 2 सीजन में ऋषभ पंत ने नेतृत्व किया है। इस दौरान दिल्ली कैपिटल्स की टीम ने 3 बार प्लेऑफ में क्वालिफाई करते हुए एक फाइनल, एक एलिमिनेटर और एक क्वालिफायर खेला है। इस सीजन दिल्ली कैपिटल्स की टीम ने 5वें पायदान पर रहकर अपना सफर खत्म किया।