कमिटमेंट को सलाम! कलाई में फ्रैक्चर हुआ तो हनुमा विहारी ने लेफ्ट हेंडर बनकर एक हाथ से ही थामा बैट
हनुमा विहारी ने जीवटता की मिसाल कायम करते हुए कलाई के फ्रेक्चर के बाद भी बैटिंग जारी और एक हाथ से बल्ला पकड़े हुए बाए हाथ से बल्लेबाजी की जबकि वे एक राइट हैंडर हैं।
आंद्र प्रदेश के बल्लेबाज के बल्लेबाज हनुमा विहारी ने इस बार अलग ही लेवल की प्रतिबद्वता दिखाई है। हनुमा को सिडनी टेस्ट के दौरान चोटिल होने के बावजूद खूंटागाड़ बल्लेबाजी के लिए आज भी याद किया जाता है। तब उन्होंने किसी तरह भारत के लिए मैच ड्रा करा दिया था। वे टेस्ट टीम के मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज भी हैं और अपनी मजबूत तकनीक से गेंदबाजों को काफी परेशान कर चुके हैं। लेकिन इस बार उन्होंने जो किया वह हैरान करने वाला था।
ये है जीवटता
विहारी ने कलाई के फ्रेक्चर के बाद भी बैटिंग की और एक हाथ से बल्ला पकड़े हुए गेंदों का सामना किया। उन्होंने इस दौरान बाए हाथ से बल्लेबाजी की जबकि वे एक राइट हैंडर हैं। ये सब क्रिकेट का नजारा चल रही रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में देखने को मिला जहां आंद्र प्रदेश के कप्तान विहारी ने मध्य प्रदेश के खिलाफ तब बैटिंग करने का फैसला किया जब 9 विकेट गिर चुके थे।
लेफ्ट हैंडर बनकर एक हाथ से बैटिंग की
विहार को आवेश खान की गेंद पर पहली ही दिन कलाई पर चोट लगी जो स्कैन कराने पर फ्रैक्चर के तौर पर निकली। हालाँकि, चोट ने विहारी के टीम के प्रति समर्पण को कम नहीं किया क्योंकि वह पृथ्वी राज यारा के तौर पर नौवें विकेट के नुकसान के बाद बल्लेबाजी के लिए उतरे और अपने चोटिल हाथ को बचाते हुए एक हाथ से बैटिंग की। इसक वीडियो आप यहां पर देख सकते हैं। ये विशुद्ध कमिटमेंट ही है। हालांकि विहारी अब भारतीय टीम नियमित हिस्सा नहीं हैं क्योंकि श्रेयस अय्यर और ऑलराउंडर के तौर पर अक्षर पटेल के उभरने के बाद उन्होंने टीम में अपनी जगह खो दी थी। यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी चार मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए भी वे टीम में नहीं थे।
यहां देखें वीडियो-
ताजा मुकाबला एमपी के इंदौर में हो रहा है जहां पर मध्य प्रदेश के कप्तान आदित्य श्रीवास्तव ने आंध्र के खिलाफ टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था। इस दौरान आंध्र के लिए रिकी भुई (149) और किरदंत करण शिंदे (110) ने शानदार शतक लगाए। 353 पर उनका नौवां विकेट गिरा जिसके बाद हनुमा विहारी ने बल्लेबाजी के लिए कलाई में फ्रैक्चर होने के बावजूद बड़ी हिम्मत दिखाई। आंध्र की टीम अभी तक रणजी की ट्रॉफी नहीं जीत पाई है जबकि मध्य प्रदेश रणजी ट्रॉफी का डिफेंडिंग चैंपियन है और उसका लक्ष्य खिताब बरकरार रखना होगा।
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