Indo-Pak Match: छोटे होटल में थी टीम इंडिया, पत्रकार पाकिस्तानी जनता के घर में, फिर टूट पड़ा गमों का पहाड़
1984 में भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान के दौरे पर थी। सियासी अदावत के बीच टीम इंडिया मोहब्बत का पैगाम लेकर पाकिस्तान पहुंची थी। रिश्ते में कड़वाहट थी। इसके बावजूद पाकिस्तान के कुछ लोगों की सोच बिल्कुल अलग थी। उन्हें सियासत से कोई मतलब नहीं था। इसलिए उन्होंने भारतीय टीम के लिए इज्जत और मेहमाननवाजी दिखायी। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जो भारत विरोधी भावना से ग्रसित थे। जब विकट परिस्थितियों में मैच रदद हो गया तब उन्होंने भारत के एक दिवगंत नेता के प्रति अनादर का प्रदर्शन किया।
पाकिस्तानी लोगों के घरों में ठहरे भारतीय पत्रकार
1984 की सीरीज में भारत-पाकिस्तान के बीच दो टेस्ट मैच ड्रा हो चुके थे जो लाहौर और फैसलाबाद में खेले गये थे। तीन वनडे मैच में से पहला पाकिस्तान जीत चुका था। यह मैच क्वेटा में खेला गया था। दूसरा वनडे मैच सियालकोट में था। तब सियालकोट पाकिस्तान का साधारण शहर था जहां क्रिकेट स्टेडियम तो था लेकिन उसके लिए जरूरी सहूलियतें नहीं थीं। 1984 में वहां नया-नया ही एक होटल बना था। भारतीय टीम के साथ पत्रकारों और अधिकारियों का एक बड़ा दल भी था। सियालकोट का नया होटल काफी छोटा था। उसमें केवल भारतीय टीम के लिए व्यवस्था हो पायी। तब सियालकोट के जिला प्रशासन ने वैसे स्थानीय लोगों से सम्पर्क साधा जिनके पास बड़े रिहायसी मकान थे। उन्हें बुला कर सियालकोट के प्रशासन ने पूछा, क्या आप भारत से आये कुछ मेहमानों को अपने घर में ठहरने की इजाजत देंगे ? स्थानीय लोगों ने कहा, ये भी पूछने की बात है जनाब ? हिंदुस्तानी लोगों की मेहमानवाजी में हमें बहुत खुशी होगी। फिर भारतीय पत्रकार आम लोगों के घर में ठहर गये। सियालकोट में मैच शुरू हुआ। उन्होंने भारतीय पत्रकारों को अपने घर के सदस्य की तरह रखा। जम कर मेहमाननवाजी की। लेकिन इसी बीच एक ऐसी घटना हो गयी जिससे पूरा माहौल ही बदल गया। स्टेडियम में कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें दोस्ती का पैगाम मंजूर नहीं था।
सियालकोट का जिन्ना क्रिकेट स्टेडियम
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का शहर सियालकोट। सियालकोट जिले का मुख्यालय। अंग्रेजों के जमाने में यहां सैनिक छावनी थी। उन्होंने यहां क्रिकेट खेलने के लिए एक मैदान बनाया था। ये 1909 की बात है। 1979 में पाकिस्तान ने इस क्रिकेट ग्राउंड को विकसित कर अंतर्राष्ट्रीय मैचों के लायक बनाया। मैदान का नाम रखा जिन्ना क्रिकेट स्टेडियम, सियालकोट। सियालकोट पंजाब की राजधानी लाहौर से करीब एक सौ किलोमीटर उत्तर पूर्व में अवस्थित है। लाहौर से यह भले दूर है लेकिन भारत के जम्मू से इसका फासला केवल 25 किलोमीटर है। यह क्रिकेट स्टेडियम लाइन ऑफ कंट्रोल से नजदीक है। 1984 के पहले यहां विदेशी टीमों के रहने लायक कोई ढंग का होटल नहीं था। अगर सियालकोट में मैच होता तो विदेशी टीम को लाहौर के फाइव स्टार होटल में ठहराया जाता। लाहौर का जिला प्रशासन मेहमान टीम को सुबह चार बजे जगाता। फिर उन्हें बस से सियालकोट लाया जाता। मैच समाप्ति के बाद फिर उन्हें बस से ही लाहौर लाया जाता। ये बहुत बड़ी समस्या थी। इसलिए 1984 में भारतीय टीम और इनके साथ आये दल को सियालकोट में ठहराने के लिए कुछ समझौते करने पड़े थे।
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सियालकोट एकदिवसीय मैच
31 अक्टूबर 1984, सियालकोट का जिन्ना क्रिकेट स्टेडियम। सीरीज का दूसरा एकदिवसीय मैच। पाकिस्तान के कप्तान जहीर अब्बास ने टॉस जीता कर पहले गेंदबाजी चुनी। इस मैच में भारत की कप्तानी मोहिंदर अमरनाथ कर रहे थे। नियमित कप्तान सुनील गावस्कर नहीं खेल रहे थे। अंशुमन गायकवाड़ और गुलाम पारकार ने पारी शुरू की। इस मैच में बीसीसीआइ के मौजूदा चयरमैन रोजर बिन्नी भी खेल रहे थे। 53 के स्कोर भारत के दोनों ओपनर आउट हो गये। वे मुदस्सर नजर का शिकार बने। तब पाकिस्तान की टीम में ताहिर नक्काश और राशिद खान मुख्य तेज गेंदबाज थे। सलामी बल्लेबाज मुदस्सर नजर मध्यमगति के गेंदबाज की भूमिका निभाते थे। उस दिन मुदस्सर ज्यादा प्रभावी थे।
102 गेंदों पर वेगसरकर के 94 रन
दो विकेट गिरने के बाद दिलीप वेंगसरकर और संदीप पाटिल ने रंग जमा दिया। उनकी विस्फोटक बल्लेबाजी से पाकिस्तानी खेमे में में खलबली मच गयी। दोनों ने 143 रनों की साझेदारी की। पाटिल 59 रन बना कर आउट हुए। उन्हें तौसीफ अहमद ने बोल्ड कर दिया। वेंगसरकर 102 गेंदों पर 94 रन बना कर नाबाद थे। रवि शास्त्री 6 रन बना कर इनका साथ दे रहे थे। तब तक भारत 40 ओवर में तीन विकेट के नुकसान पर 210 रन बना चुका था। लेकिन तभी मैच अचानक रोक दिया गया।
अचानक मैच रूका फिर रद्द हो गया
भारतीय बल्लेबाज तेज गति से रन बना रहे थे और अचनाक तब मैच रुक गया। स्टेडियम में बैठे दर्शकों और रेडियो पर कमेंट्री सुन रहे लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैच क्यों रूक गया। कोई आधिकारिक घोषणा नहीं होने से लोगों की बेसब्री बढ़ने लगी थी। दरअसल स्टेडियम के आला अफसर के पास एक फोन आया था। पाकिस्तान के राष्ट्रपति जियाउल हक के ऑफिस से उन्हें बताया गया कि भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गयी है। भारतीय टीम की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। जब तक भारतीय टीम स्टेडियम से एयरपोर्ट के लिए रवाना न हो जाए, दर्शकों को मैच रद्द होने की वजह नहीं बतायी जाय। कप्तान सुनील गावस्कर और टीम मैनेजर राजसिंह डुंगपुर को जब इस बात की खबरमिली तो वे रोने लगे। मैदान के बाहर आनन-फानन में कई गाड़ियां पहुंच गयीं। भारतीय खिलाड़ियों को गोपनीय तरीके से उन गाड़ियों में बैठाया गया। किसी को कुछ पता चलता इसके पहले भारतीय टीम एयरपोर्ट पर पहुंच गयी।
मैच रद्द होने के बाद क्या हुआ ?
मैच रोक दिये जाने से पाकिस्तान के दर्शक उतावले हो गये थे। वे गुस्से में थे। जब उन्हें बताया गया कि भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से मैच रद्द हो गया है तब वे शर्मनाक हरकत पर उतर आये। वे इस बात पर ताली बजाने लगे। बीच-बीच में नारेबाजी भी करते। यह दिवगंत भारतीय प्रधानमंत्री के सम्मान के खिलाफ था। बाद में सियालकोट स्टेडियम के एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया था, "हमारे पड़ोसी मुल्क की प्रधानमंत्री की हत्या हो गयी थी और कुछ लोग तालियां बजा रहे थे। यह देखना हम लोगों के लिए एक तकलीफदेह अनुभव था। ये शर्म की बात थी।" इस दौरे पर पाकिस्तानी अवाम के दो रूप देखने के मिले। एक वह जिसे मोहब्बत पसंद है, दूसरा वह जिसे नफरत पसंद है।