बाउंसर पर बाउंसर ! बुमराह की खौफनाक गेंदबाजी पर मच गया था बवाल
नई दिल्ली, 23 जून: सोये शेर को जगाने की जुर्रत नहीं करनी चाहिए। पिछले साल इंग्लैंड ने जसप्रीत बुमराह के साथ ऐसी जुर्रत की और इसका खामियाजा भुगता। फिर तो बुमराह ने बाउंसरों की ऐसी झड़ी लगायी कि बवाल मच गया। वैसे तो तेज गेंदबाज बहुत एटीच्यूड वाले होते हैं। लेकिन बुमराह टीम इंडिया के शांत खिलाड़ी माने जाते हैं। पिछले साल लॉर्ड्स टेस्ट में अंग्रेजों ने बुमराह को उकसाने की गलती कर दी। फिर तो उन्होंने अपनी खतरनाक बाउंसर से ऐसा नजारा पेश किया कि डेनिस लिली, ज्यॉफ थॉम्पसन, माइकल होल्डिंग की याद आ गयी। पहली बार भारत के किसी तेज गेंदबाज ने विदेशी बल्लेबाजों में खौफ पैदा की थी। यह बदलते हुए भारतीय क्रिकेट की तस्वीर थी। वर्ना पहले तो विदेशी तेज गेंदबाज अपनी रफ्तार और बाउंसर से भारतीय बल्लेबाजों को खूब डराया करते थे। जैसा कि 1976 में वेस्टइंडीज के जमैका टेस्ट में हुआ था। इस टेस्ट मैच में कैरिबियन तेज गेंदबाजों ने ऐसी खौफनाक गेंदबाजी की थी कि भारत के पांच बल्लेबाज अस्पताल पहुंच गये थे। किसी की उंगली टूटी, किसी की केहुनी टूटी, किसी का सिर फटा। लेकिन अब भारत भी डराने वाली गेंदबाजी करने लगा है।
क्या हुआ था लॉर्ड्स में ?
लॉर्ड्स में भारत- इंग्लैंड के बीच दूसरा टेस्ट (12 से 16 अगस्त) चल रहा था। इंग्लैंड ने टॉस जीत कर भारत को पहले बैटिंग के लिए आमंत्रित किया। भारत की पहली पारी दूसरे दिन लंच के बाद 364 रनों पर समाप्त हुई। के एल राहुल ने शतक लगाया था। बुमराह को एंडरसन ने 0 पर बोल्ड किया था। वे आउट होने वाले भारत के आखिरी बल्लेबाज थे। जब बुमराह, मोहम्द सिराज के साथ ड्रेसिंग रूम की तरफ लौटने लगे तो अंग्रेज खिलाड़ियों ने कुछ ऐसे शब्द कह दिये जिसे सुन कर बुमराह को गुस्सा आ गया। लेकिन उन्होंने कहा कुछ नहीं। इंग्लैंड की पहली पारी शुरू हुई। जो रूट ने विकेट पर लंगर डाल दिया था। एक तरफ से विकेट गिर रहे थे लेकिन वे डटे हुए थे। 371 के स्कोर पर मार्क वुड आउट हुए तो जेम्स एंडरसन खेलने आये। एंडरसन 39 साल के हैं और अभी भी खेल रहे हैं। वे दुनिया के सबसे सफल तेज गेंदबाज हैं क्यों कि सर्वाधिक टेस्ट विकेट लेने के मामले में तीसरे स्थान पर हैं। पहले (मुरलीधरन) और दूसरे (शेन वार्न) स्थान पर स्पिनर हैं। लेकिन इतने दिग्गज गेंदबाज होते हुए भी उन्होंने बुमराह को खटकने वाली बात कही थी। बहरहाल एंडरसन क्रीज पर आये। उनके साथ कप्तान जो रूट थे जो 170 रनों पर खेल रहे थे। इंग्लैंड के 9 विकेट गिर चुके थे लेकिन तब तक बुमराह को एक भी विकेट नहीं मिला था। ये बात उन्हें कचोट रही थी। सामने एंडरसन को देखा तो उनकी स्लेजिंग याद आ गयी। फिर क्या था, बुमराह ने अपनी मिसाइल की दिशा एंडरसन की तरफ मोड़ दी।
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जब बुमराह ने की बाउंसर की बौछार
ये इंग्लैंड की पारी का 126 वां ओवर था। बुमराह के सामने थे एंडरसन। बुमराह ने पहली गेंद एक तेज बाउंसर डाली जो एंडरसन के कंधे से ऊपर सिर की तरफ आ रही थी। गेंद 90 मील प्रति घंटे की रफ्तार से थी। एंडरसन ने हड़बड़ा कर किसी तरह एक हाथ से ही गेंद को खेला। दूसरी गेंद फिर बाउंसर आयी। एंडरसन ने बहुत मुश्किल से खुद को बचाया। तीसरी गेंद तेज यॉर्कर थी। एंडरसन ने फिर किसी तरह गेंद को दूर धकेला। चौथी गेंद एंडरसन के हेलमेट पर लगी। 90 मिल प्रति घंटे (145 किलोमीटर प्रतिघंटा) की रफ्तार से आने वाली उन बाउंसर को खेलना बहुत मुश्किल था जो सिर की तरफ आ रही थीं। एंडरसन ऐसी तेज गेंदबाजी देख कर डर गये। बुमराह का यह ओवर 10 गेंदों का था जो करीब 15 मिनट तक चला था। एंडरसन का कहना था कि बुमराह उन्हें आउट करने के लिए नहीं बल्कि डराने के लिए ऐसी खतरनाक बॉलिंग कर रहे हैं। वे जानबूझ कर नोबॉल कर रहे हैं ताकि एक और गेंद उनके शरीर को निशाना बना कर फेंक सकें। खैर, एंडरसन ने जैसे-तैसे बुमराह की इन खतरनाक गेंदों से खुद को बचाया। जब ये ओवर खत्म हुआ तो एंडरसन बुमराह के पास गये और कहा, तुम तो अन्य बल्लेबाजों को 85 मील प्रति घंटे की रफ्तार से ही गेंद फेंक रहे थे। फिर मुझे 90 मिल प्रतिघंटे की रफ्तार वाली ऐसी गेंदें क्यों डालीं ? इसके बाद दोनों में कुछ कहा-सुनी भी हुई। कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि बुमराह को एक पुछल्ले बल्लेबाज के खिलाफ ऐसी गेंदबाजी नहीं करनी चाहिए थी। लेकिन जब भारत के खिलाफ ऐसी गेंदबाजी होती है तो 'एथिक्स' का सवाल क्यों नहीं उठाया जाता ?
भारत की ऐतिहासिक जीत, तिलमिलाया वेस्टइंडीज
मार्च 1976 में भारत की टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर गयी थी। भारत के कप्तान बिशन सिंह बेदी और वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड थे। पहला टेस्ट वेस्टइंडीज ने एक पारी 97 रनों से जीता। दूसरा टेस्ट ड्रॉ हो गया। लेकिन तीसरे टेस्ट में भारत ने इतिहास रच दिया। वेस्टइंडीज ने भारत को कमजोर समझ कर दूसरी पारी में 402 रनों का लक्ष्य दिया था। लेकिन भारत ने लाजवाब बैटिंग की। गावस्कर ने 102, गुंडप्पा विश्वनाथ ने 112 और मोहिंदर अमरनाथ ने 85 रन बनाये। बृजेश पटेल ने नाबाद 49 और मदन लाल ने नाबाद एक रन के साथ भारत को इस टेस्ट मैच में 6 विकेट से जीत दिला दी। उस समय तक चौथी पारी में इतने बड़े स्कोर (402) का पीछा कर किसी देश ने टेस्ट मैच नहीं जीता था। भारत की यह जीत ऐतिहासिक और कुछ मायनों में अविश्वसनीय थी। उस समय दुनिया में वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों का बोलबाला था। बल्लेबाज उनके नाम से कांपते थे। भला इतने तूफानी गेंदबाजों के रहते भारत ने चौथी पारी में 406 रन बना कर कैसे मैच जीत लिया ? इस बात से वेस्टइंडीज तिलमिला गया। उसकी साख पर बट्टा लग गया। कैरिबियन द्वीप के देश खुद को तेज गेंदबाजी का बादशाह मानते थे। वहां के लोग अपनी टीम को भारत से बदला लेने के लिए उकसाने लगे। किंगस्टन (जमैका) में चौथा टेस्ट था।
घायल करना है करो, लेकिन विकेट चाहिए
वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने अपने गेंदबाजों कहा, जैसे भी हो किंगस्टन टेस्ट जीतना है। अगर विकेट के लिए भारत के बल्लेबाजों के शरीर को निशाना बनाना पड़े, तो यह भी करो। लेकिन हर हाल में विकेट चाहिए। उस समय वेस्टइंडीज के माइकल होल्डिंग को बहुत खौफनाक तेज गेंदबाज माना जाता था। उनका साथ देने के लिए इस मैच में नये तूफान वेन डेनियल को लाया गया था। बर्नार्ड जूलियन और वेनबर्न होल्डर स्विंग गेंदबाजी में माहिर थे। भारत की पहली पारी शुरू हुई। गावस्कर और अंशुमन गायकवाड़ ने शानदार बैटिंग की और पहले विकेट के लिए 126 रन जोड़े। यह देख कर कैरिबियन तेज गेंदबाज शरीर को चोट पहुंचाने वाली गेंदबाजी करने लगे। वे डरा धमका कर भारत का विकेट लेना चाहते थे। गावस्कर को 66 पर होल्डिंग ने बोल्ड कर दिया। गायकवाड़ जब 81 पर थे तब एक तेज शॉर्टपिच गेंद पर घायल हो गये। उन्हें रिटायर हर्ट होना पड़ा। बृजेश पटेल भी 14 के स्कोर पर रिटायर हर्ट हो गये। भारत का स्कोर 6 विकेट के नुकसान पर 306 रन था तब उसने पारी घोषित कर दी। बेदी, चंद्रशेखर बैटिंग करने ही नहीं आये।
भारत के पांच बल्लेबाज अस्पताल में
वेस्टइंडीज ने पहली पारी में 391 रन बनाये। भारत की दूसरी पारी शुरू हुई। माइकल होल्डिंग ने गेंदों से बिजली गिरानी शुरू कर दी। होल्डिंग ने गावस्कर को 2, मदन लाल को 8 और वैंकटराघवन को 0 पर आउट कर दिया। होल्डिंग इतनी तेज गेंदबाजी कर रहे थे कि भारतीय बल्लेबाजों ने अपने विकेट फेंक दिये। ऐसी विकट परिस्थिति में सिर्फ मोहिंदर अमरनाथ ही साहस से खेले। वे 60 रन बना कर आउट हुए। स्थिति ये थी कि मदन लाल को चौथे नम्बर पर बैटिंग के लिए उतरना पड़ा। 97 रनों पर जब भारत के पांच विकेट गिर गये तो भारत की पारी को समाप्त मान लिया गया। वह इसलिए क्यों कि बाकी के पांच बल्लेबाज बैटिंग करने की स्थिति में नहीं थे। विश्वनाथ की केहुनी से उंगली तक प्लास्ट चढ़ा हुआ था। अंशुमन गायकवाड़ के ठुड्डी से सिर तक पट्टी बंधी हुई थी। बृजेश पटेल के ऊपरी होठ पर तीन टांके लगे हुए थे। जब ये मैच चल रहा था तब स्थानीय दर्शक अपने गेंदबाजों को उसका रहे थे, किल हिम मैन ! हिट हिम मैन ! भारत की पारी पांच विकेट पर 97 रन पर ही समाप्त मान ली गयी। वेस्टइंडीज को जीत के लिए 13 रन बनाने थे जो उसने बिना विकेट गंवाये बना लिये। भारत ये मैच 10 विकेट से हार गया। उस समय भारतीय टीम के मैनैजर पॉली उमरीगर थे। उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलायी और लॉयड के हिंसक क्रिकेट का विरोध किया। तब क्रिकेट का 'एथिक्स' कहां गया था ? 45 साल बाद भारत के जसप्रीत बुमराह ने भी लॉर्ड्स में कुछ इसी अंदाज में जवाब दिया था।