37 के दिनेश हैं विशेष, सिम्पसन ने 41 की उम्र में जड़ी थी टेस्ट सेंचुरी
दिनेश कार्तिक ने 37 साल की उम्र में टी-20 की पहली फिप्टी लगायी। ऑस्ट्रलिया के बॉब सिम्पसन ने 41 की उम्र में टेस्ट शतक लगाया था। कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिनकी फिटनेस और प्रतिभा उम्र से प्रभावित नहीं होती।
स्पोर्ट्स डेस्क: दिनेश कार्तिक ने 37 साल की उम्र में टी-20 की पहली फिप्टी लगायी। ऑस्ट्रलिया के बॉब सिम्पसन ने 41 की उम्र में टेस्ट शतक लगाया था। कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिनकी फिटनेस और प्रतिभा उम्र से प्रभावित नहीं होती। दिनेश कार्तिक, महेन्द्र सिंह धोनी से पहले से क्रिकेट खेल रहे हैं। धोनी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायर हो गये जब कि दिनेश कार्तिक अभी भी राष्ट्रीय टीम का हिस्सा हैं। कार्तिक का यह कमबैक उनके लाजवाब खेल की वजह से संभव हुआ। आइपीएल में उन्होंने जो विस्फोटक पारियां खेलीं उससे चयनकर्ता उन्हें राष्ट्रीय टीम में लेने पर मजबूर हो गये। कार्तिक ने 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ही टी-20 में डेब्यू किया था। 16 साल बाद जब उन्होंने अपना पहला अर्धशतक बनाया तो उनके सामने एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका ही था।
टी-20 में हाफ सेंचुरी लगाने वाले वे सबसे उम्रदराज भारतीय खिलाड़ी हैं। वे तीन साल बाद भारतीय टीम में लौटे और अपनी तूफानी बैटिंग से छा गये। पिछले साल तो उन्होंने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल की कमेंट्री भी की थी। लेकिन कमेंट्री बॉक्स से निकल कर मैदान पर धूमधड़का मचाने की क्षमता विरले लोगों में ही होती है। दिनेश चूंकि विशेष हैं, इसलिए उन्होंने यह ऐतिहासिक कारनामा किया। दिनेश कार्तिक के कमबैक को देख कर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बॉब सिम्पसन की याद आती है। सिम्पसन की टेस्ट क्रिकेट में वापसी, क्रिकेट इतिहास का एक गौरवपूर्ण अध्याय है।
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सिम्पसन के टेस्ट कप्तान बनने के पहले की पृष्ठभूमि
दिसम्बर 1977 में भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गयी थी। टीम के कप्तान बिशन सिंह बेदी थे। उस समय ऑस्ट्रेलिया में कैरी पैकर विवाद चल रहा था। कैरी पैकर ऑस्ट्रेलिया के टीवी नेटवर्क चैनल-9 के मालिक थे। मई 1977 में एशेज होनी थी। पैकर इस सीरीज के टेस्ट मौच को अपने चैनल पर दिखाना चाहते थे। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड इसके लिए राजी नहीं हुआ। तब नाराज पैकर ने अपने दम पर सामानांतर क्रिकेट प्रतियोगिता शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने मोटी रकम देकर दुनिया के 35 सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों को अपने साथ जोड़ लिया। उनमें ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल, इयान चैपल, इंग्लैंड के टोनी ग्रेग, वेस्टइंडीज के क्लाइव लॉयड, विव रिचर्ड्स, पाकिस्तान के इमरान खान जैसे खिलाड़ी थे। इसकी वजह से कई देशों की राष्ट्रीय टीम का संतुलन ही बिगड़ गया। दिसम्बर 1977 में जब भारतीय टीम का दौरा होना था उस समय ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ग्रेग चैपल समेत छह दिग्गज खिलाड़ी कैरी पैकर की वर्ल्ड सीरीज में खेल रहे थे। अब सवाल खड़ा हुआ कि भारत के खिलाफ कप्तानी कौन करेगा ? ऑस्ट्रेलिया एशेज हार चुका था। ऑस्ट्रेलिया के चयनकर्ता परेशान थे। अब करें तो क्या करें ? किसे कप्तान बनाएं? किन खिलाड़ियों को टीम में शामिल करें?
41 के सिम्पसन कप्तान बने, 8 ने डेब्यू किया
काफी सोच विचार के बाद ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ताओं की नजर बॉब सिम्पसन पर जा कर ठहर गयी। उस समय सिम्पसन की उम्र 41 साल थी और उन्होंने 1968 में ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। लेकिन वे 41 की उम्र में भी काफी चुस्त-तंदुरुस्त थे। शौकिया तौर पर क्रिकेट भी खेलते थे। लेकिन उन्होंने सपने में ये बीत नहीं सोची थी कि 11 साल बाद उनकी टेस्ट टीम में वापसी हो जाएगी। किंतु सौभाग्य उनके दरवाजे पर स्वागत की थाली लेकर खड़ा था। वे न केवल राष्ट्रीय में फिर चुने गये बल्कि सीधे कप्तान बना दिये गये। चयनकर्ता सिम्पसन की नेतृत्व क्षमता और उनकी बैटिंग तकनीक के कायल थे। उन्होंने किसी नये खिलाड़ी को आजमाने की बजाय सिम्पसन के अपार अनुभव पर ही दांव खेलना मुनासिब समझा। सिम्पसन एक सफल खिलाड़ी थे। वे धाकड़ बल्लेबाज थे। टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक मार चुके थे। लेग ब्रेक गेंदबाजी भी करते थे। उन्हें स्लीप के महानतन फील्डरों में एक माना जाता था। चयनकर्ताओं ने सिम्पसन को तो कप्तान बनाया ही पहले टेस्ट के लिए जो टीम चुनी गयी उसमें 8 नये खिलाड़ियों को मौका दिया। ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट इतिहास में यह पहला मौका था जब 8 खिलाड़ी एक साथ डेब्यू कर रहे थे।
41 की उम्र में सिम्पसन की टेस्ट सेंचुरी
पहले टेस्ट में सिम्पसन 8 नौसिखिए खिलाड़ियों के साथ मैदान में उतरे। हां उनके साथ खौफनाक तेज गेंदबाज रहे जेफ थॉम्पसन जरूर थे। लेकिन चोट के बाद उनकी गति पहले से कम हो गयी थी। भारत की टीम में कप्तान बेदी के अलावा सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, मोहिंदर अमरनाथस गुंडप्पा विश्वनाथ, किरमानी, भगवत चंद्रशेखर और प्रसन्ना जैसे दिग्गज खिलाड़ी थे। सिम्पसन ने पहले टेस्ट में ही अपने चयन की सार्थकता सिद्ध कर दी। नये खिलाड़ियों ने उनके नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन किया। सिम्पसन ने दूसरी पारी में 89 रन बना कर बता दिया कि उनमें अभी बहुत दमखम बचा है। भारत जब दूसरी पारी के लिए मैदान पर उतरा तब उसके सामने जीत के लिए 341 रनों का टारगेट था। सुनील गावस्कर ने दूसरी पारी में शानदार शतक लगा कर भारत की उम्मीदों को जिंदा रखा। लेकिन डेब्यू करने वाले वेन क्लार्क ने गावस्कर को 113 रनों पर आउट कर मैच को ऑस्ट्रेलिया की तरफ मोड़ दिया। जब गावस्कर आउट हुए तब भारत का स्कोर था 6 विकेट के नुकसान पर 243 रन। अभी भी भारत 98 रनों की दरकार थी। लेकिन भारत की पारी आखिरकार 324 रनों पर सिमट गयी और आस्ट्रेलिया 16 रनों से यह मैच जीत गया। सिम्पसन ने पर्थ के दूसरे टेस्ट मैच में 176 रन बना कर क्रिकेट पंडितों को चकित कर दिया।
सिम्पसन ने पेश की नई मिसाल
41 की उम्र में करीब साढ़े छह घंटे तक बल्लेबाजी कर सिम्पसन ने अपनी अद्भुत स्टेमिना का परिचय दिया। पांच टेस्ट मैचों की इस सीरीज में 41 साल के सिम्पसन ने दो शतकों के साथ 539 रन बनाये और भारत के खिलाफ 3-2 से श्रृंखला जीत ली। उम्र से किसी की क्षमता का आकलन नहीं किया जा सकता। अगर दिनेश कार्तिक को टेस्ट मैचों में भी मौका मिले तो वे कमाल कर सकते हैं। उनमें अभी बहुत क्रिकेट बाकी है। शायद उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 37 साल की उम्र के लिए ही बचा कर रखा है।