Online पढ़ाई के लिए सड़क किनारे आम बेच रही थी बच्ची, मुंबई से आया फरिश्ता और 1.20 लाख में खरीदे 12 आम
जमशेदपुर, जून 27: कोरोना महामारी ने जहां लोगों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से बिगाड़ दी, वहीं बच्चों की पढ़ाई भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हुई है। ऐसे में पढ़ाई का सिर्फ एक ही विकल्प ऑनलाइन क्लास रह गया है, जिसके लिए मोबाइल या फिर लैपटॉप की जरूर रहती है। लेकिन गरीब लोगों के लिए पैसे ना होने की वजह से पढ़ाई से वंचित होना पड़ रहा है, ऐसी ही एक परेशानी से झारखंड के जमशेदपुर की 11 साल की तुलसी कुमारी जूझ रही थी, लेकिन इस बीच मुंबई के एक 'अंकल' उसके लिए फरिस्ता बनकर आए और सारी परेशानी फट से दूर की दी।
11 साल की तुलसी खरीदना चाहती थी फोन
गरीबी परिवार की 11 साल की बेटी तुलसी पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन पढ़ाई के लिए उसको एक स्मार्ट फोन की जररूत थी, जिससे वो भी और बच्चों की तरह अपनी पढ़ाई ऑनलाइन कर सके। इसके लिए उसने अपने परिवार की मदद करने और मोबाइल खरीदने के लिए लॉकडाउन के बीच आम बेचना शुरू किया, लेकिन इन आमों को बेचकर 10 हजार रुपए का मोबाइल खरीदना उसके लिए इतना आसान नहीं था। इस बीच मुंबई से अमेया हेटे उसकी जिंदगी में भगवान बनकर आया और अब उसकी पढ़ाई की इच्छा पूरी हो गई।
1.20 लाख रुपए में खरीदे 12 आम
दरअसल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस कहानी को देखकर वैल्यूएबल एडुटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर अमेया हेटे तुलसी के लिए आगे आए। उन्होंने तुलसी से 12 आम खरीदे और उसके लिए तुलसी को 1.20 लाख रुपए का भुगतान किया। अमेया हेटे ने एक आम को 10,000 रुपए में खरीदा। इसके लिए उन्होंने सारा पैसा तुसली के पिता श्रीमल कुमार के बैंक खाते में ट्रांसफर किया। हेटे ने परिवार को सहारा देने के लिए तुलसी के संघर्ष की कहानी एक न्यूज चैनल पर देखी थी, जिसके बाद उन्होंने इस बच्ची की मदद करने की ठानी।
तुलसी से प्रभावित हुए अमेया हेटे
मदद पाकर खुश हुई तुलसी भी अब बिना किसी रूकवाट के अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगी। तुलसी ने बताया कि वो सड़क किनारे आम बेच रही थी और फोन खरीदने के लिए पैसे बचाना चाहता थी ताकि अपनी पढ़ाई ऑनलाइन फिर से शुरू कर सकें। अब मदद के बाद उसने एक फोन खरीदा है और ऑनलाइन क्लास शुरू करने की बात कही है। वहीं मदद के लिए आगे आए अमेया हेटे ने बताया कि आर्थिक संकट का सामना कर रही 5वीं में पढ़ने वाली 11 साल की बच्ची तुलसी ने पैसे ना होने की वजह से अपनी किस्मत को दोष ना देकर अपनी मेहनत से कुछ करने की सोची, जिससे प्रभावित होकर उन्होंने उस बच्ची की मदद की है।
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