राजस्थान सरकार ने शिक्षकों के फर्जीवाड़े पर कसी लगाम,आधार कार्ड से लिंक होगा कॉलेज, विवि के शिक्षकों का डाटा
नई दिल्ली। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार शिक्षकों के नाम पर फर्जीवाड़े को रोकने के लिए संजीदा हो चुकी है। सीएम अशोक गहलोत ने निजी महाविद्यालयों के शिक्षकों का आधार कार्ड मांगा है। सरकार ने आदेश दिया है कि सूबे के सभी प्राइवेट यूनिवर्सिटी व कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को डाटा आधार कार्ड से लिंक करने का आदेश दिया है। आधार कार्ड लिंक होने के बाद राजस्थान के कोई भी टीचर एक से ज्यादा जगह पर नौकरी नहीं कर पाएंगे।

राजस्थान में कुल लगभग 10 प्रतिशत ऐसे शिक्षक है जिनके नाम कई कॉलेजों की फाइलों में दर्ज हैं। ऐसे में टीचर तो अपनी सेवाएं एक ही जगह देता है लेकिन उसके नाम व डाक्युमेंटस का उपयोग कर दूसरे कॉलेज व विवि फर्जीवाड़ा कर मान्यता ले लेते हैं। जिसके चलते छात्र धोखे से प्रवेश ले लेते हैं। सरकार जब अब आधार कार्ड से लिंक करवा देंगे तो कुछ महाविद्यालय और विवि के ताला भी लग सकता है।
जानकारी के अनुसार, पूरे राज्य में करीब 10 % ऐसे टीचर है, जिनके नाम कई कॉलेजों की फाइलों में दर्ज हैं। ऐसे में टीचर तो अपनी सेवाएं एक ही जगह देता है लेकिन उसके नाम व डाक्युमेंट्स का उपयोग कर दूसरे कॉलेज व यूनिवर्सिटी फर्जीवाड़ा कर मान्यता ले लेते हैं। ऐसे में पढने वाले स्टूडेंट्स धोखे में एडमिशन ले लेते हैं। साथ ही पढ़ाई नहीं होने पर पछताते रहते हैं। ऐसे में यदि आधार कार्ड से डाटा जुड़ जाएगा तो आने वाले समय में कुछ महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के ताला लग सकता है।
गौरतलब है कि सरकारी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कई पद खाली रहते हैं लेकिन कागजों में निजी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की की अत्यधिक रहती है। लेकिन अब आधार नंबर जुड़ जाने के बाद ऐसे लोग तुरंत पकड़े जाएंगे। बता दें ये फर्जीवाडा कालेज को मान्यता दिलाने के लिए किया जाता है क्योंकि विवि अनुदान आयोग के गाइडलाइंसा के अनुसार फैकेल्टी और स्टाफ व संसाधन मिलने पर ही विवि या कॉलेज को मान्यता दी जाती है। ऐसे कालेज मान्यता प्राप्त करने के लिए कॉलेज फर्जी रजिस्टर बनाकर उसमें फैकल्टी के नाम लिखते हैं। यूजीसी मौके पर जांच के बजाय कागज के आधार पर मान्यता देती है।