25 साल बाद लौटा लापता सोनाराम : बेटा, बहू व पोता-पोती देखकर मां पूरी रात जमकर नाची, देखें Video
भारत-पाकिस्तान सीमा पर राजस्थान के बाड़मेर जिले के गांव पोषाल के एक परिवार का लापता बेटा अचानक 25 साल बाद लौट आया। लापता सोनाराम साथ में पत्नी, बेटा व बेटी को भी लेकर आया। अपने बेटे व उसके परिवार को देखकर ढाई दशक से उम्मीद लगाए बैठी मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मां अन्य परिजनों के साथ पूरी रात जमकर नाची।
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लापता व वापसी की पूरी कहानी दिलचस्प
सोनाराम के लापता होने और फिर 25 साल सकुशल घर वापसी की पूरी कहानी बेहद दिलचस्प है। यह अपने जिले से करीब 650 किलोमीटर दूर ही गुजर-बसर करता रहा। कुछ दिन पहले ही सोनाराम के बारे में पता चला था कि वह बाड़मेर जिले के गांव पोषाल का रहने वाला है। परिवार में मां, भाई जिंदा है। उसकी राह ताक रहे हैं। ऐसे में दो दिन पहले ही सोनाराम अपने परिवार के साथ घर लौटा है।
हनुमानगढ़ में जमीदार के पास रहा सोनाराम
बता दें कि सोनाराम राजस्थान और पंजाब सीमा पर स्थित हनुमानगढ़ जिले के एक गांव में किसी जमीदार के घर रहकर खेती करता था। वहीं पर शादी कर ली। एक बेटा व बेटी का पिता भी बन गया। कुछ दिन पहले बाड़मेर जिले के एक चालक का ट्रक लेकर हनुमानगढ़ जाना हुआ। हनुमानगढ़ में ट्रक चालक व सोनाराम के बीच बातचीत हुई तो सोनाराम ने उसे बताया कि वह किसी पोषाल गांव का रहने वाला है, मगर उसे यह पता नहीं कि पोषाल गांव किस जिले में है? वह तो पिछले 25 साल से अपने घर नहीं गया।
बाड़मेर के चालक ने ग्रामीणों को बताई जानकारी
चालक ने सोमनाम को बताया कि पोषाल गांव बाड़मेर जिले में है। इसके बाद चालक बाड़मेर आ गया और उसने गांव पोषाल के लोगों को इसकी जानकारी दी कि हनुमानगढ़ में एक जमीदार के खेत में काम करने वाला व्यक्ति अपना सोनाराम बताता है और वह कहता है पोषाल गांव का रहने वाला है। गांव के लोगों को पता था कि ये वो ही सोनाराम हो सकता है, जो 25 साल पहले लापता हो गया था। इस पर सोनाराम के परिजनों ने उससे सम्पर्क किया। तब जाकर उसकी सकुशल घर वापसी हुई।
25 साल पहले मजूदरी करने हरियाणा गए
सोनाराम के लापता हो जाने की कहानी ये है कि गांव पोषाल निवासी शिवदान राम अपने बड़े बेटे अचलाराम व छोटे सोनाराम के साथ 25 साल पहले मजूदरी करने हरियाणा और पंजाब में गए थे। तब सोनाराम की उम्र महज नौ साल थी। बड़ा बेटा अचलाराम मजदूरी करके वापस घर लौट गया, लेकिन छोटा बेटा सोनाराम वहां कहीं खो गया। उसके बाद से सोनाराम का कुछ पता नहीं चला।
गांव और पिता का नाम ही याद रहा
सोनाराम की उम्र छोटी होने के कारण वह किसी को अपने घर का पता नहीं बता पाया था। उसे सिर्फ अपने गांव और पिता का नाम ही याद रहा। इसके अलावा उसे कुछ भी याद नहीं था। ऐसे में लोग उसकी चाहकर भी मदद नहीं कर पाए। सोनाराम का पूरा परिवार उसके भाई गांव के लोग और रिश्तेदार सब लोगों ने उसे कई जगहों पर ढूंढते रहे, लेकिन किसी को भी उसके बारे में पता नहीं चल पाया। अब ट्रक चालक के माध्यम से उसकी जानकारी लगी।
मां को लगता था बेटा जरूर लौटेगा
मीडिया से बातचीत में सोनाराम की मां गुमनी देवी ने बताया कि सब लोग कहते थे कि सोनाराम को लापता हुए बहुत टाइम हो गया। अब वह शायद ही लौटे, मगर मुझे लगता था कि बेटा एक दिन जरूर लौटेगा। अब बेटा खुद तो आया ही अपने साथ बहू और पोता पोती भी लेकर आया है तो दोहरी खुशी हो रही है।
बचपन की बातों से हुआ यकीन
सोनाराम के बड़े भाई अचलाराम ने बताया कि भाई को ढूंढने में उनके परिवार ने हर संभव कोशिश की। खूब मंदिरों में मन्नतें मांगी, मगर भगवान ने उनके परिवार की सुनने में 25 साल लगा दिए। आखिर अब छोटा भाई सकुशल लौट आया है। पूरा परिवार खुश है। अचलाराम के चाचा हीराराम ने बताया कि सोनाराम अब पहचान में भी नहीं आ रहा, मगर उसने बचपन में कुछ बातें बताई, जिनसे साबित हुआ कि यह वो ही सोनाराम है, जो 25 साल पहले लापता हो गया था। हमारे लिए यह सोनाराम का दूसरा जन्म के समान है।