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राजस्थान : 5 दिन बाद कुआं बना कब्र, प्रशासन बोला, मुआवजा दे देंगे, शव नहीं निकाल सकते

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पाली। पूरे पांच दिन यानी 120 से ज्यादा घंटे परिजन इसी आस में टकटकी लगाए बैठे रहे कि शायद अब कोई अच्छी खबर आ जाए। शायद अब तो प्रशासन की कोशिश रंग ले आए। प्रशासन ने भी तमाम कोशिशें कीं। देसी से लेकर आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया। जिला प्रशासन की तमाम टीमें 5 दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी रहीं, लेकिन नतीजा सिफर निकला।

पाली के शिवगंज का मामला

पाली के शिवगंज का मामला

पूरा मामला राजस्थान के पाली जिले का है। यहां शिवगंज तहसील के जोगापुरा गांव में 27 सितंबर को कुआं धंसने से हादसा हो गया था। इस दौरान मूपाराम मीणा नाम का एक मजदूर कुएं में ही फंस गया और सैंकड़ों टन मिट्टी उसके ऊपर जा गिरी। इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ, लेकिन परिजनों का आरोप है कि प्रशासन रेस्क्यू ऑपरेशन के नाम पर 5 दिन तक सिर्फ खानाफूर्ति करता रहा। बड़ी-बड़ी मशीनें जरूर मंगवाई गईं, लेकिन उन मशीनों का इस्तेमाल ही नहीं किया गया।

 एसडीआरएफ टीम की भी मदद ली

एसडीआरएफ टीम की भी मदद ली

प्रशासन ने परिजनों के आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है। एसडीएम देवेंद्र यादव ने बताया कि मूपाराम मीणा को जिंदा या मुर्दा बाहर निकालने के लिए प्रशासन ने 5 दिन तक खूब कोशिश कीं। जिला प्रशासन की तमाम टीमों के साथ-साथ एसडीआरएफ और निजी कंपनियों के इंजीनियरों की भी मदद ली गई। लेकिन प्रशासन की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हुईं।

 पांच दिन बाद रोका रेस्क्यू

पांच दिन बाद रोका रेस्क्यू

आखिरकार 5 दिन बाद प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए और रेस्क्यू का काम रोक दिया। इसके बाद परिजनों को इस बात के लिए राजी किया गया कि अब वो इस कुएं को ही उस मूपाराम की कब्र मान लें। क्योंकि अब प्रशासन उसे निकाल नहीं सकता और बिना प्रशासन की मदद के मजदूर को कुएं से बाहर निकालना परिजनों के बस की बात नहीं है।

 अब कुआं ही मान लो मूपाराम की कब्र

अब कुआं ही मान लो मूपाराम की कब्र

पांच दिन तक मृतक का पूरा परिवार मूपाराम मीणा के अंतिम दर्शन और सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार के लिए बिलखता रहा। प्रशासन के शव निकालने में हाथ खड़े करने के बाद अब उनका धैर्य भी टूट गया। परिवार वाले भी बेबस हो गए। इसके बाद स्थानीय नेताओं की मदद से परिवार को इस बात के लिए मनाया गया कि वो उचित मुआवजा लेकर इस बात की सहमति दे दें कि मूपाराम के लिए यही कु्आं अब उसकी कब्र है।


पहले भी कई दिन बाद मिल चुकी है सफलता

बहरहाल, सवाल यह है कि महज 80 फीट गहरे कुएं के आगे प्रशासन ने हार कैसे मान ली। इससे पहले राजस्थान समेत पूरे देश में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां 150 से 200 फीट गहरे बोरवेल में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था और कई बार इन ऑपरेशन में 7 से 8 दिन बाद कामयाबी भी मिली थी जबकि बोरवेल के मुकाबले इस कुएं की ऊपर से चौड़ाई भी काफी ज्यादा थी।

मिलिए गाड़िया लोहार की सब इंस्पेक्टर बेटी कमला लोहार से, पिछड़े समाज से इकलौती पुलिस अधिकारीमिलिए गाड़िया लोहार की सब इंस्पेक्टर बेटी कमला लोहार से, पिछड़े समाज से इकलौती पुलिस अधिकारी

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English summary
laborer Mooparam did not come out from the well in Pali Rajasthan
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