Boyatram Dudi: राजस्थान के सबसे उम्रदराज फौजी बोयतराम डूडी का निधन, 66 साल से ले रहे थे पेंशन
Boyatram Dudi : बोयतराम डूडी राजस्थान के झुंझुनूं जिले के गुढ़ागौड़जी थाना इलाके के गांव भोड़की के रहने वाले थे। 30 जनवरी 2023 को उनका निधन हो गया। 1957 में भारतीय सेना में रिटायर होने के बाद से पेंशन ले रहे थे।
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बोयतराम को अंतिम विदाई देने उमड़े लोग
सोमवार को गांव भोड़की में 100 वर्षीय रिटायर्ड फौजी बोयतराम डूडी को अंतिम विदाई दी गई। उनकी पार्थिव देह के अंतिम दर्शन करने और उनकी शवयात्रा में शामिल होने के लिए आस-पास के कई गांवों से लोग उमड़े। बेटे भरताराम व मुकंदाराम ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। उनके पोते धर्मवीर, मुकेश, सत्यनारायण और सुरजीत है।
बोयतराम डूडी को चार बार सेना मेडल मिले
बता दें कि 21 जुलाई 1923 को जन्मे बोयतराम डूडी 19 साल की उम्र में 1942 में ब्रिटिश सेना में भर्ती हुए थे। दूसरे विश्व युद्ध में अदम्य साहस दिखाने के लिए बोयतराम डूडी को चार बार सेना मेडल मिले थे। ग्राम गौरव अवार्ड भी प्रदान किया गया। इसके अलावा सेना की अधिकारियों और ग्रामीणों की ओर से भी उनका कई बार सम्मान किया गया।
नीमकाथाना सेना भर्ती रैली में चयन हुआ
मीडिया से बातचीत में बोयतराम डूडी के पोते मुकेश ने बताया कि 1942 में सीकर जिले के नीमकाथाना में सेना भर्ती रैली हुई थी, जिसमें बोयतराम डूडी गांव भोड़की से पैदल चलकर पहुंचे थे। ब्रिटिश आर्मी ज्वाइन करने के बाद बोयत राम डूडी ने लीबिया और अफ्रीका में छह मोर्चों पर जंग भी लड़ी। वहां से लौटने के बाद भारतीय सेना में भर्ती हो गए और साल 1957 में रिटायर हुए।
अब 92 साल की पत्नी को मिलेगी पेंशन
भारतीय सेना की राजरिफ से रिटायरमेंट के समय बोयतराम डूडी को बतौर पूर्व सैनिक 19 रुपए की पेंशन दी जाने लगी। पेंशन की राशि समय समय पर बढ़ती रही, जो बढ़कर 35460 रुपए तक पहुंच गई। अब बोयतराम डूडी के निधन के बाद उनकी 92 वर्षीय पत्नी चंदा देवी को आजीवन पेंशन की आधी राशि मिलती रहेगी। बोयतराम डूडी सौ साल की उम्र तक भी स्वस्थ्य थे। अपनी दिनचर्या के काम खुद ही किया करते थे।
गांधी व नेहरू से प्रेरित होकर ज्वाइन की इंडियन आर्मी
बोयतराम डूडी के पोते मुकेश ने बताया कि दादा बोयतराम डूडी इस उम्र में उनको भारतीय सेना की बहादुरी के किस्से सुनाया करते थे। वे कहते थे कि द्वितीय विश्व युद्ध में शेखावाटी के सैनिकों ने बहादुरी का परिचय दिया था। देश लौटने के बाद वे महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू से मिले थे। उन्होंने उनको भारतीय सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। बोयतराम डूडी का 98वां जन्मदिन बड़े धूमधाम से गांव के खेल स्टेडियम में मनाया गया था।