Chhattisgarh: आरक्षण संशोधन विधेयक के पक्ष में राज्यपाल अनुसूईया उइके, विशेष सत्र पर बोलीं -मेरा पूरा सहयोग
राज्यपाल अनुसूईया उइके ने इसका समर्थन किया हैं। शनिवार को उन्होंने रायपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि उन्होंने खुद विधानसभा के विशेष सत्र के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।
छत्तीसगढ़ में आरक्षण शून्य होने के बाद से ही लगातार इस मामले में सियासत हो रही है। आरक्षण के मामले में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण संशोधन विधेयक पास करवाने पर जहां भारतीय जनता पार्टी उचित कदम ना मानते हुए कई सवाल उठा रही है,वहीं राज्यपाल अनुसूईया उइके ने इसका समर्थन किया हैं। शनिवार को उन्होंने रायपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि उन्होंने खुद विधानसभा के विशेष सत्र के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था, इसलिए वह राज्य सरकार को पूरा सहयोग करेंगी।
राज्यपाल की चिठ्ठी की दिशा में उठाया गया कदम !
एक सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंची राज्यपाल अनुसूईया उइके ने कहा, मैंने पूर्व में भी मुख्यमंत्री को इस संदर्भ में चिट्ठी लिखकर बताया था कि यह बहुत ही गंभीर मामला है। छत्तीसगढ़ में सभी सामाजिक और राजनीतिक संगठनों की तरफ से इसकी मांग उठाई जा रही है कि जो आरक्षण 58 फीसदी से कम किया गया है उसको यथावत रखा जाना चाहिए ।
मैंने भी कहा कि जो भी उच्च न्यायलय में हुआ है उसके सरकार को लिए कोई न कोई कदम उठाना चाहिए,फिर चाहे अध्यादेश लेकर आये या विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आगे बढ़ें। उसी दिशा में सरकार की तरफ से यह कदम भी उठाया गया है।राज्यपाल अनुसूईया उइके ने आगे कहा कि, मैं समझती हूं कि कोई न कोई ठोस फैसला विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान हो जाएगा। आरक्षण विधेयक की स्वीकृति से जुड़े एक सवाल पर राज्यपाल अनुसूईया उइके ने कहा, मैंने मुख्यमंत्री को चिट्ठी में ही कहा था कि इस विषय पर मेरा पूरा सहयोग रहेगा।
कैबिनेट में हुआ था आरक्षण संसोधन विधेयक पास
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मसले पर विधानसभा का विशेष सत्र शुरू होने से पहले 24 दिसंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में उनके निवास कार्यालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अब इसे विधानसभा में पेश किया जायेगा। बैठक के बाद बताया गया था कि सरकार ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा, अनुसूचित जातियों,अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 के प्रस्ताव और छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था में प्रवेश में आरक्षण संशोधन विधेयक के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।
विधानसभा से निकलेगा रास्ता
गौरतलब है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य में 50% से अधिक आरक्षण असंवैधानिक बताया था। 2012 तक छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति वर्ग को 16% आरक्षण का लाभ था। 2012 में बदलाव होने के बाद इसे 12 प्रतिशत कर दिया गया। गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी इसी का विरोध करने हाईकोर्ट गई थी लेकिन उसकी तरफ से आदिवासी समाज को दिये जा रहे 32 फीसदी आरक्षण को असंवैधानिक साबित करने के कारण अदालत के आदेश से पूरा आरक्षण रोस्टर खत्म हो चुका है। आरक्षण खत्म होने से आदिवासी समाज समेत कई अन्य वर्ग के लोगों ने जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है। जिसे खत्म करने के लिए सरकार ने विधानसभा का सहारा लिया है।
भानुप्रतापपुर चुनाव में भी आरक्षण का मुद्दा अहम
आरक्षण का मामला भानुप्रतापपुर उपचुनाव में भी अहम मुद्दा बना हुआ है। 2023 में होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर रहे उपचुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। यह सीट कांग्रेस के पास थी,लेकिन अब भाजपा इसे हासिल करने में मेहनत कर रही है। भानुप्रतापुर से विधायक रहे मनोज मांडवी के निधन के बाद हो रहे उपचुनाव के लिए भाजपा ने आदिवासी समाज में पैठ रखने वाले ब्रह्मानंद नेताम को टिकट दिया है। वहीं सर्व आदिवासी ने भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है। भाजपा और सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी जनता से आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए अपने लिए वोट मांग रहे हैं।
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