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पंजाब में चुनाव से ठीक पहले किस तरह से बदल सकते हैं सियासी समीकरण, इन बड़ी खबरों से जानिए

पंजाब कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने के बाद कैप्टन ने कांग्रेस को मात देने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है।

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चंडीगढ़,2 दिसंबर,2021। पंजाब की सत्ता पर क़ाबिज होने के लिए सभी सियासी पार्टियां विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए रणनीति तैयार कर रही है। फिलहाल पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसकी किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन की कोई खबर नहीं आ रही है। हालांकि भाजपा और कैप्टन की पार्टी के गठबंधन के आसार दिख रहे हैं, जल्द ही गठबंधन भी हो जाएगा। वहीं सूत्रों के हवाले से यह खबर आ रही है कि दिसंबर के अंत तक पंजाब के चुनावी रण में एक नया गठबंधन देखने को मिल सकता है। भारतीय जनता पार्टी पीएम मोदी द्वारा कृषि कानून रद्द करने के ऐलान पर सियासी माइलेज लेने में जुटी हुई है, इसके साथ ही कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद पंजाब में सियासी समीकरण बदलते हुए नज़र आ रहे हैं।

कैप्टन अमरिंदर सिंह की चुनावी चाल

कैप्टन अमरिंदर सिंह की चुनावी चाल

कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी को जल्द ही चुनाव आयोग से मज़ूरी मिल जाएगी। इसके बाद कैप्टन की पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन पर चर्चा की जाएगी। वहीं सूत्रों की मानें तो पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को मात देने के लिए दिसंबर की अंत तक एक नया गठबंधन देखने को मिलेगा। चूंकि पंजाब कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने के बाद कैप्टन ने कांग्रेस को मात देने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह का सिर्फ़ एक ही मकसद है कि किसी भी तरह से पंजाब कांग्रेस को सत्ता में नहीं आने देना। इसलिए अब वह एक ऐसी रणनीति तैयार कर रहे हैं जिसके मुताबिक कैप्टन की पार्टी का गठबंधन करेंगे। वहीं दूसरी ओर कैप्टन, शिरोमणि अकाली दल के साथ भी साझा गठबंधन करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। हालांकि शिरोमणि अकाली दल और भाजपा ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर ही गठबंधन तोड़ लिया था। लेकिन अब भाजपा ने कृषि कानून वापस लेने का ऐलान कर दिया है। इसी के आधार पर कैप्टन, शिरोमणि अकाली दल, बसपा और भाजपा के साथ गठबंधन कर किंग मेकर की भुमिका में आना चाह रहे हैं।

किसान संगठन बदलेंगे सियासी समीकरण

किसान संगठन बदलेंगे सियासी समीकरण

पीएम मोदी के कृषि कानून रद्द करने के ऐलान के बाद से संयुक्त किसान मोर्चा किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए राय शुमारी कर रही है। वहीं दूसरी ओर कुछ किसान नेता विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए मोर्चा बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी अपनी सियासी पार्टी बनाकर चुनावी रण में उतरने की बात कर रहे हैं। वहीं सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि जम्हूरी किसान सभा के नेता कुलवंत सिंह संधू भी पंजाब विधानसभा चुनाव में स्वतंत्र रूप से मोर्चा बनाते हुए किसानों को चुनाव के मौदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। गुरनाम सिंह चढूनी के बाद किसान नेता कुलवंत सिंह संधू चुनावी रण में दांव लगाने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो बिना किसी सियासी दलों के साथ गठबंधन करते हुए भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए किसान नेता चुनाव लड़ेंगे। जब भी किसान नेताओं के चुनाव लड़ने की बात आती थी तो संयुक्त किसान मोर्चा इस बात को सिरे से खारिज करते हुए किनार कर लेता था। लेकिन एक बार किसानों के चुनाव लड़ने की चर्चा ज़ोरों पर है। पंजाब के 32 किसान संगठनों में कुछ ऐसे किसान संगठन भी है जिनका राजनीतिक दलों से सम्बंध है।

सिद्धू बना रहे अपनी ही पार्टी पर दबाव

सिद्धू बना रहे अपनी ही पार्टी पर दबाव

पंजाब कांग्रेस की मुश्किले यहीं ख़त्म नहीं हो रही हैं, दूसरी ओर सूत्रों के हवाले से यह भी ख़बर है कि पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी आलाकमान से इस बात का भी ज़िक्र किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए टिकट का बंटवारा उनके (सिद्धू) मुताबिक किया जाए। अगर पार्टी आलाकमान ऐसा नहीं करती है तो चुनाव के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू अपने समर्थक उम्मीदवार को निर्दलीय चुनावी मैदान में उतारेंगे। नवजोत सिंह सिद्धू की बात पंजाब कांग्रेस के लिए चुनौती बन रही है, क्योंकि अगर सिद्धू के मुताबिक सभी सीटों पर टिकट बंटवारा होता है तो चुनाव जीतने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी ठोकेंगे। अगर उस वक्त उनकी बातों को नहीं माना जाएगा तो कही न कहीं पंजाब कांग्रेस की मुश्किले बढ़ जाएगी। वहीं दूसरी ओर अगर आलाकमान नवजोत सिंह सिद्धू की टिकट बंटवारे वाली बात पर सहमती दर्ज नहीं करती है तो वह चुनावी रण में अपने निर्दलीय प्रत्याशी को उतारेंगे। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अगर चुनावी रण में निर्दलीय प्रत्याशी उतारते हैं तो भी पंजाब कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। क्योंकि ऐसा करने से पंजाब कांग्रेस के वोट बैंक मे ही सेंधमारी होगी और पंजाब कांग्रेस सत्ता पर दोबारा क़ाबिज़ होने से भी चूक सकती है।


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English summary
How political equations can change just before the elections in Punjab
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