जानिए आखिर क्यों सुनील जाखड़ को आना पड़ा भाजपा में, कैसे BJP के लिए है ये फायदे का सौदा
नई दिल्ली, 20 मई। पंजाब विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस को शर्मनाक हार का मुंह देखना पड़ा था उसके बाद पार्टी के भीतर फूट साफ नजर आ रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया है। कांग्रेस पार्टी छोड़ने के छह दिन बाद वह भाजपा में शामिल हुए और उन्होंने खुलकर कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल खड़ा किया। बता दें कि जाखड़ तीन बार विधायक रह चुके हैं जबकि एक बार सांसद, लेकिन उन्हें जनता के बीच एक बड़ा नेता का दर्जा हासिल नहीं हो सका, ऐसे में कई लोगों का मानना है कि जाखड़ का भाजपा में जाना जाखड़ और भाजपा दोनों के लिए फायदे का सौदा है।
भाजपा
को
मिला
अनुभवी-बेदाग
चेहरा
एक
तरफ
जहां
भाजपा
को
पंजाब
में
जाखड़
के
रूप
में
एक
अनुभवी
नेता
मिला
है,
जिनकी
छवि
बेदाग
है,
उनपर
कोई
भी
भ्रष्टाचार
का
आरोप
नहीं
है।
वह
बलराम
जाखड़
के
बेटे
हैं,
जोकि
लोक
सभा
में
सबसे
लंबे
समय
तक
स्पीकर
के
पद
पर
रहने
वाले
नेता
हैं,
गांधी
के
बड़े
फॉलोवर
थे।
सुनील
जाखड़
जाट
हिंदू
नेता
हैं।
लेकिन
वह
खुलकर
पंजाब
को
सेक्युलर
प्रदेश
कहते
हैं
और
कहते
हैं
कि
पंजाब
देश
का
सबसे
बड़ा
सेक्युलर
राज्य
है,
यहां
पर
जाति
की
राजनीति
नहीं
है
और
इस
चुनाव
में
यह
साबित
हुआ
है।
सीएम
पद
की
रेस
में
थे
पंजाब
में
कांग्रेस
के
सामने
नेतृत्व
का
संकट
है।
एक
तरफ
जहां
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
ने
पार्टी
को
छोड़
दिया
है।
ऐसे
में
माना
जा
रहा
था
कि
सुनील
जाखड़
सीएम
पद
की
रेस
में
हैं।
लेकिन
अंबिका
सोनी
का
नाम
सामने
आने
के
बाद
जाखड़
पीछे
हो
गए।
दरअसल
अंबिका
सोनी
ने
कहा
था
कि
पंजाब
में
हिंदू
मुख्यमंत्री
बना
तो
पंजाब
में
आग
लग
जाएगी
अंबिका
सोी
के
इस
बयान
पर
जाखड़
ने
तीखा
पलटवार
करते
हुए
सोनिया
गांधी
से
उनके
खिलाफ
कार्रवाई
की
मांग
की
है।
जाखड़
के
लिए
भाजपा
ही
बेहतर
विकल्प
सूत्रों
की
मानें
तो
सुनील
जाखड़
के
पास
कांग्रेस
छोड़ने
के
बाद
दो
विकल्प
थे,
एक
भाजपा
और
दूसरा
आप।
आप
ने
पंजाब
में
117
में
से
92
सीटों
पर
जीत
दर्ज
की
है,
ऐसे
में
संभव
है
कि
जाखड़
को
वो
सम्मान
पार्टी
में
ना
मिल
पाता
जो
भाजपा
में
मिल
पाता।
पंजाब
में
शर्मनाक
हार
के
बाद
भी
पीएम
मोदी
पंजाब
के
सिख
नेताओं
और
सिख
समुदाय
के
करीब
पहुंचे
हैं।
एक
के
बाद
एक
उन्होंने
सिख
धार्मिक
गुरुओं
और
धार्मिक
नेताओं
से
मुलाकात
की।
भाजपा
कांग्रेस
और
अकाली
के
नेताओं
के
पास
भी
जा
रही
है।
अकाली
दल
के
पूर्व
नेता
मनजिंदर
सिंह
सिरसा,
कांग्रेस
नेता
फतेह
जंग
सिंह
बाजवा,
राणा
गुरमीत
सिंह
ने
भी
हाल
ही
में
भाजपा
की
सदस्यता
ली
है।
जाखड़
के
भाजपा
में
शामिल
होने
के
बाद
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
ने
उनकी
तारीफ
करते
हुए
कहा
कि
वह
पार्टी
में
सही
व्यक्ति
हैं।
चिंतन
नहीं
चिंता
शिविर
होना
चाहिए
उदयपुर
में
जो
कुछ
हो
रहा
है
उसे
देखकर
तरस
आ
रहा
है।
जिस
पार्टी
में
50
साल
बिताया
उसे
मैं
जाते
हुए
गिफ्ट
देना
चाहता
हूं।
पार्टी
को
जब
बचाने
का
समय
है
तो
उस
समय
पार्टी
ऐसा
बर्ताव
कर
रही
है
जैसे
देश
का
दायित्व
कांग्रेस
पार्टी
पर
है।
कांग्रेस
मुख्य
विपक्षी
दल
है
लेकिन
उससे
ज्यादा
जरूरी
है
कि
पार्टी
को
कैसे
बचाया
जाए।
पार्टी
को
अगर
बचाने
की
नीयत
होती
तो
यह
चिंतन
नहीं
बल्कि
चिंता
का
शिविर
होता।
अगर
चिंता
होती
तो
यूपी
पर
एक
कमेटी
बननी
चाहिए
थी।
403
सीटों
में
से
390
सीटों
पर
कांग्रेस
पार्टी
के
सदस्य
मैदान
में
थे
उन्हें
2000
वोट
भी
नहीं
मिले।
कांग्रेस
के
नेताओं,
पार्टी
की
और
शीर्ष
नेतृत्व
की
यहां
दुर्दशा
हुई
है।
पंजाब-उत्तराखंड
में
हार
पर
खड़ा
किया
सवाल
कांग्रेस
छोड़ने
के
बाद
फेसबुक
लाइव
के
जरिए
सुनील
जाखड़
ने
कांग्रेस
नेतृत्व
पर
जमकर
निशाना
साधा।
सुनील
जाखड़
ने
कहा
कि
गोवा
में
सरकार
के
खिलाफ
लोगों
की
नाराजगी
थी
लेकिन
फिर
भी
हम
कुछ
खास
नहीं
कर
सके।
उत्तराखंड
और
पंजाब
के
भीतर
उम्मीद
थी
कि
कांग्रेस
अच्छा
करेगी
और
पार्टी
यहां
सरकार
बनाएगी।
लेकिन
उत्तराखंड
में
हमारे
सीएम
उम्मीदवार
हरीष
रावत
पंजाब
के
प्रभारी
थे।
उनका
एक
पैर
पंजाब
में
था
और
दूसरा
पैर
उत्तराखंड
में
था।
कांग्रेस
पार्टी
की
जो
दुर्दशा
हुई
है
उसमे
बड़ा
रोल
रावत
जी
का
है।
अंबिका
सोनी
पर
बरसे,
सोनिया
से
की
मांग
अंबिका
सोनी
पर
हमला
बोलते
हुए
जाखड़
ने
कहा
कि
भारत
एक
सेक्युलर
देश
है,
उसमे
सबसे
सेक्युलर
प्रांत
पंजाब
है।
लेकिन
आज
एक
छोटी
सोच
का
छोटा
नेता
बड़े
पद
पर
है,
उसकी
जुबान
ने
वो
काम
किया
जो
एके-47
की
गोलियां
भी
नहीं
कर
सकी।
पंजाब
चुनाव
में
सिखों
ने
अकाली
को,
हिंदुओं
ने
भाजपा
को
वोट
नहीं
दिया।
दलितों
ने
कांग्रेस
को
वोट
नहीं
दिया।
पंजाब
ने
पंजाबियित
को
वोट
दिया।
सोनिया
जी
राजनीति
पूरे
देश
में
कर
लीजिएगा,
लेकिन
पंजाब
को
बख्श
दीजिए।
पंजाब
को
जाति
के
आधार
पर
मत
देखिए।
पंजाब
एक
है।
अंबिका
सोनी
की
एक
जुबान
ने
ना
सिर्फ
कांग्रेस
का
डुबोया
बल्कि
सिख,
हिंदुओं
को
डुबोया।
अंबिका
सोनी
से
पूछिए
कि
सिखवाद
क्या
है।
उन्होंने
कहा
कि
अगर
पंजाब
में
हिंदू
मुख्यमंत्री
बनेगा
तो
पंजाब
में
आग
लग
जाएगी।
ऐसी
सलाहकार
से
सोनिया
गांधी
से
पूछना
चाहिए,
उन्होंने
ऐसा
क्यों
कहा।
उनके
इस
बयान
ने
बड़ा
नुकसान
पहुंचाया
है।
उन्होंने
पूरे
समुदाय
पर
सवाल
खड़ा
किया
है।