पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद मुश्किल में AAP, जानिए क्यों ?
नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। चंडीगढ़ में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी आम आदमी पार्टी के लिए मेयर पद की दावेदारी के लिए मुश्किलें बनी हुई है।
चंडीगढ़,
28
दिसंबर,
2021।
नगर
निगम
चुनाव
में
आम
आदमी
पार्टी
सबसे
बड़ी
पार्टी
बन
कर
उभरी
है।
चंडीगढ़
में
सबसे
बड़ी
पार्टी
बनने
के
बाद
भी
आम
आदमी
पार्टी
के
लिए
मेयर
पद
की
दावेदारी
के
लिए
मुश्किलें
बनी
हुई
है।
35
वार्डों
के
चुनाव
के
नतीजे
घोषित
होने
के
बाद
किसी
भी
सियासी
दल
को
पूर्ष
बहुमत
नहीं
मिल
पाया
है।
ग़ौरतलब
है
कि
चंडीगढ़
में
मेयर
बनाने
के
लिए
कम
से
कम
19
पार्षदों
की
ज़रूरत
होगी।
आंकड़े
की
बात
की
जाए
तो
आम
आदमी
पार्टी
के
खाते
में
14
सीटें
आईं,
भारतीय
जनता
पार्टी
ने
12
सीटों
पर
क़ब्ज़ा
जमाया,
तो
कांग्रेस
को
8
सीटों
पर
ही
संतोष
करना
पड़ा।
वहीं
शिरोमणि
अकाली
दल
के
खाते
में
1
सीट
आई।
आम
आदमी
पार्टी
मेयर
पद
की
दावेदारी
में
5
सीटों
से
चूक
गई।
किसके सिर सजेगा का मेयर का ताज ?
चंडीगढ़ में मेयर किस पार्टी का बनेगा यह सवाल सभी लोगों के ज़ेहन में घर कर रहा है। पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले चंडीगढ़ में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बवाजूद आम आदमी पार्टी मुश्किल में है। क्योंकि मेयर की दावेदारी के लिए 19 पार्षदों की ज़रूरत है लेकिन आम आदमी पार्टी के पास सिर्फ़ 14 ही पार्षद हैं। वहीं पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी अभी किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करने से भी परहेज़ कर रही है। अगर आम आदमी पार्टी मेयर बनाने के लिए किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करती है तो कहीं न कही पंजाब विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है। इस वजह से गठबंधन की संभावना बहुत ही कम है।
पंजाब चुनाव पर पड़ेगा असर
सियासी जानकारों की मानें तो पजाब में क़रीब दो महीने बाद चुनाव है, इस वजह से कोई भी राजनीतिक दल चाहे वह आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी या फिर कांग्रेस पार्टी हो गठबंधन करने से कतराएगी। इस वक्त अपने विपक्षी दल से चंडीगढ़ में मेयर पद की दावेदारी के लिए कोई भी पार्टी गठबंधन करती है तो इसका सीधा असर पंजाब चुनाव पर पड़ेगा। आम आदमी पार्टी के पास 14 पार्षद है और उसे मेयर पद की दावेदारी के लिए पांच पार्षदों की ज़रूरत है। इसलिए क़यास ये भी लगाए जा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करते हुए जोड़-तोड़ की राजनीति कर सकती है। 'आप' की यही कोशिश रहेगी की विपक्षी दलों के पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल कर लें। अगर आम आदमी पार्टी इस फ़ॉर्मूले पर कामयाब नहीं हो पाती है तो मुमकिन है कि कमिश्नर ही नगर निगम प्रमुख के तौर पर काम कर सकते हैं।
गठबंधन से परहेज़ कर रही पार्टियां
पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले अगर आम आदमी पार्टी गठबंधन करती है तो कुछ इस तरह के समीकरण बन सकते हैं। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन करती है तो आप और कांग्रेस के मिलाकर (14+8=22) 22 पार्षद हो जाएंगे। जो कि बहुमत के आंकड़े से ज़्यादा ही हो जाएंगे। लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन होने के आसार बहुत ही कम हैं क्योंकि इसका असर पंजाब चुनाव पर पड़ेगा। पंजाब में कांग्रेस 5 साल से सत्ता में है और आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी दल की भूमिका मे है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दोनों गठबंधन करने से परहेज़ ही करेंगे। वहीं भाजपा के साथ आम आदमी पार्टी किसी भी हाल में गठबंधन नहीं कर सकती है। वहीं भाजपा जोड़-तोड़ की राजनीति नहीं करना चाहेगी क्योंकि ऐसा करने से भाजपा की एक अलग छवी बनेगी की सत्ता के लिए भाजपा कुछ भी कर सकती है। पंजाब विधानसभा चुनाव सिर पर है इसलिए भाजपा किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहेगी। अब देखने वाली बात यह है कि आखिर किसके सिर चंडीगढ़ का ताज सजेगा ?
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