सिद्धू की टाइट फील्डिंग, दो CM के विकेट गिराये, तीसरे का भी गिरेगा !
चंडीगढ़, 21 दिसंबर। राजनीतिक उठापटक के बीच पंजाब का चुनाव अब संवेदनशील रूप ले रहा है। दो दिन में धार्मिक बेअदबी की दो घटनाएं और दो मौत। क्या चुनाव से पहले राज्य में अमन-चैन को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है ? इस मामले में पंजाब पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं।
आरोप लग रहा है कि पुलिस, कांग्रेस सरकार के दबाव में काम कर रही है। रविवार को जब कपूरथला के एसएसपी और आइजी प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे उस दरम्यान उन्हें आठ फोन कॉल आये। फिर उन्होंने अपना बयान बदल लिया। क्या मॉब लिंचिंग करने वालों को राजनीतिक कारणों से बचाया जा रहा है? सीएम चन्नी के खिलाफ आग उगलते रहे नवजोत सिद्धू ने अब बेअदबी मामले पर आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। चुनाव से पहले कांग्रेस की राजनीति अचानक नये मोड़ पर खड़ी हो गयी है।
कांग्रेस सरकार पर पक्षपात का आरोप
कपूरथला बेअदबी मामले में पंजाब पुलिस पक्षपात के आरोप में घिर गयी है। आरोप है कि चन्नी सरकार के दबाव में पुलिस मॉब लिंचिंग करने वालों को बचाने की कोशिश कर रही है। कपूरथला के निजामपुर में एक युवक पर आरोप लगा था कि उसने निशान साहिब हटाने की कोशिश की थी। इसके आरोप में भीड़ ने उसे पीट-पीट कर मार डाला। शुरुआती जांच के मुताबिक पुलिस ने ग्रंथी और उसके दो बेटों को हिरासत में लिया था। लेकिन स्थानीय लोगों ने सड़क जाम कर ऐसा दबाव बनाया कि कुछ देर के बाद पुलिस ने इन तीनों को छोड़ दिया। इस मामले में आइजी और कपूरथला के एसएसपी प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे। शुरू में उन्होंने बताया कि इस मामले में दो एफआइआर दर्ज किये गये हैं। एक केस बेअदबी के मामले में और दूसरा केस हत्या के मामले में। हत्या के मामले में चार को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। ये दोनों पुलिस अफसर मीडियाकर्मियों को जांच के बारे में बता ही रहे थे कि उन्हें बार-बार 'ऊपर' से फोन आने लगे। करीब आठ फोन आये। इसके बाद दोनों पुलिस अधिकारियों का रुख बदल गया। वे अपनी पहले की बात से पलट गये। तब उन्होंने कहा, इस घटना में हत्या की कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है। किसी भी आरोपी की पहचान नहीं हुई है। पूरे मामले की अभी जांच ही चल रही है। पुलिस के दो बड़े अफसरों का प्रेस के सामने यूं मुकर जाना हैरान करने वाला था। इसके बाद आरोप लगने लगा कि चन्नी सरकार पुलिस पर दबाव बना रही है। आरोपियों को बचाने के लिए ही बार बार फोन किये गये।
सिद्धू की आक्रामक बैटिंग
पंजाब में धार्मिक बेअदबी का मामला एक अतिसंवेदनशील विषय है। चुनाव के पहले ऐसी घटनाओं की पुनरावृति चिंता का विषय है। क्या चुनावी फायदे के लिए सिख समुदाय की भावनाओं को भड़काने की साजिश हो रही है ? पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इस मामले में आक्रामक रुख अपना लिया है। उन्होंने कहा है कि किसी धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी हो, यह एक गंभीर अपराध है। ऐसा करने वालों को सामने ला कर फांसी लगा देनी चाहिए। लेकिन सिद्धू ने मॉब लिंचिंग के आरोपियों के बारे में कुछ नहीं कहा। मान लिया जाय कि किसी व्यक्ति पर अगर कोई गंभीर आरोप लगता तो क्या भीड़ को अधिकार है कि वह आरोपी की पीट पीट कर मार दे? क्या हत्या के आरोपियों को सजा नहीं मिलनी चाहिए ? अगर बेअदबी गंभीर अपराध है तो हत्या भी गंभीर अपराध है। तो फिर सिद्दू केवल बेअदबी के मामले को ही क्यों उठा रहे हैं ? कथित बेअदबी की घटना जब जांच के अधीन है तो फिर किसी को पहले ही कैसे दोषी ठहरा दिया गया? जाहिर है वे सिख समुदाय की सहानुभूति बटोरने के लिए सिद्धू ऐसा कर रहे हैं।
“दो सीएम के विकेट गिराये, तीसरे का भी गिरेगा”
राहुल और प्रियंका गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को मैच जिताऊ खिलाड़ी समझ कर टीम में प्रमोट किया था। लेकिन सिद्धू अपनी ही टीम के लिए मुसीबत बन गये हैं। शायद ही ऐसा कोई दिन हो जब वे मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की धज्जियां उड़ाने से बाज न आएं। सिद्धू ने रविवार को कहा, पहले भी मैंने दो मुख्यमंत्रियों की साजिशों का सामना किया था। उन्होंने मुझे खत्म करने की कोशिश की। लेकिन वे खुद सत्ता से बाहर हो गये। अब वही काम एक और (सीएम) शख्स कर रहा है। लेकिन वह भी गायब हो जाएगा। सिद्धू के कहने का मतलब है कि उन्होंने दो मुख्यमंत्रियों के विकेट गिरा दिये। एक प्रकाश सिंह बादल और दूसरे कैप्टन अमरिंदर सिंह। सिद्धू जब अमृतसर भाजपा सांसद थे तब उनकी मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (अकाली दल) से ठन गयी थी। सिद्धू का आरोप था कि सहयोगी होने के बाद भी बादल सरकार उनको कमजोर करने के लिए अमृतसर के विकास की अनदेखी कर रही है। जब भाजपा ने उनकी शिकायत का निराकऱण नहीं किया तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी। उन्होंने बादल सरकार को हराने के लिए कमर कस ली। 2017 के चुनाव से पहले वे कांग्रेस में आ गये। संयोग से अकाली दल की हार हो गयी। प्रकाश सिंह बादल को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। कांग्रेस को सत्ता मिली। कैप्टन अमरिंदर सिंह नये मुख्यमंत्री बने। लेकिन कैप्टन से भी सिद्धू की जंग हुई। सिद्धू जीते। कैप्टन को भी कुर्सी छोड़नी पड़ी। अब सिद्दू की चरणजीत सिंह चन्नी से फाइट चल रही है। उन्होंने परोक्ष रूप से चन्नी को चेतावनी दी है कि उनका भी हस्र बादल और कैप्टन की तरह ही होगा।