पंजाब में बीजेपी की नई रणनीति, विरोधी खेमे में शुरू की सेंधमारी
भारतीय जनता पार्टी को किसान आंदोलन से नुकसान होने का डर सता रहा है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने तीन कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन के चलते अब नई रणनीति तैयार की है।
चंडीगढ़, अगस्त 7, 2021। पंजाब चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने हर मुमकिन कोशिश करनी शुरू कर दी है। भारतीय जनता पार्टी को किसान आंदोलन से नुकसान होने का डर सता रहा है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने तीन कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन के चलते अब नई रणनीति तैयार की है। इस रणनीति के तहत भारतीय जनता पार्टी विरोधी राजनीतिक दलों के खेमों में सेंधमारी करनी शुरू कर दी है।
भारतीय जनता पार्टी ने अपने पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल से नाख़ुश नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करना शुरू कर दिया है। इसके साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी की नज़र आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं पर भी है। भारतीय जनता पार्टी ने यह क़दम ख़ास तौर से किसान आंदोलन के प्रभाव को कम करने के लिए उठाया है। भारतीय जनता पार्टी यह दिखाने की कोशिश में है कि पंजाब में पार्टी और उसके कार्यकर्ता अलग-थलग नहीं है। यह सब सिर्फ़ एक सोची-समझी रणनीति है।
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पिछले महीने जुलाई में गुरचरण सिंह मान सहित कई शिरोमणि अकाली दल नेताओं को बठिंडा से भाजपा में शामिल किया गया था। गुरचरण सिंह मान शिरोमणि अकाली दल के किसान मोर्चा के सदस्य थे और उन्हें प्रगतिशील खेती के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। वहीं नई दिल्ली में बीते सोमवार को आयोजित एक समारोह में शिरोमणि अकाली दल के पांच आला अधिकारी को राष्ट्रीय और राज्य नेतृत्व की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता दिलाई गई। इनमें शिरोमणि अकाली दल महिला विंग की पूर्व केंद्रीय मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया की बेटी पूर्व राष्ट्रीय महासचिव अमनजोत कौर रामूवालिया, संगरूर से पार्टी के उपाध्यक्ष चंद सिंह चट्ठा और गुरदासपुर जिले के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बलजिंदर सिंह डकोहा शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी की संपर्क में कई पार्टियों के कई नेता हैं। पार्टी से जुड़ने की ख़्वाहिश का कई लोगों ने इज़हार किया है।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता तरुण चुग ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल ने हमसे नाता तोड़ लिया तो हम उनकी पार्टी के नेताओं के लिए अपना दरवाज़ा खोलने के लिए आज़ाद हैं। भाजपा पंजाब में उन सभी जगहों पर अपनी जड़े मज़बूत करना चाहती है जहां अकालियों के साथ गठजोड़ की वजह से पहले उनकी मज़बूती नहीं थी। तरुण चुग ने कहा कि हमारे लिए अकालियों से गठबंधन सही नहीं रहा, उन्होंने हमेशा अपने हितों को हमारे सामने रखा जिसकी वजह से हमें नुकसान हुआ।
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आपको बता दें कि अकाली दल ने कृषि विधेयक की वजह से पंजाब में भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन तोड़ कर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। अगर अकाली दल भाजपा के साथ चुनाव लड़ती तो उसे किसानों के बड़े वोट बैंक से हाथ धोना पड़ता। ग़ौरतलब है कि पंजाब के कृषि प्रधान क्षेत्र मालवा में अकाली दल की पकड़ है। अकाली दल को 2022 के विधानसभा चुनाव दिखाई दे रहे हैं। 2017 से पहले अकाली दल की राज्य में लगातार दो बार सरकार रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में से अकाली दल को महज 15 सीटें मिली थीं। ऐसे में 2022 के चुनाव से पहले अकाली दल किसानों के एक बड़े वोट बैंक को अपने ख़िलाफ़ नहीं करना चाहता है।