बिहार में शिक्षा का 'पोस्टमार्टम', इंटर टॉपर कहती है पॉलिटिकल साइंस का मतलब 'खाना विज्ञान'
पटना।
ई
का
बेटा,
नाम
व
नंबर
तोहरे
हा
ने।
हां,
माई,
हमरे
हा।
फिर
तोहार
मेरिट
पर
इतना
हंगामा
काहे।
उ
कुछ
ना
माई,
500
के
जगह
600
कह
देनी
हल।
तोहरा
तो
पते
बा,
मास्टरों
साहब
के
उतना
ज्ञान
नइखे
की
हमरा
के
समझा
पाईं।
यह
व्यंग
आज
के
शिक्षा
व्यवस्था
पर
बहुत
बड़ा
तमाचा
है
कि
जो
टॉप
करता
है
उसे
पता
नहीं
होता
कि
कुल
कितने
मार्क्स
का
इम्तिहान
उन्होंने
दिया
है।
कोई
पालिटिकल
साइंस
का
मतलब
खाना
विज्ञान
कहता
है।
लेकिन
ऐसी
कई
खबर
सामने
आई
हैं
जिसमें
मास्टर
साहब
का
स्तर
भी
काफी
निम्न
स्तर
का
दिख
रहा
है।
शर्मनाक:
स्कूल
में
छात्राओं
को
I
Love
You
कहते
हैं
गुरु
जी,
कराते
हैं
बॉडी
मालिश
पिछले वर्ष परीक्षा में सामूहिक नकल की तस्वीरें देश-विदेश की मीडिया में छाई रहीं। शिक्षा विभाग ने इस वर्ष नकल रोकने के लिए काफी कड़ाई की थी। अब रिजल्ट में 'खेल' की बात सामने आने पर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने घोषणा की है कि इंटर के सभी तीनों संकायों के पांच-पांच टॉपर की उत्तर पुस्तिकाओं की फिर जांच होगी।
उनका साक्षात्कार भी लिया जाएगा, ताकि पता चल सके कि वे टॉपर होने के योग्य हैं कि नहीं। वैशाली जिले के निवासी इंटर साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ की योग्यता पर भी सवाल खड़े हुए हैं। उसे इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन के बारे में भी पता नहीं है। सौरभ श्रेष्ठ को इंटर साइंस में 500 में से 426 अंक मिले हैं। मजेदार बात यह है कि दोनों टॉपर एक ही 'विवादित' कॉलेज के विशुन राय कॉलेज भगवानपुर वैशाली के छात्र हैं। यह कॉलेज पिछले साल भी विवाद में आया था। रिजल्ट में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री पीके शाही ने कॉलेज का रिजल्ट रोक दिया था।