घोटालेबाजों का अखाड़ा बना बिहार, टापॅर्स घोटाले के बाद अब पुलिस का "डुमरांव" घोटाला
पटना
(मुकुंद
सिंह)।
बिहार
में
एक
के
बाद
एक
घोटाले
लगातार
सामने
आ
रहे
हैं।
जहां
चर्चित
टॉपर
घोटाले
का
मामला
पूरी
तरह
सुलझा
नहीं
था
कि
बीएड
घोटाले
का
मामला
सामने
आकर
सभी
को
चौंका
दिया।
तो
अब
पुलिस
के
डुमरांव
घोटाला
सामने
आया
हैं।
जिसमें
एक
महिला
आईपीएस
के
द्वारा
ऑफिस
के
लिए
खरीदा
हुआ
सामान
अपने
घर
ले
जाने
तथा
बचे
हुए
पैसे
को
अपने
अकाउंट
में
ट्रांसफर
करने
का
मामला
प्रकाश
में
आया
है।
आपको
बताते
चलें
कि
वर्ष
2006
बैच
की
महिला
आईपीएस
अनुसूया
राणसिंह
साहू
जो
वर्तमान
में
एसपी
सीआईडी
है।
बिहार
में
'टॉपर
फैक्ट्री',
जानें
कितने
लाख
में
बनते
हैं
टॉपर
जांच करने गई टीम को सरकारी पैसों से खरीदे हुए ना तो सामान मिले ना ही बिल। जिसके बाद जांच टीम ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ सरकार को यह बताया कि महिला आईपीएस के द्वारा सामान खरीद में धांधली की गई है। जिसके बाद सरकार ने विजिलेंस के डीजी और प्रदेश के डीजीपी पीके ठाकुर को मामले में उक्त महिला आईपीएस के खिलाफ कारवाई करने का आदेश जारी कर दिया। हालांकि अब तक इसके खिलाफ पुलिस के अधिकारियों द्वारा कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है।
वहीं जब इस मामले में पुलिस के मुखिया पीके ठाकुर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले में कार्रवाई करने की तैयारी चल रही है। जल्द ही उक्त महिला आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन कर सभी को सूचित किया जाएगा।
जानिए कैसे हुआ घोटाला?
26 सितंबर 2012 को डुमराव के सैन्य पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में महिला आईपीएस अधिकारी अनुसूया रंजीत सिंह साहू ज्वाइन की थी। जॉइनिंग होते ही महिला आईपीएस के द्वारा सरकारी पैसों से ऑफिस के लिए कई सामानों की खरीदारी की गई थी। लेकिन अचानक डुमराव का सैन्य पुलिस प्रशिक्षण केंद्र वहां से हटाते हुए पटना ले आया गया। पटना आने के बाद डीजी के एस द्विवेदी एक दिन पटना स्थित प्रशिक्षण केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे।
तो उन्हें पता चला कि महिला आईपीएस के द्वारा 50,601 रुपए का कंप्यूटर 14,982 रुपए के टेबल चेयर आदि खरीदी ही सामान वहां नहीं पहुंची है। जिसके बाद उन्होंने डीजी ट्रेनिंग के जरिए महालेखाकार के संस्थान में खरीदे गए सभी सामानों का भौतिक सत्यापन करने का आदेश जारी कर दिया। साथ ही एक टीम बनाते हुए मामले की जांच करने का आदेश दिया। वहीं जांच के बाद यह पता चला कि सामान खरीदी के नाम पर सरकारी राशि को निकालते हुए वित्तीय अनियमितता धोखाधड़ी की गई है। जिसके बाद डीजी ट्रेनिंग ने संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर उक्त महिला आईपीएस के खिलाफ कार्यवाही करने का आदेश जारी किया था।