क्या है हिसार से हाफिज का कनेक्शन और कैसे हुई लश्कर की शुरुआत
लाहौर। सोमवार को मुंबई हमलों के एक मुख्य अभियुक्त डेविड हेडली ने अमेरिका के शिकागो कोर्ट से मुंबई की स्पेशल कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया।
इस बयान में उसने साफ-साफ कहा कि उसकी मुलाकात पाकिस्तान में आतंकी और लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया हाफिज सईद से हुई थी।
हाफिज ने उसे बताया था कि कैसे कश्मीर में इंडियन आर्मी के खिलाफ युद्ध जारी रखने के लिए वहां के लोगों की मदद की जा रही है।हाफिज सईद भारत का एक ऐसा दुश्मन है जो पाकिस्तान में ही है लेकिन उसे पकड़ना या उस पर शिंकजा कसना एक टेढ़ी खीर है।
सईद को लेकर भारत की बेचारगी इस बात से ही जाहिर हो जाती है कि भारत के पास सुबूतों के होते हुए भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
सईद को पाक सेना का संरक्षण मिला हुआ है और अब हालात यह हैं कि पाक में उसकी देखरेख में कई आतंकी संगठन तैयार हो चुके हैं।अमेरिका ने हाफिज को मोस्ट वांटेंड डिक्लेयर कर उसके सिर पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया हुआ है।
एक नजर डालिए कौन है यह मोस्ट वांटेंड टेररिस्ट हाफिज सईद और उसने कैसे शुरू किया लश्कर-ए-तैयबा जैसा खतरनाक आतंकी संगठन।
हरियाणा से नाता
हाफिज सईद का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा में हुआ था। उसके पिता कमाल-उद-दिन एक किसान थे। वर्ष 1947 में उसका परिवार हरियाणा से पाकिस्तान पहुंचा था। हरियाणा के हिसार में उसका परिवार रहता था।
परिवार में 36 सदस्य
बंटवारे के समय सईद के परिवार ने हिसार से लाहौर जाते समय अपने परिवार के 36 सदस्यों को खो दिया था।
2002 में की दूसरी शादी
हाफिज सईद का पूरा नाम हाफिज मुहम्मद सईद है और उसकी शादी हो चुकी है। उसकी पत्नी का नाम माइमूना है। इसके बाद वर्ष 2002 में हाफिज सईद ने दूसरी शादी की। हाफिज की दूसरी पत्नी उससे 28 वर्ष छोटी है और वह कश्मीर में वर्ष 2000 में मारे गए आतंकी अबू मूसा की विधवा था। उसकी दूसरी शादी ने संगठन के अंदर काफी विवाद पैदा किया था।
इस्लामिक आइडियोलॉजी काउंसिल में नियुक्ति
जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक ने हाफिज को इस्लामिक विचारधारा से जुड़ी एक काउंसिल में नियुक्त कर दिया। इसके बाद वह पाकिस्तान की इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज का टीचर बन गया।
हायर स्टडीज था मकसद
हाफिज सईद वर्ष 1980 की शुरुआत में हायर स्टडीज के लिए सऊदी अरब गया था। यहां पर उसकी मुलाकात सऊदी शेख से हुई जो कि अफगान जेहाद में शामिल थे। इन्हीं शेख ने हाफिज को एक प्रोफेसर जफर इकबाल के साथ आने कहा। प्रोफेसर इकबाल अफगानिस्तान में आतंकियों का समर्थन कर रहे थे।
1987 में बनाया पहला संगठन
वर्ष 1987 में हाफिज सईद ने मरकज दावा-वल-इरशाद का संगठन किया। फिर इस संगठन ने अपनी जड़ें फैलाना शुरू किया और वर्ष 1990 में उसने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शुरुआत कर दी जिसमें आईएसआई के कई आफिसर्स ने उसकी मदद की।
कश्मीर में अशांति फैलाना
लश्कर-ए-तैयबा का पहला मकसद भारत के जम्मू कश्मीर में हिंसा और अशांति फैलाना था। हाफिज ने भी यह बात कही थी, 'जब तक भारत कश्मीर में शामिल रहेगा, शांति नहीं रह पाएगी। भारतीयों को काट डालों और तब तक काटो जब तक वे घुटनों पर बैठकर तुमसे रहम न मोंगे।'
अरबी भाषा का उस्ताद
हाफिज सईद के पास मास्टर्स की दो डिग्रियां हैं। उसने पंजाब प्रांत से इस्लामिक स्टडीज में मास्टर्स किया और फिर सऊदी अरब की किंग सऊद यूनिवर्सिटी से अरबी भाषा में मास्टर्स डिग्री हासिल की।
इस्लाम पर दिया भाषण
वर्ष 1994 में हाफिज सईद अमेरिका गया था। यहां पर उसने बोस्टन, ह्यूस्टन और शिकागो में स्थित इस्लामिक सेंटर्स में भाषण दिए थे।
अमेरिका ने घोषित किया इनाम
वर्ष 2008 के हमलों के बाद अमेरिका ने हाफिज सईद को ग्लोबल टेरिरस्ट घोषित किया। इसके बाद अप्रैल 2012 में अमेरिका ने मुंबई हमलों के सिलसिले में सईद पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित कर दिया।
मोस्ट वांटेंड टेररिस्ट
11 मई 2011 को भारत की ओर से 50 लोगों की लिस्ट पाकिस्तान को सौंपी गई। इस लिस्ट में भारत ने हाफिज सईद का नाम सबसे ऊपर रखा था।