पाकिस्तान को बड़ी राहत देने पर विचार कर रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप, एक वादे के बाद वापस मिल सकती है सुरक्षा रकम
वॉशिंगटन। एक अमेरिकी अखबार की ओर से जानकारी दी गई है कि अमेरिका, पाकिस्तान के उस सिक्योरिटी फंड को दोबारा शुरू कर सकता है, जो उसने रोक दिया है। अमेरिकी अखबार के मुताबिक पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका को रिश्ते बहाल करने के मकसद से एक असाधारध मौके की पेशकश की है। आपको बता दें कि अमेरिका ने पाकिस्तान को मिलने वाली मदद की एक बड़ी धनराशि पर रोक लगा दी है। पाकिस्तान को इस समय बड़ी राहत की जरूरत है और वह क्रैश क्रंच का सामना करने को मजबूर है।
फंड्स में कटौती गलत फैसला
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले माह पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन हुआ है, उसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके सलाहकारों की तरफ से सलाह दी गई है। इस सलाह में कहा गया है कि अब समय आ गया है जब अमेरिका को पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद फिर से शुरू कर देनी चाहिए जिसे रोक दिया गया था। अखबार में पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत के हवाले से लिखा गया है कि अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को मिलने वाले सिक्योरिटी फंड्स में कटौती करना एक गलत फैसला था।
दो दशक से बिगड़े हैं रिश्ते
अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रिश्ते पिछले दो दशकों से खराब चल रहे हैं। 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के साथ दुनिया ने सबसे खतरनाक आतंकी हमला देखा और झेला था। 9/11 के हमले के बाद दक्षिण एशिया के अहम देश पाकिस्तान पर आतंकियों को सुरक्षित पनाहगार मुहैया कराने के आरोप लगते रहते हैं। वॉशिंगटन पोस्ट की मानें तो ट्रंप प्रशासन पर इस बात को लेकर माथापच्ची जारी है कि पाकिस्तान को मिलियन डॉलर की जो मदद देने से इनकार किया गया था क्या उसे फिर से शुरू करना चाहिए। लेकिन पाकिस्तान को यह साबित करना होगा कि वह अपनी सरजमीं पर आतंकी संगठनों को सुरक्षित पनाहगार देने के अपने फैसले पर विचार करने को तैयार है।
ट्र्रंप प्रशासन की नजरें इमरान पर
अमेरिका इस बात को साफ कर चुका है कि पाकिस्तान ने अभी तक तालिबान और अफगानिस्तान बॉर्डर पर दूसरे आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं की है। इस बात से अमेरिका काफी परेशान है। अमेरिका की मानें तो पाकिस्तान का यह रवैया आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में रोड़ा साबित हो रहा है। वॉशिंगटन पोस्ट ने हालांकि यह भी लिखा है कि आपसी भरोसे की कमी और रकम को वापस शुरू करने के रास्ते में कई चुनौतियां हैं, जिसकी वजह से फैसला लेने में दिक्क्त हो सकती है।