पाकिस्तान की भड़काने वाली हरकत, चेतावनी के बावजूद गिलगित-बाल्टिस्तान पर उठा रहा है बड़ा कदम
इस्लामाबाद, 1 अगस्त: भारत ने शुक्रवार को ही पाकिस्तान को हिदायत दी थी कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे वे इलाके जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं, वो उसे फौरन खाली कर दे। पहले इमरान खान की सरकार ने गैर-कानूनी तरीके से पीओके में चुनावी नौटंकी की है और अब खबरें हैं कि वह गिलगित-बाल्टिस्तान को अस्थाई तौर पर प्रांत का दर्जा देने के लिए कानून फाइनल कर चुका है। बता दें कि इमरान सरकार पिछले साल से ही इस कोशिशों में लगी हुई है और इसके लिए उसने अपने विपक्षियों को भी साथ लिया है और सेना से भी इजाजत ले रखी है।
गिलगित-बाल्टिस्तान को अस्थाई प्रांत का दर्जा देने का कानून तैयार-रिपोर्ट
पाकिस्तान ने रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण गिलगित-बाल्टिस्तान को अस्थाई प्रांत का दर्जा देने वाला कानून फाइनल कर लिया है। जबकि, भारत ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का कोई अधिकार नहीं है और वह इन इलाकों पर गैर-कानूनी तरीके से जबरन कब्जा कर रखा है। रविवार को आई खबरों के मुताबिक पाकिस्तान ने इसे अस्थाई प्रांत का दर्जा देने वाला कानून तैयार कर लिया है। जबकि, भारत बार-बार यह कह चुका है कि इन इलाकों पर पाकिस्तान सरकार या वहां की न्यायपालिका का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि इसपर जबरन कब्जा किया गया है और वह अवैध तरीके से उसके कब्जे में है। डॉन अखबार की खबर के मुताबिक प्रस्तावित कानून के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान के सर्वोच्च अपीलीय अदालत को खत्म किया जा सकता है और क्षेत्र के चुनाव आयोग को पाकिस्तानी चुनाव आयोग के साथ मिलाया जा सकता है।
भारत की सख्त चेतावनी के बावजूद नहीं मान रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान के कानून मंत्रालय के सूत्रों ने बाताया है कि '26वां संविधान संसोशधन विधेयक' नाम से ड्राफ्ट बिल तैयार किया जा चुका है और पाकिस्तानी पीएम इमरान खान को सौंप दिया गया है। जुलाई के पहले हफ्ते में ही इमरान ने यह कानून बनाने की जिम्मेदारी कानून मंत्री बैरिस्टर फरोग नसीम को दी थी। सूत्रों के मुताबिक यह कानून पाकिस्तान के संविधान, अंतरराष्ट्रीय कानून और बाकी प्रावधानों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। दावा तो यहां तक किया गया है कि इसपर गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की कथित सरकारों से भी सलाह ली गई है। प्रस्ताव के मुताबिक क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे अस्थाई प्रांत का दर्जा दिया जा रहा है। इस कानून के पास हो जाने पर संसद में यहां का प्रतिनिधित्व मिलेगा और प्रांतीय विधानसभा की स्थापना होगी। दो दिन पहले ही भारत ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी थी कि वह इन इलाकों के मसलों से दूर रहे और भारतीय इलाकों पर से अवैध कब्जा खत्म करे।
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पाकिस्तानी सेना की इजाजत से बो रही है ये हरकत
पाकिस्तान के सरकारी सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान का यह संविधान संशोधन उसके कश्मीर मसले को किसी तरह से प्रभावित नहीं करेगा। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान की इस हरकत की नींव पिछले साल पाकिस्तानी सरकार और विपक्ष के बीच हुई बैठक में ही पड़ गई थी, जिसपर बाद में पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने भी अपनी मुहर लगा दी थी। पाकिस्तान के एक विपक्षी नेता के मुताबिक चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के चलते गिलगित-बाल्टिस्तान की अहमियत और ज्यादा बढ़ गई है। क्योंकि, सीपीईसी अब पाकिस्तान के लिए गले की नस बन चुका है। गौरतलब है कि भारत पीओके के जरिए गुजरने वाले इस प्रोजेक्ट के खिलाफ चीन से भी विरोध जता चुका है। कयास यहां तक लगाए जा रहे हैं कि कश्मीर पर भारत की बदली हुई नीति और नजरिए से भी पाकिस्तान परेशान है और वह इस जल्दबाजी में है कि भारत के जिन इलाकों पर उसका अवैध कब्जा है, उसे किसी न किसी तरह से कुछ कानूनी दायरे में ले आए।