ICJके फैसले पर पाकिस्तान की घर में ही आलोचना, विशेषज्ञों ने कहा पाक ने की एक बड़ी गलती
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) के फैसले के बाद पाकिस्तान के घर में ही शुरू हुई आलोचना। फैसले से पाकिस्तान में हैरानी और निराशा।
इस्लामाबाद। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) ने कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर जो फैसला दिया है, उसके बाद पाकिस्तान में निराशा और हैरानी का माहौल है। वहीं विशेषज्ञों ने आईसीजे में पाकिस्तान की मौजूदगी को एक बड़ी गलती करार दिया है।
अपने ही पैर पर मार ली कुल्हाड़ी
पाक के विशेषज्ञ पहले इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि आईसीजे के पास यह अधिकार नहीं है कि वह जाधव की फांसी पर रोक लगाए। लेकिन जब फैसला आ गया तो उन्होंने कहा कि अधिकार क्षेत्र को लेकर जो भी बहस हुई वह काफी कमजोर और नुकसान पहुंचाने वाली थी। पाकिस्तान के अग्रणी अखबार डॉन ने रिटायर्ड जस्टिस शाइक उस्मानी के हवाले से लिखा है कि आईसीजे का फैसला काफी चौंकाने वाला है क्योंकि आईसीजे के पास यह अधिकार ही नहीं है। उस्मानी ने कहा कि यह पाकिस्तान की गलती थी कि वह कोर्ट में पेश हुआ और कोर्ट में जाना ही नहीं चाहिए था। उस्मानी की मानें तो पाक ने आईसीजे जाकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली थी। उस्मानी ने बताया कि यह केस पाकिस्तान में चलता रहेगा लेकिन जाधव को मौत की सजा नहीं दी जा सकती है क्योंकि आईसीजे ने इस पर रोक लगा दी है।
केस के लिए तैयार ही नहीं था पाक
जाधव के पास अगले 40 दिनों के अंदर सजा के खिलाफ अपील करने का अधिकार होगा। उस्मानी ने बताया कि जाधव के पास अपील करने के जो 40 दिन थे वह पूरे हो चुके हैं लेकिन अगर फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल चाहे तो इसकी समय सीमा को बढ़ा सकता है। वहीं लंदन में बसे पाक के बैरिस्टर राशिद असलम ने कहा कि पाकिस्तान इस केस के लिए पूरी तरह से तैयार ही नहीं था। पाक ने सुनवाई के लिए अपने 90 मिनट भी पूरे नहीं किए थे जबकि पाक को अपनी बहस पूरी करनी चाहिए थी।। पाक ने बहस के 90 मिनट में से 40 मिनट यूं ही बेकार कर दिए थे। असलम तो इस बात पर हैरान थे कि पाकिस्तान ने कितने कम समय में अपनी बहस पूरी कर ली थी। उन्होंने पाक की पैरवी करने वाले पकील खावर कुरैशी को इसके लिए दोष दिया। उन्होंने आगे कहा कि पाक के पास यह अधिकार था कि वह अपना जज वहां पर रखे लेकिन ऐसा नहीं किया गया। पाकिस्तान इस केस के लिए तैयार ही नहीं था।
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