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Rakesh Sharma: बच्चपन में चली गई थीं दोनों आंखे, लोगों ने आश्रम में छोड़ने को कहा था, बने IAS

Rakesh Sharma: बच्चपन में चली गई थीं दोनों आंखे, लोगों ने आश्रम में छोड़ने को कहा था, कड़ी मेहनत से पहले ही प्रयास में बने IAS

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नई दिल्ली, 18 जुलाई: हर एक की किस्मत में सफलता पाना आसान नहीं होता, मार्ग में कई रुकावटें बाधा बनकर सामने आती हैं। लेकिन इन रुकावटों को जो पार कर जाए, वही असली योद्धा कहलाता है। आज हम भी आपकों ऐसे ही एक शख्स के संघर्ष की कहानी बताने जा रहे है, जो आपको भीतर तक झकझोर देगी। जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं वो आज आईएएस अधिकारी बन गया है, नाम है राकेश शर्मा।

लोग अनाथ आश्रम में छोड़ने को कहते थे

लोग अनाथ आश्रम में छोड़ने को कहते थे

संघर्ष की ये कहानी है दृष्टिहीन राकेश शर्मा की, जिन्होंने आंखों की रोशनी के बिना भी बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखा। जी हां.. राकेश शर्मा जब दो वर्ष के थे, तब उन्हें दवा रिएक्शन कर गई थी, जिसकी वजह से उनकी दोनों आंखें खराब हो गईं। उनकी स्थिति देखकर कभी लोगों ने परिजनों से उन्हें अनाथ आश्रम में छोड़ने को कहा था। लेकिन लोगों की बातों से बिना इत्तेफाक रखे परिजनों ने बेटे का पूरा साथ दिया।

भिवानी जिले के रहने वाले है आईएएस राकेश शर्मा

भिवानी जिले के रहने वाले है आईएएस राकेश शर्मा

राकेश शर्मा मूल रूप से हरियाणा के भिवानी जिले के छोटे से गांव सांवड़ के रहने वाले हैं। लेकिन पिछले 13 सालों से वो नोएडा के सेक्टर 23 में रह हैं। राकेश शर्मा का बचपन बेहद मुश्किलों से गुजरा है। वो एक सामान्य इंसान की जिंदगी जीने को भी तरसते रहे। उनकी आंखों की रोशनी जानें के बावजूद भी परिजनों का धैर्य और आत्मविश्वास कभी नहीं टूटा। परिवार ने उन्हें एक आम बच्चे की तरह पाला और हमेशा उनकी हिम्मत बढ़ाई।

इलाज के बावजूद भी नहीं हुआ फायदा

इलाज के बावजूद भी नहीं हुआ फायदा

राकेश शर्मा जब दो वर्ष के थे, तब उन्हें दवा रिएक्शन कर गई थी, जिसकी वजह से उनकी दोनों आंखें चली गई। राकेश के परिजनों ने उनका काफी इलाज करवाया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। राकेश का विजन पूरी तरह चला गया और वे बिलकुल भी देख नहीं सकते थे पर उन्होंने हमेशा अपनी पढ़ाई जारी रखी। राकेश बताते हैं कि बहुत कोशिशों के बावजूद उन्हें सामान्य बच्चों के स्कूल में एडमिशन नहीं मिला था। मजबूरन उन्हें स्पेशल स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी। बारहवीं तक सब ऐसा ही चला। उन्होंने अपनी पढ़ाई ब्रेल लिपी (दृष्टिहीन बच्चों के लिए शिक्षा पद्धति) से पूरी की।

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पढ़ाई के दौरान यूपीएससी में जाने का आया ख्याल

पढ़ाई के दौरान यूपीएससी में जाने का आया ख्याल

12वीं स्पेशल स्कूल से पास करने के बाद राकेश ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. राकेश शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय में होने वाली एक्टिविटीज और शिक्षकों व साथियों के प्रोत्साहन से वे न केवल जीवन के तमाम पहलुओं से वाकिफ हुए, बल्कि उनके भीतर कुछ बड़ा करने की इच्छा ने भी जन्म लिया। यहीं से उनके मन में यूपीएससी में जाने ख्याल आया। इसके बाद वे तैयारियों में जुट गए। उन्होंने जब वर्ष 2018 में UPSC की परीक्षा दी तो उनका चयन IAS के लिए हो गया। उन्हें 2018 की यूपीएससी की परीक्षा में 608वीं रैंक मिली थी। राकेश कहते हैं कि माता-पिता की कृपा की वजह से ही वह यहां पहुंचे हैं।

English summary
Success story of UPSC topper IAS Rakesh Sharma: Became IAS in first attempt before hard work
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