सपा-बसपा के महागठबंधन को नहीं मिला बेस वोट तो भाजपा की होगी बल्ले-बल्ले
नई दिल्ली: सपा-बसपा के महागठबंधन के बाद हर तरफ यही चर्चा है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा को कोई नुकसान होगा कि नहीं. अगर पिछले चार सालों में सूबे में हुए चुनाव के वोट शेयर देखें तो, इससे पता चलता है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा की राह आसान नहीं है। पिछले साल यूपी में हुए लोकसभा उपचुनाव में भी ये देखने को मिला था, जब सपा ने बसपा के साथ मिलकर भाजपा को गोरखपुर और फुलपूर में शिकस्त दी थी. भाजपा के लिए ये दोनों सीटें प्रतिष्ठा का सवाल थी क्योंकि ये सीटें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की संसदीय सीटें थीं।
अब
देखना
दिलचस्प
होगा
कि
क्या
इस
महागठबंधन
को
एक
दूसरे
का
बेस
वोट
मिलता
है
या
नहीं.
यूपी
में
80
लोकसभा
सीटें
हैं
जो
कुल
लोकसभा
सीटों
की
15
प्रतिशत
हैं।
इसलिए
केंद्र
में
सत्ता
हासिल
करने
के
लिए
यहां
का
प्रदर्शन
बहुत
मायने
रखता
है।
यूपी
में
हुए
पिछले
चार
चुनावों
पर
नजर
डालने
पर
पता
चलता
है
कि
साल
2009
के
लोकसभा
चुनाव
में
भाजपा
को
17.50
प्रतिशत
वोट
मिले
थे.
उस
समय
बीएसपी
को
17.50
प्रतिशत
और
एसपी
को
23.25
प्रतिशत
वोट
मिले
थे.
वहीं
साल
2012
के
विधानसभा
चुनाव
में
भाजपा
को
15
प्रतिशत,
सपा
को
29.10
प्रतिशत
और
बीएसपी
को
11.70
प्रतिशत
वोट
मिले
थे।
इन
दोनों
चुनावों
में
सपा
और
बसपा
का
कुल
वोट
शेयर
जोड़े
तो
वो
50.67
और
40.80
प्रतिशत
है।
चार चुनावों में प्रदर्शन
वहीं 5 साल पहले साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो भाजपा को 42.32 प्रतिशत, सपा को 22.18 प्रतिशत और बसपा को 19.62 प्रतिशत वोट मिले। इस चुनाव में इन दोनों का कुल वोट प्रतिशत 41.80 प्रतिशत रहा जो भाजपा से कम था। वहीं दो साल पहले हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा को 39.67 प्रतिशत, सपा को 21.82 प्रतिशत और बसपा को 22.23 प्रतिशत वोट मिले थे. दोनों के वोट शेयर मिला जाए तो वो 44.05 प्रतिशत है। इस स्थिति में भाजपा को सूबे में कई सीटों का नुकसान हो सकता है।
ऐसे में अगर हम मानें कि पहले 100 फीसदी वोटर बेस लॉयलटी (मतदाता अपने गठजोड़ को वोट देंगे या नहीं) का, दूसरे में 80 फीसदी वोटर बेस लॉयलटी है, जिसमें 20 फीसदी वोट सपा-बसा के वोट इन दोनों के अलावा किसी अन्य पार्टी को मिलें। तीसरे हालात में मानें कि 60 फीसदी वोटर बेस लॉयलटी है। इसमें से 40 फीसदी सपा-बसा के मतदाता किसी और को वोट दें तो क्या होगा।
भाजपा
को
नहीं
होगा
नुकसान
अगर सपा और बसपा का महागठबंधन अपना 40 फीसदी वोट प्रतिशत खो दें, तो भाजपा को आने वाले चुनाव में कोई फर्क नही पड़ेगा। एनडीए के हिस्से में ऐसे हालात में 74 सीटें आएंगी और महागठबंधन को सिर्फ छह सीट मिलेगी। जबकि दो सीटें कांग्रेस के हिस्से में आएंगी।
वोट प्रतिशत ना खोने पर महागठबंधन को होगा फायदा
अगर 2014 की तरह सपा-बसपा अपना वोट प्रतिशत बनाए रखते हैं तो ऐसे हालात में महागठबंधन को 41 सीटें मिलेंगी, जबकि एनडीए को 39 और कांग्रेस को दो सीट मिलेंगी।
महागठबंधन को 18 सीटें
अगर महागठबंधन(सपा-बसपा) अपने वोट फीसद का 20 फीसदी गंवा दे तो एनडीए को 62 सीटें मिलेंगी, जबकि महागठबंधन के हिस्से में केवल 18 सीटें आएंगी और कांग्रेस दो सीटें ही जीत पाएगी।
इससे साफ है कि भाजपा अगर सपा-बसपा के वोटों के वोटरों को प्रभावित कर दे तो उसे कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा. ऐसे में सपा-बसपा दोनों पार्टियों के लिए उसका बेस वोटर बहुत मायने रखता है और हर हालात में उसे बनाए रखने पर दोनों पार्टियों की स्थिति सुधरेगी।