सवर्ण आरक्षण के बाद कुकिंग फ्यूल में सब्सिडी देने की तैयारी में मोदी सरकार
नई दिल्ली: मोदी सरकार सवर्ण आरक्षण के बाद लोकसभा चुनाव से पहले वोटरों को कुकिंग फ्यूल्स पर बड़ी राहत दे सकती है। केंद्र सरकार अब तक कुकिंग फ्यूल में एलपीजी सिलेंडर और केरोसिन पर ग्राहकों को सब्सिडी देती है।
सरकार ने अब इसका विस्तार करने का फैसला ले सकती है। सरकार अब पाइप नैचरल गैस (पीएनजी) और बॉयोगैस यूज़ करने वाले ग्राहकों भी सब्सिडी दे सकती है। नीति आयोग के प्रस्ताव को शीर्ष स्तर व्यापक तौर पर लागू कर सकता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के घोषणापत्र में भी इसे जगह मिल सकती है।
सरकार के इस फैसले से सभी तरह के ईधन यूज करने वाले ग्राहकों को फायदा होगा और इसके साथ ही ग्राहक वैकल्पिक कुकिंग ईधन की तरफ आकर्षित होंगे। पिछले साल नीति आयोग ने पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा था कि हर तरह के कुंकिग फ्यूल पर सरकार को सब्सिडी देने पर विचार करना चाहिए। इनकी सब्सिडी भी सरकार को एलपीजी और केरोसिन की तरह सीधे बैंक खाते में ही ट्रांसफर किए जाने चाहिए।
इकॉनामिक्स टाइम्स के साथ बातचीत में सीनियर अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय इस तरह की सब्सिडी पर आने वाले कुल खर्च का अनुमान लगाने में लगा है। सरकार ने साल 2018-19 के वित्तीय वर्ष में एलपीजी सब्सिडी के लिए 20,000 करोड़ रुपये और केरोसिन सब्सिडी के लिए 4,500 करोड़ रुपये की राशि तय की है।
नीति आयोग का विचार है कि एक सेक्टर में अलग-अलग सब्सिडी नहीं होनी चाहिए। खाना बनाने के सभी प्रकार के ईधनों पर सब्सिडी मिलनी चाहिए. अधिकारी के मुताबिक एलपीजी में सब्सिडी देने की वजह से अन्य वैकेल्पिक ईधनों को अपनाने में अवरोध पैदा हो रहा है। आयोग ने मंत्रालय से कहा कि पाइप नेचुरल गैस(पीएनजी) शहरों में सबसे प्रभावशाली ईधन है। वहीं ग्राणीण इलाकों में बायो गैस कच्चे माल के मिलने की वजह से मुख्य ईधन है।इस समय सभी ग्राहक बाजार मूल्य के हिसाब से एलपीजी खरीदते हैं.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार हर परिवार को 14.2 किलोग्राम के 12 सिलेंडर सब्सिडी पर देती है, जिसका पैसा बाद में उनके खाते में आ जाता है। नीति आयोग के थिंक-टैक का मानना है कि लाभार्थियों को डीबीटी के माध्यम से सब्सिडी दी जानी चाहिए ताकि उन्हें खाना कुकिंग फ्यूल चुनेन के विकल्प को अपनाने में आसानी हो।