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केजरीवाल का कबूलनामा, नहीं हुआ अनशन से फायदा

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arvind kejriwal
नयी दिल्ली। अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अनशन, और भूख हड़ताल से की। जब वो समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ था तब उन्होंने जनलोकपाल के लिए अनशन किया। फिर वो राजनीति में आए और भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठ गए। लगा कि वो देश में परिवर्तन में आंधी लेकर आए, लेकिन अब उन्होंने खुलासा किया है। केजरीवाल ने खुद इस बात को कबूलते हुए कहा है कि उन्हें अनशन और भूख हड़ताल से कोई फायदा नहीं हुआ।

दिल्ली में आमरण अनशन पर बैठे शिक्षकों से अपनी हड़ताल समाप्त करने का अनुरोध करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि भूख हड़ताल से उन्हें कोई लाभ नहीं मिला। केजरीवाल ने कहा कि वो कई बार अनशन पर बैठे लेकिन इसका उन्हें कोई पायदा नहीं हुआ। इसी वजह से वे अंतत: राजनीति में आ गए।

दरअसल अलग-अलग सरकारी स्कूलों में कार्यरत ‘ऑल गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन' के कुछ शिक्षक पिछले 3 हफ्ते से धरना पर बैठे हैं। इन्हें प्रतिदिन के हिसाब से पारिश्रमिक मिलता है। ये हड़ताली शिक्षक सेवा के नवीनीकरण, योजना के तहत चयन में अधिकतम आयु सीमा को बढ़ाने और समूह के लिए निश्चित वेतन तय करने की मांग कर रहे हैं। इसी वजह से उन्होंने अप नी मांग को लेकर आमरण अनशन शुरु कर दिया है। केजरीवाल ने इन शिक्षकों से मुलाकात की। केजरीवाल ने कहा कि भूख हड़ताल से आपको कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वो अपने शरीर को कष्ट न दें। मैंने यह काम 15 दिन तक किया था और उसके बाद मैंने अंतत: राजनीति में आने का फैसला किया।

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English summary
Arvind Kejriwal made a U-turn on ‘politics of dharna’ which almost has become a synonym to the Aam Aaadmi Party Convenor’s name, saying sitting on fast will never yield results and it’s just a sheer waste of time.
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