उत्तर प्रदेश में तीन दिवसीय बेचूबीर मेले का हुआ आग़ाज़, जानिये क्यों कहते हैं इसे भूतों का मेला?
भारतवर्ष धर्मों का देश है। यहां की पृथ्वी के कण-कण मविन धर्म बसता है। देखा जाए तो विश्व के कई देशों में तीर्थ हैं, पर भारतवर्ष में तीर्थ स्थानों का विशेष महत्त्व है। भारत के लोग जितनी तीर्थयात्राएं करते हैं उतनी कहीं और नहीं होती। भारत में अनेक धार्मिक तथा ऐतिहासिक धाम तीर्थ स्थान हैं। जहां लाखों यात्रा कर अपनी इच्छाएं पूर्ण करते हैं। ऐसा ही एक धाम है उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में बेचू बीर बाबा का धाम। इस धाम पर लगने वाले तीन दिवसीय अंतरप्रांतीय मेले का आग़ाज़ हो गया। इस मेले को भूतों का मेला भी कहा जाता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि बेचूबीर मेले में पांच साल तक लगातार बाबा का दर्शन रोग-ब्याधि से मुक्ति मिल जाती है। निसंतान दंपती की सूनी गोंद किलकारियों से भर जाती हैं और हर प्रकार के भूत प्रेत की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
यहाँ मांगी मन्नत होती है पूरी
नक्सल
प्रभावित
क्षेत्र
अहरौरा
के
बेचू
बीर
बाबा
के
धाम
पर
लगने
वाला
तीन
दिवसीय
अंतरप्रांतीय
मेला
आज
से
शुरू
हो
रहा
है।
यहाँ
आने
वाले
श्रद्धालुओं
की
मान्यता
है
कि
कार्तिक
मास
के
तीन
दिवसीय
बेचूबीर
मेले
में
पांच
साल
तक
लगातार
बाबा
का
दर्शन
रोग-ब्याधि
से
मुक्ति
दिलाता
है।
निसंतान
दंपती
की
सूनी
गोद
किलकारियों
से
भर
जाती
हैं।
जिन
भक्तों
की
मनोकामना
पूरी
नहीं
होती
है
वे
लगातार
पांच
वर्ष
तक
दर्शन
पूजन
करने
के
लिए
आते
रहते
हैं।
अष्टमी
से
एकादशी
तक
चलने
वाले
मेले
में
चार
बजे
भोर
में
नदी
में
प्रसाद
वितरित
किया
जाता
है।
प्रसाद
लेने
के
लिए
लाखों
महिलाओं-
पुरुषों
की
भीड़
होती
है।
जिला
प्रशासन
की
तरफ
से
मेले
की
तैयारियां
जोरों
पर
चल
रही
हैं।
मेला
क्षेत्र
को
सुरक्षा
की
दृष्टि
से
दो
जोन
व
चार
सेक्टर
में
बांटते
हुए
व्यवस्था
की
गई
हैं।
इस
मेले
में
पूर्वांचल
समेत
बिहार,
मध्य
प्रदेश,
छत्तीसगढ़,
झारखंड,
उड़ीसा
व
बंगाल
तक
के
श्रद्धालु
बड़ी
संख्या
में
उपस्थित
होते
हैं।
मेले
को
संपन्न
कराने
के
लिए
जिला
मुख्यालय
से
पांच
थानाध्यक्ष,
50
सब
इंस्पेक्टर,
60
हेड
कांस्टेबल,
150
कांस्टेबल,
40
महिला
पुलिस,
15
ट्रैफिक
पुलिस,
दो
एपी
गार्ड
व
दो
प्लाटून
पीएसी
की
मांग
की
गई
है।
ताकि
नक्सल
प्रभावित
लगभग
तीन
किलोमीटर
क्षेत्र
में
लगने
वाले
मेले
को
सकुशल
संपन्न
कराया
जा
सके।
प्रशासन की व्यवस्था है दुरुस्त
थानाध्यक्ष
कुमुद
शेखर
सिंह
ने
बताया
कि
पूरा
मेला
क्षेत्र
को
दो
जोन
और
चार
सेक्टर
में
विभाजित
कर
भारी
संख्या
में
पुलिस
फोर्स
की
तैनाती
की
जाएगी।
इसके
साथ
ही
मेले
में
स्वास्थ्य
विभाग
की
ओर
से
चिकित्सा
कैंप
भी
लगाया
जाएगा।
मेला
क्षेत्र
में
खराब
पड़े
हैंडपंपों
को
तत्काल
ठीक
कराने
का
निर्देश
दिया
गया।
थाना
प्रभारी
ने
विद्युत
विभाग
को
पत्र
लिखकर
मेला
अवधि
में
24
घंटे
विद्युत
आपूर्ति
का
अनुरोध
किया
और
मेला
क्षेत्र
में
लगे
विभिन्न
खंभों
पर
प्रकाश
की
व्यवस्था
कराए
जाने
की
मांग
की।
भक्सी
नदी
पर
कम
पानी
होने
की
वजह
से
श्रद्धालुओं
को
नहाने
में
दिक्कतों
का
सामना
करना
पड़
रहा
है।
मान्यता
के
अनुसार
धाम
पर
जाने
वाले
श्रद्धालु
4
किलोमीटर
पूर्व
ही
रास्ते
में
पडने
वाले
भक्सी
नदी
पर
स्नान
कर
अपने
कपड़े
वहीं
छोड़
देते
हैं
और
नया
वस्त्र
धारण
कर
धाम
में
जाकर
मन्नते
मांगते
हैं।
इस
बार
कम
बारिश
की
वजह
से
भक्सी
नदी
का
जलस्तर
काफी
कम
हो
गया
है
बेचू कैसे बने बेचू बीर बाबा
अब
जानते
है
की
बेचू
बाबा
की
कहानी
असल
में
है
क्या?,
क्या
कथा
है
इस
धाम
के
पीछे,
कौन
थे
बेचू
बाबा?
एक
स्थानीय
व्यक्ति
द्वारा
एक
कहानी
बताई
गई
है
जो
बहुत
समय
से
प्रचलित
है
की
आखिर
क्या
ऐसा
हुआ
था
जो
ये
धाम
इतना
प्रचलित
हो
गया।
स्थानीय
लोग
बताते
हैं
"
की
बहुत
समय
पहले
इस
इलाके
में
न
तो
कोई
आबादी
रहा
करती
थी
न
कोई
गांव
था,
यह
बस
एक
घना
जंगल
हुआ
करता
था।
यहाँ
से
10
किलोमीटर
दूर
एक
गांव
था
जिसमे
बेचू
और
उनका
परिवार
रहा
करता
था।
बेचू
बाबा
का
पूरा
नाम
बेचू
यादव
था।
तब
जो
बेचू
यादव
के
पिता
थे
वो
बेचू
को
गाय
और
भैंस
चराने
जंगल
भेजा
करते
थे
यानी
की
यहाँ
जहाँ
पर
आज
धाम
है।
उनका
रोजाना
का
यही
काम
था
और
वह
कभी
कभी
जानवरो
को
जंगल
ही
छोड़
आया
करते
थे।
शाम
के
समय
या
तो
जानवर
खुद
ही
वापस
आ
जाते
थे
या
फिर
बेचू
खुद
उन्हें
जा
कर
वापस
ले
आया
करते
थे।
एक
दिन
की
बात
है
की
जानवरो
को
जंगल
में
छोड़े
हुए
काफी
देर
हो
गई
थी
और
उनके
जानवर
वापस
नहीं
आए
थे।
बेचू
उन्हें
ढूढ़ने
निकले
तो
देखा
की
जानवरो
के
ऊपर
एक
भयानक
शेर
या
बाघ
ने
हमला
कर
दिया
है।
फिर
बताने
वाले
बताते
है
की
तीन
दिन
और
तीन
रात
उनके
बीच
में
भयानक
युद्ध
चला
और
आखिर
में
दोनों
की
मौत
हो
गई।
बेचू
के
पास
एक
काला
कुत्ता
भी
हुआ
करता
था।
वह
हमेशा
उनके
साथ
रहता
था।
उस
कुत्ते
ने
ही
बेचू
के
माँ
बाप
को
जाकर
इसकी
खबर
दी।
कहानी
अभी
यहाँ
समाप्त
नहीं
होती
है,
उनके
माँ
बाप
जब
उस
जगह
पर
पहुंचे
जहाँ
वो
कुत्ता
उन्हें
ले
गया
तो
देखा
कि
एक
तरफ
शेर
मारा
पड़ा
है
और
बेचू
घायल
अवस्था
में
बेहोश
पड़े
हैं।
उनको
तत्काल
वापस
गांव
लाया
गया
पर
उनकी
मृत्यु
हो
गई।
बेचू
जीवित
तो
नहीं
रहे
परन्तु
एक
दिन
बेचू
के
माँ
बाप
को
सपने
में
बेचू
आते
हैं
और
कहते
हैं
कि
"जिस
जगह
पर
मैंने
प्राण
त्यागे
हैं
वहां
पर
मेरी
समाधी
बना
दो।
मै
हर
प्रकार
के
भूत
प्रेत
और
दुखो
से
हमेशा
लड़ता
रहूँगा
और
आप
लोगों
की
ऐसे
ही
सेवा
करता
रहूँगा।"
जानकारी
अनुसार
बस
उसी
के
बाद
वहां
पर
उनकी
समाधी
बना
दी
गई।
पहले
वहां
बस
घर
के
लोग
पूजा
किया
करते
थे।
फिर
कुछ
गांव
के
लोग
भी
करने
लगे
और
जब
लोगों
की
मन्नतें
पूरी
होनी
लगी
और
भूत
प्रेत
जैसी
बाधाओं
से
मुक्ति
मिलने
लगी
तो
अब
लोग
दूर
दूर
से
यहाँ
मन्नत
मांगने
आते
है।
तो
ये
थी
बेचू
बीर
बाबा
के
धाम
की
कहानी
जो
वहां
के
स्थानीय
लोगो
में
काफी
प्रचलित
है।
Char dham yatra ने बनाए कई कीर्तिमान, यहां 200 करोड़ से ज्यादा कारोबार का अनुमान