Mainpuri byelection 2022 : डिंपल यादव का बड़ा बयान, कहा - 4 तारीख को अपने घरो में न सोएं सपा नेता
समाजवादी पार्टी के सपा संरक्षक मुलायम सिंह के निधन के बाद लोकसभा उपचुनाव हो रहा है जिसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को लोकसभा प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया है। हाल ही में भोगांव विधानसभा में जनसंपर्क करने के दौरान मंच से संबोधित करते हुए डिंपल यादव ने कहा है कि प्रशासन के लोग सख्त रवैया अपना रहे हैं। इसलिए 4 तारीख को समाजवादी कार्यकर्ता अपने घरो पर न सोएं। 5 तारीख को आपको कोई छू भी नहीं पाएगा और 6 तारीख को यहाँ प्रशासन दिखाई भी नहीं देगा।
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4 तारीख को न सोएं अपने घर पर
मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सपा और भाजपा के बीच सियासी घमासान जारी है। इसमें चाहे किसी को भी जीत मिले, मैनपुरी इस बार इतिहास लिखेगा। हाल ही में समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डिंपल यादव ने भोगांव विधानसभा में जनसंपर्क के दौरान मंच से सम्बोधित करते हुए प्रशासन पर भी हमला बोलै है। उन्होंने कहा की प्रशासन 4 तरीक को सख्ती कर सकता है इसलिए समाजवादी नेता 4 तारीख को अपने घर में न सोएं। बता दें कि 5 दिसंबर को मतदान होना है और उससे ठीक एक दिन पहले डिंपल यादव ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को सतर्कता बरतने के लिए कहा। उन्होंने कहा की मुझे एक बाबा मिले थे और उन्होंने मुझसे कहा की बेटा तुम्हारे खिलाफ प्रशासन भी साजिश कर रहा है। तो मैंने उनसे कहा कोई बात नहीं, यह चुनाव मै नहीं लड़ रही हूँ, यह चुनाव नेताजी का चुनाव है और उनके लोग, मैनपुरी की जानता यह चुनाव लड़ रही है। प्रशासन कुछ भी कर ले जीत समाजवादी की ही होगी।

दशकों से चली आ रहीं एक रीति टूटकर रहेगी
मैनपुरी लोकसभा सीट को सबसे पहले कांग्रेस ने जीता तो वहीं समय बदला तो क्षेत्रीय दलों के खाते में भी सीट आती-जाती रही। 1996 के बाद मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और इसके बाद आज तक सपा कभी इस सीट से नहीं हारी। कुल 19 चुनावों में से नौ में बसपा और भाजपा ने 10 शाक्य प्रत्याशी उतारे। इस लोकसभा क्षेत्र में संख्याबल में शाक्य दूसरे स्थान पर हैं। लेकिन हर बार शाक्य प्रत्याशी को शिकस्त ही मिली।
इसी तरह तीन चुनावों में चार बार महिला प्रत्याशी भी लड़ीं, लेकिन जीत का ताज इनसे कोसों दूर रहा। 2004 के उपचुनाव में जहां कांग्रेस के टिकट पर सुमन चौहान ने चुनाव लड़ा था तो वहीं 2009 में भाजपा से तृप्ति शाक्य और और 2014 में बसपा से डॉ. संघमित्रा मौर्या और निर्दलीय प्रत्याशी राजेश्वरी देवी ने चुनाव लड़ा था।
इस बार यह तय है कि 2022 के उपचुनाव में दशकों से चली आ रहीं एक रीति टूटकर रहेगी। दरअसल अगर भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य जीतते हैं तो शाक्य प्रत्याशी के न जीतने की रीति टूट जाएगी। वहीं अगर सपा प्रत्याशी डिंपल यादव जीतती हैं तो महिला प्रत्याशी के न जीतने की रीति टूटेगी।
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