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क्या अब महाराष्ट्र में 'बाहुबल' से तय होगा उद्धव सरकार का भविष्य ? नेताओं की ये भाषा खतरनाक है

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मुंबई, 24जून: महाराष्ट्र में मौजूदा सियासी संकट का समाधान आखिरकार विधानसभा के अंदर ही होने की उम्मीद लग रही है। लेकिन, उससे पहले नेताओं की ओर से जिन भाषाओं का इस्तेमाल हो रहा है, वह लोकतंत्र के लिए बहुत ही शर्मनाक है। कहने के लिए जो खुद को बड़े नेता मानते हैं, लेकिन उनकी जुबान से भी सड़क छाप वाली भाषा निकल रही है। एक-दूसरे को खुलेआम देख लेने की धमकियां दी जा रही हैं। पिछले दो दिनों से महाराष्ट्र में किस तरह से राजनीतिक मर्यादा तार-तार हुई है, जरा आप खुद गौर कीजिए।

क्या महाराष्ट्र में 'बाहुबल' से तय होगा उद्धव सरकार का भविष्य ?

क्या महाराष्ट्र में 'बाहुबल' से तय होगा उद्धव सरकार का भविष्य ?

सुप्रीम कोर्ट ने यह तय कर रखा है कि किसी भी सरकार के पास बहुमत है या नहीं, इसपर आखिरी फैसला सदन के अंदर ही लिया जाएगा। इस लक्षमण रेखा को लेकर किसी को भी दुविधा में नहीं रहना चाहिए। चाहे शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे कितने भी विधायकों का समर्थन जुटा लें, उद्धव ठाकरे की सरकार बहुमत खो चुकी है, यह फैसला सदन के अंदर ही हो सकता है या फिर वह खुद ही इस्तीफा दे दें। लेकिन, पिछले दो दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ओर से जिन भाषाओं का इस्तेमाल शुरू हुआ है, वह 'टपोरी' टाइप है। खुद को बड़े नेता मानने वाले लोग खुलेआम देख लेने जैसी अमर्यादित भाषाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बहुत ही खतरनाक है। इसकी शुरुआत कहां से हुई उसपर जाने से पहले हम शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत के ताजा ट्वीट से करते हैं, जिसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता नारायण राणे के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है।

राणे के बयान पर राउत का पलटवार

राणे के बयान पर राउत का पलटवार

बिना नारायण राणे का नाम लिए राउत ने मराठी में लिखा है, जिसका मतलब ये निकल रहा है-'बीजेपी के एक केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि अगर एमवीए सरकार को बचाने की कोशिश होती है, तब शरद पवार को घर नहीं जाने दिया जाएगा। चाहे एमवीए सरकार बचे या नहीं, शरद पवार के लिए यह भाषा स्वीकार्य नहीं है।' राउत ने अपने ट्वीट को प्रधानमंत्री कार्यालय को भी ट्वीट किया है।

हम देखते हैं कि कैसे गुजरात और असम से निर्देश मिलता है- पवार

हम देखते हैं कि कैसे गुजरात और असम से निर्देश मिलता है- पवार

अब जरा इसके बैकग्राउंड में चलिए। शुरू में एनसीपी सुप्रीमो पवार ने शिवसेना में हो रहे दो फाड़ को पार्टी का अंदरूनी मामला बताया था। बाद में जब संजय राउत ने गुरुवार को यह कह दिया कि अगर 24 घंटे में बागी विधायक गुवाहाटी से मुंबई लौट जाते हैं तो कांग्रेस-एनसीपी से अलग हटने पर भी विचार हो सकता है। इसके बाद पवार सरकार बचाने के लिए अपने पावर के साथ खुद सक्रिय हो गए। उन्होंने यह तो कहा कि बहुमत का फैसला सदन में ही होगा। लेकिन, उन्होंने यह भी कहा कि, 'शिवसेना के सभी बागियों को मुंबई के विधानमंडल में आना होगा। तब हम देखते हैं कि कैसे गुजरात और असम से (बीजेपी नेता) उन्हें निर्देश मिल पाता है।'

तो देखेंगे कि पवार घर कैसे पहुंचते हैं- राणे

तो देखेंगे कि पवार घर कैसे पहुंचते हैं- राणे

पवार के इसी बयान पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता राणे ने बहुत ही कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, 'अगर कोई एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना के बागियों को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत दिखाता है तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि शरद पवार अपने घर नहीं पहुंच पाएं। पवार को धमकियां देने की आदत पड़ गई है। उन्होंने यह सब करना बंद कर देना चाहिए।'

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राउत ने ही की है ऐसी भाषा की शुरुआत

राउत ने ही की है ऐसी भाषा की शुरुआत

लेकिन, इस तरह की भाषा की शुरुआत गुरुवार को सबसे पहले राउत की तरफ से ही हुई थी, जिसपर राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है और उद्धव ठाकरे और शरद पवार से इसकी कड़ी निंदा करने को कहा है। राउत ने शिवसेना में बगावत को लेकर एक न्यूज चैनल से शिंदे और उनके समर्थकों के बारे में कहा था, 'सभी एमएलए को सदन में आने दीजिए। तब हम देखेंगे। ये एमएलए जो छोड़कर गए हैं......उन्हें वापस लौटने और महाराष्ट्र में घूमने में दिक्कत हो जाएगी।' जेठमलानी ने राउत के बयान पर ट्वीट किया कि 'यह उस व्यक्ति की ओर से भयावह धमकी है, जो महाराष्ट्र राज्य में खुद में एक कानून बन चुका है।'

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English summary
In the midst of political crisis in Maharashtra, the entry of muscle power, leaders are giving challenges to each other
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