'विधायकों की अयोग्यता देरी की वजह नहीं', फ्लोर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट में शिंदे गुट
मुंबई, 29 जून: महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में बीते कई दिनों से सियासी भूचाल आ चुका है। मंगलवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात कर पू्र्व सीएम देवेंद्र फडणवीस से फ्लोर टेस्ट की मांग की, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका देते हुए राज्यपाल ने बुधवार को शिवसेना सुप्रीमो और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को 30 जून को सुबह 11 बजे फ्लोर टेस्ट का सामना करने का आदेश दिया। साथ ही सीएम को भेजे पत्र में उन्होंने यह भी कहा कि सदन में बहुमत पेश करने की कार्यवाही उसी दिन शाम 5 बजे तक पूरी करनी होगी। ऐसे में राज्यपाल के निर्देश के खिलाफ एमवीए ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां सुनवाई की जा रही है।

शिवसेना की सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार के फ्लोर टेस्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की जा रही है। ऐसे में कोर्ट के आदेश के बाद साफ हो जाएगा कि उद्धव सरकार को फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करना होगा या नहीं। कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने तर्क देते हुए कहाकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोग्यता की कार्यवाही का फ्लोर टेस्ट पर कोई असर नहीं पड़ता है। वकील ने कहा कि विधायकों के अयोग्यता की कार्यवाही फ्लोर टेस्ट में देरी का आधार नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि यह (फ्लोर टेस्ट) राज्यपाल के विवेक के लिए बनाया गया क्षेत्र है। जब तक राज्यपाल के निर्णय को घोर तर्कहीन या दुर्भावनापूर्ण नहीं माना जाता, तब तक कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता। शिंदे गुट के वकील ने कहा कि फ्लोर टेस्ट में देरी से लोकतांत्रिक राजनीति को नुकसान होगा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आप फ्लोर टेस्ट में जितनी देरी करेंगे, लोकतांत्रिक राजनीति को उतना ही अधिक नुकसान होगा।
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शिंदे गुट ने कोर्ट में कहा कि वे पार्टी में ही निराशाजनक अल्पमत में हैं, सदन की तो बात ही छोड़ दीजिए। वे निराशाजनक अल्पमत में होने के बावजूद किसी तरह सत्ता पर काबिज रहना चाहते हैं। मैंने देखा है कि पार्टियां जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने के लिए इस अदालत में भागती हैं और यहां हमारे पास एक पार्टी है, जो इसमें देर करने की कोशिश कर रही है। हर कोई जानता है कि क्यों?