Sagar: मुर्गीचोर अजगर का आतंक खत्म, दिन में दावत उड़ाना महंगा पड़ा
सागर, 20 अगस्त। मप्र के सागर जिले के पामाखेड़ी स्थित एक मुर्गी पालन केंद्र (पोल्ट्री फाॅर्म) की मुर्गियां गायब हो रही थीं। पोल्ट्री फाॅर्म हाउस के संचालक और कर्मचारी परेशान थे। शनिवार को मुर्गीचोर आया तो उसे देखकर सबके होश फाख्ता हो गए। करीब 12 फीट लंबा भारी-भरकम अजगर उनके फाॅर्म हाउस में घुसकर मुर्गियों को लील रहा था। आखिरकार मुर्गीचोर हाथ आया तो उसे ऐसे-कैसे छोड़ सकते थे, सो सागर के स्नैक केचर अकील बाबा को बुलाया गया। महज पांच मिनट की मशक्कत के बाद अजगर को काबू में कर लिया गया।
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मुर्गियों की आवाज सुनी, पीछे जाकर देखा, अजगर दावत उड़ा रहा था
सागर के पामाखेड़ी इलाके में सुनील पोखड़िया का फाॅर्म हाउस है। यहां उन्होंने पीछे की तरफ छोटा सा मुर्गीपालन केंद्र बना रखा है। यहां पर सौ से अधिक मुर्गिया पाल रखी हैं। कुछ दिनों से उनके यहां से अचानक मुर्गियां गायब हो जाती थीं। इसको लेकर वे व कर्मचारी परेशान भी थे। शनिवार को जब उन्होंने मुर्गियों की जोर-जोर से कर्कश आवाज सुनी तो पीछे जाकर देखा। यहां एक भारी-भरकम अजगर मुर्गियों की दावत उड़ा रहा था। उन्हांेंने तत्काल वहां का दरवाजा बंद कराया और सागर में सांप पकड़ने में माहिर अकील बाबा को फोन लगाकर सूचना दी थी।
जूनियर बाबा ने पांच मिनट में अजगर को काबू में कर लिया
अकील बाबा के साथ उनके 22 साल के बेटे व जूनियर बाबा के नाम से मशहूर असद खान भी सुनील के फाॅर्म हाउस पहुंचे थे। यहां उन्होंने अंदर जाकर देखा तो पोल्ट्री फाॅर्म के पीछे की तरफ पाइप के पास बड़ा सा अजगर कुंडली जमाए एकदम शांत बैठा था। असद ने चंद मिनटों में झड़ी की सहायता से उसे काबू में कर लिया। अकील बाबा और बेटे ने अजगर को पकड़कर बोरी में बंद कर लिया।
मुर्गियां निगलकर सुस्त पड़ा था अजगर
अकील बाबा ने बताया कि जो अजगर उन्होंने पामाखेड़ी से पकड़ा है व करीब 12 फीट लंबा है और तीन किलो के आसपास का है। फाॅर्म हाउस में वह आज तीन मुर्गियां निगलकर बैठा था। उसका पेट फूला हुआ था। चूंकी यह मुर्गिंयां खाए था, इसलिए थोड़ा सुस्त लग रहा था, अन्यथा फुर्ती के साथ हमला करता है। अकील के अनुसार पामा खेड़ी में जहां फाॅर्म हाउस है वहां आसपास पहाड़ी और पथरीला इलाका है। यहां मुर्गियों के लालच में वह आ गया होगा। उसे पकड़कर जंगल में छोड़ दिय गया है।
आजाद होते ही सरपट झाड़ियों में समा गया
अकील बाबा और उनके बेटे असद ने पामाखेड़ी फाॅर्म हाउस से पकड़े अजगर को बोरी में बांधकर शहर के पास के जंगल में ले जाकर छोड़ दिया है। जंगल की पहाड़ी पर पहुंचकर जैसे ही असद ने बोरी का मुंह खोलकर अजगर को आजाद किया तो उम्मीद के विपरीत वह सरपट घनी झाड़ियों में समा गया।