DSP Shabera Ansari : लॉकडाउन में बच्चों को रहता है पुलिस वाली इस मैम का इंतजार, जानिए क्यों
सीधी। तस्वीर मध्य प्रदेश के सीधी जिले के मझौली थाना इलाके की है। आदिवासी अंचल मझौली में जैसे ही सायरन बजाती यह गाड़ी पहुंचती है तो हर कोई बच्चा दौड़कर इसके पास आ जाता है। इस उम्मीद में कि गाड़ी में सवार होकर आने वाली पुलिस मैम उनके लिए खाने की चीजें लाई होंगी।
बच्चों की गरीबी देख मदद की ठानी
पुलिस वाली मैम का नाम है शाबेरा अंसारी, जो इन दिनों बतौर ट्रेनी डीएसपी मझौली थाने में पदस्थ है। कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में डीएसपी शाबेरा अंसारी का ह्यूमन टच का यह अंदाज लोगों को खूब पसंद आ रहा है। हुआ यूं कि शाबेरा कुछ दिन पहले पहली बार इस इलाके में आई थीं। वे एक दिव्यांग निर्धन की मदद के लिए उसके घर गई थीं। वहां से वापस लौटते समय उनकी नजर इन गरीब बच्चों पर पड़ी। बातचीत से पता चला कि ये निर्धन परिवारों के हैं और लॉकडाउन के चलते भूखे रहने को मजबूर हैं क्योंकि उनके घरों में खाने को कुछ नहीं है। बच्चों की मासूमियत देखकर डीएसपी का मन दुखी हो गया। वो वहां से सीधे बाजार गईं और बच्चों के लिए खाने-पीने का सामान लेकर लौटीं। इसके बाद से यह सिलसिला लगातार जारी है।
सायरन बजते ही आ जाते हैं बच्चे
अब डीएसपी शाबेरा अंसारी अक्सर बच्चों के लिए बिस्किट और खाने-पीने के अन्य सामान लेकर आती हैं और बच्चों को बांटकर लौट जाती हैं। भूख से बेहाल बच्चे सुबह से शाबेरा का इंतजार करते हैं। आसपास के सभी इलाकों में यही हाल होता है। लॉकडाउन के चलते इलाके में पुलिस का आना-जाना लगा रहता है। सायरन की आवाज सुनते ही ये बच्चे सड़क की ओर दौड़ पड़ते हैं। हर गाड़ी से शाबेरा नहीं आतीं, लेकिन उनके आने से पहले तक बच्चे पुलिस वाली मैम और सायरन वाली गाड़ी के इंतजार में बैठे ही रहते हैं।
शाबेरा अंसारी की पूरी कहानी प्रेरणादायक
शाबेरा अंसारी के पिता अशरफ अली की मध्य प्रदेश पुलिस में एसआई हैं। शाबेरा अंसारी 2013 में सब इंस्पेक्टर पद पर चयनित हुईं और 2016 में सेवा देनी शुरू कर दी। साथ में वह पीएससी की तैयारी भी करती रहीं। 2016 में उन्होंने पीएससी की परीक्षा पास कर ली और 2018 में डीएसपी के रूप में चयन हुआ।