कूनो नेशनल पार्क में चीते आने से श्योपुर के काष्ठ शिल्पकारों में जगी नई उम्मीद
श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में चीते आने से श्योपुर की काष्ठ कला को मिलेगी नई पहचान, शिल्पकारों को जगी उम्मीद
श्योपुर, 25 सितम्बर। कूनो नेशनल पार्क में चीते आने के बाद अब श्योपुर के काष्ठ शिल्पकारों में नई उम्मीद जगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंच से काष्ठ कला की तारीफ किए जाने के बाद काष्ठ शिल्पकारों का हौसला भी बढ़ गया है। काष्ठ शिल्पकारों को उम्मीद है कि चीतों की वजह से पर्यटन बढ़ेगा और उनकी काष्ठ शिल्प कला के दिन भी सुधरेंगे।
श्योपुर में 500 साल से की जाती है काष्ठ शिल्पकारी
श्योपुर में काष्ठ शिल्पकारी 500 साल से की जा रही है। यहां लकड़ी पर की गई कारीगरी इतनी खूबसूरत होती है कि देखने वाले हैरान रह जाते हैं। यहां की काष्ठ शिल्पकाला देश के साथ-साथ विदेशों तक अपनी पहचान बना चुकी है लेकिन समय के साथ श्योपुर की काष्ठ कला की चमक सुविधाओं और संसाधनों की कमी की वजह से फीकी पड़ती जा रही है।
शिल्पकारों को करना पड़ता है समस्याओं का सामना
शिल्पकारों के लिए काष्ठ कला को जिंदा रखना किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि काष्ठ शिल्प कला के शिल्पकारों को कच्चा माल महंगा मिलता है और माल तैयार करने के बाद अब इसके खरीदार मिलना मुश्किल हो गए हैं। ऐसे में कई काष्ठ शिल्पकार अपने 500 साल पुरानी शिल्प कला को छोड़कर अन्य व्यवसायों से जुड़ने लगे हैं।
कूनो नेशनल पार्क में चीते आने से जागी उम्मीद
श्योपुर की दम तोड़ती काष्ठ कला को कूनो नेशनल पार्क में आए चीतों की वजह से उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। काष्ठ शिल्पकारों का मानना है कि चीते आने की वजह से यहां पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी तो उनकी काष्ठ शिल्प कला को नई पहचान मिलेगी और उनकी बनाई गई कलाकृतियों को खरीदने के लिए खरीदार भी मिलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं काष्ठ कला की तारीफ
17 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्योपुर पहुंचे थे। यहां उन्होंने पहले कूनो नेशनल पार्क में चीते छोड़े थे इसके बाद उन्होंने कराहल में स्व सहायता समूह के सम्मेलन में संबोधन दिया था। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्योपुर की काष्ठ कला की जमकर तारीफ की थी। साथ ही अपने उत्पादों को जेम(GEM) पर रजिस्टर्ड कराने का आग्रह पर शिल्पकारों से किया था।