वानरराज को अंतिम विदाई : बंदर की मौत पर गाजे-बाजे से निकाली शवयात्रा, 13वीं पर एक हजार लोगों करवाया भोजन
रतलाम, 26 फरवरी। मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में एक बंदर को इंसानों की तरह अंतिम विदाई दी गई है। गाजे-बाजे से उसकी शवयात्रा निकाली गई और तेरहवीं की रस्म में एक हजार लेागों को भोजन करवाया गया है। यहीं नहीं बल्कि 12 दिन तक गांव के ही हनुमान मंदिर में शोक सभाएं भी हुईं। 11वें दिन उज्जैन जाकर बंदर के दशकर्म की क्रिया पूरी की गई।
बीमारी की वजह से बंदर की मौत
हुआ यूं कि रतलाम जिले के गांव कोठड़ी में 14 फरवरी को बीमारी की वजह से बंदर की मौत हो गई थी। वह बंदर हनुमान मंदिर के आसपास ही रहा करता था। श्रद्धालुओं को भी उसने कभी नुकसान नहीं पहुंचाया।
बंदर से जुड़ी थी लोगों की आस्था
कुछ दिन पहले बंदर बीमार पड़ गया था तो उसका इलाज भी करवाया गया। गांव के लोगों की आस्था बंदर से जुड़ी हुई थी। भावनात्मक लगाव भी था। ऐसे में ग्रामीणों ने मिलकर तय किया कि पूरे विधि विधान से इंसानों की तरह बंदर का अंतिम संस्कार किया गया है।
12 दिन तक शोक मनाया
मीडिया से बातचीत में पंडित गोपाल दास ने बताया कि वानरराज को इंसानों की तरह विदा किया है। 12 दिन तक शोक मनाया है। 11वें दिन उज्जैन जाकर बंदर के दशकर्म की क्रिया भी पूरी की। शनिवार सुबह हनुमान मंदिर पर पगड़ी का दस्तूर किया गया। पूजा-अर्चना के बाद सहभोज किया गया।
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