MP: कटनी में तड़पते घायल की जान बचाने दौड़ा बुलडोजर, क्योंकि यहां एंबुलेंस सेवा है बीमार !
कटनी, 14 सितंबर: यूपी हो या फिर एमपी बुलडोजर की धमक बरक़रार हैं। इसके सहारे माफियाओं, अपराधियों के बुलंद हौसलों को रौंदते देखा जा रहा हैं। शादियों के सीजन में यह कुछ लोगों के लिए जेसीबी मशीन यानी बुलडोजर दूल्हा-दुल्हन का स्टेटस सिम्बल भी बनते हुए भी देखा गया। इसी बीच अब मप्र के कटनी में एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई हैं, जहां सड़क हादसे में तड़पते घायल एक व्यक्ति को बुलडोजर से अस्पताल ले जाना पड़ा। आरोप लगाए गए कि लहूलुहान घायल व्यक्ति को ले जाने आधे घंटे बाद तक एम्बुलेंस नहीं पहुंची।
सड़क हादसे का शिकार हुआ था घायल
बताया गया कि कटनी जिले गैरतलाई इलाके के रहने वाले महेश बर्मन अपनी बाइक से कही जा रहे थे, तभी एक दूसरे दुपहिया वाहन से उनकी टक्कर हो गई। जिसमें वह बुरी तरह जख्मी हो गए और शरीर से खून बहने लगा। घटना स्थल से सरकारी अस्पताल दूर था और लहूलुहान हालत में घायल को पहुंचाने कोई दूसरा वाहन भी नहीं मिल रहा था। स्थानीय लोगों ने सरकारी एम्बुलेंस को बुलाने का प्रयास किया, लेकिन आधे घंटे बाद तक मौके पर एम्बुलेंस नहीं पहुंची।
फिर बुलडोजर (JCB) से ले जाया गया अस्पताल
एम्बुलेंस के इंतजार में तड़पते महेश की, वहां पास में पुष्पेन्द्र विश्वकर्मा नाम के दुकानदार ने सुध ली। उन्होंने अपने बुलडोजर के पंजे में घायल को लिटाया और लोगों की मदद से पीड़ित को इलाज के लिए अस्पताल ले गए। ऐसे वक्त महेश के लिए पुष्पेन्द्र किसी बड़े फ़रिश्ते से कम नहीं रहे, जिन्होंने उनकी जिंदगी बचाने मदद की। चिकित्सकों ने एक पैर में फैक्चर बताया हैं और अब इलाज चल रहा है।
सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ वीडियो
बुलडोजर से घायल मरीज को अस्पताल ले जाते हुए किसी ने वीडियो भी बना लिया। जिसके बाद उसे सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। मप्र की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर अब कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। लोग हेल्थ सिस्टम को कोस रहे है। लोगों का कहना है कि यह पहला अवसर नहीं है, जब सुस्त स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खुली है। मप्र में जरूरतमंद लोगों तक एम्बुलेंस न पहुंचने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
कभी एम्बुलेंस नहीं मिलती, तो कभी अस्पताल में इलाज
मध्यप्रदेश में मरीजों को आपात स्थिति में अस्पताल पहुँचाने के लिए डायल 108 एम्बुलेंस सेवा संचालित हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के कार्यकाल में यह सुविधा शुरू हुई थी। प्रदेश के हर जिले में प्राथमिक उपचार की सुविधाओं से लैस बड़ी संख्या में ये एंबुलेंस हर संभाग में भेजी गई। गाड़ियों के संचालन प्राइवेट हाथों में हैं। कई बार वक्त पर एंबुलेंस न पहुँचने के पीछे गाड़ियों की कमी की दलील दी जाती है, तो कभी पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में समय पर इलाज नसीब नहीं होता।
सरकार ने एंबुलेंस बढ़ने का किया था दावा
बताया जाता है कि प्रदेश में इसी साल अप्रैल माह में एक आयोजन में सरकार की ओर दावा किया गया था कि डायल 108 एंबुलेंस की संख्या 1445 से बढ़कर 2052 हो गई हैं। उन्नत लाइफ सपोर्ट गाडियों की संख्या 75 से बढ़कर 167 और बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस 531 से बढ़कर 835 हो गई हैं। बाबजूद इसके सालाना जिस स्वास्थ्य सेवा पर 220 करोड़ खर्च हो रहे हैं, उसमें वक्त पर पीड़ित अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे। कई जगहों पर अभी भी लोगों को अपनी जान बचाने दूसरे साधनों से ही अस्पताल जाना पड़ रहा हैं।
ये भी पढ़े-एमपी का गालीबाज नेता, पब्ल्कि के बीच दी नॉन स्टॉप गालियां, फिर हुआ...