शिवपुरी में 41 साल बाद सोनचिरैया अभयारण्य से मिली 32 गांव को मुक्ति
41 साल बाद शिवपुरी के करैरा के सोनचिरैया अभयारण्य को समाप्त कर दिया गया है, इस खबर से इलाके के 32 गांव में जश्न का माहौल है
शिवपुरी, 27 जुलाई। शिवपुरी जिले के 32 गांव को आखिरकार सोनचिरैया अभयारण्य से 41 साल बाद मुक्ति मिल ही गई। गजट नोटिफिकेशन जारी होने के बाद करैरा इलाके के 32 गांव अभयारण्य की पाबंदियों से मुक्त हो गए हैं। इन गांव के लोग सोनचिरैया अभयारण्य से अपने गांव को मुक्त कराने के लिए लगातार प्रदर्शन कर रहे थे।
1981 में किया गया था करैरा वन्य प्राणी अभयारण्य का गठन
साल 1981 में शिवपुरी में करैरा वन्य प्राणी अभयारण्य का गठन किया गया था। यह गठन होने के बाद इस इलाके के 32 गांव सोनचिरैया अभयारण्य में शामिल हो गए थे। इस अभयारण्य में राजस्व भूमि के साथ-साथ निजी भूमि भी शामिल थी। इस वजह से 32 गांव के ग्रामीण काफी परेशान हो गए थे। ग्रामीण न तो अपनी जमीन बेच पा रहे थे न इस जमीन पर लोन ले पा रहे थे और ना ही कोई अन्य विकास कार्य इस इलाके में हो पा रहे थे।
1992 के बाद नहीं दिखी यहां कोई सोनचिरैया
जानकारी के अनुसार सोनचिरैया अभयारण्य में 1992 के बाद कोई सोन चिरैया नहीं देखी गई। इसके बाद से 32 गांव के ग्रामीण लगातार यहां से सोनचिरैया अभ्यारण को खत्म कर देने की मांग कर रहे थे। इसके लिए ग्रामीणों द्वारा लगातार आंदोलन और प्रदर्शन भी किए जा रहे थे।
फरवरी 2022 से आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार
फरवरी 2022 से किसानों के आंदोलन ने रफ्तार पकड़ ली। किसानों ने अपना आंदोलन उग्र करते हुए शिवपुरी के कलेक्टर कार्यालय का घेराव किया और प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया। इस दौरान किसानों ने अपना मुंडन भी करवाया। तकरीबन आधा सैकड़ा किसानों ने अपना मुंडन करवा कर अपना विरोध दर्ज कराया था।
गजट नोटिफिकेशन जारी करके खत्म कर दिया गया करैरा सोनचिरैया अभयारण्य
किसानों
के
लगातार
उग्र
होते
जा
रहे
आंदोलन
को
देखकर
सोनचिरैया
अभ्यारण
को
खत्म
कर
दिया
गया
है।
41
साल
बाद
मध्यप्रदेश
राजपत्र
में
वन
विभाग
की
ओर
से
गजट
नोटिफिकेशन
जारी
करके
इसे
खत्म
कर
दिया
गया
है।
अब
यहां
के
ग्रामीणों
की
भूमि
स्वतंत्र
हो
गई
है।
सोनचिरैया
अभयारण्य
के
खत्म
होने
की
जानकारी
जैसे
ही
करैरा
इलाके
के
32
गांव
के
लोगों
को
लगी,
तो
किसान
खुशी
से
नाच
उठे।
किसानों
ने
जमकर
नाच
गाया
और
खुशी
मनाई।
इतना
ही
नहीं
रोड
पर
डीजे
के
साथ
नाचते
गाते
हुए
कई
रैलियां
भी
निकाली
गई।
किसानों
की
खुशी
का
ठिकाना
नहीं
है।
किसानों
का
कहना
है
कि
अब
वे
अपनी
जमीन
बेच
सकेंगे
और
यहां
विकास
के
कार्य
भी
हो
सकेंगे,
इसके
लिए
अब
किसी
प्रकार
की
अनुमति
लेने
की
आवश्यकता
नहीं
पड़ेगी।
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