जब 2003 में काशीराम बिस्तर पर थे तो माया पर बरस रहे थे करोड़ो रुपए
लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती के राजनीतिक कार्यकाल में उनपर हमेशा से तमाम भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहें है, हाल ही में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उनके बंगलों पर निशाना साधा था। हालांकि उसवक्त मायावती ने यह कहकर शाह के सवालों का जवाब दिया था कि दलित की बेटी बंगले में रहे यह लोगों को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। लेकिन जिस तरह से मायावती पर पैसों का दुरुपयोग का आरोप लगता आया है उससे खुद माया वाकिफ हैं और उन्होंने आखिरकार इन सवालों का जवाब दिया।
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फंड से आया था पैसा
लखनऊ में काशीराम जयंती के मौके पर मायावती ने लखनऊ और दिल्ली में उनके आवास के बारे में लोगों को सफाई दी। उन्होंने कहा कि यह दोनों ही घर उन्होंने फंड के पैसों से बनाया है। उन्होंने कहा कि यह पैसा उनके समर्थकों ने दान दिया था।
घर छोटा है इसलिए सरकारी बंगले में रहती हैं माया
मायावती ने कहा कि वह सुरक्षा कारणों की वजह से इन घरों मे नहीं रहती हैं क्योंकि यह काफी छोटा है। मायावती ने कहा कि उन्हें यह दाव तब दिया गया था जब उन्हें गलत तरीके से ताज हेरिटेज कोरिडोर के मामले में 2003 में फंसाया गया था।
काशीराम बिस्तर पर थे
माया ने कहा कि उस वक्त काशीराम की तबितयत काफी खराब थी और वह बिस्तर से उठ भी नहीं सकते थे और लोगों की मेरे प्रति काफी सहानुभूति थी, जिसके चलते लोगों ने मुझे करोड़ो रुपए दान दिए थे।
समर्थकों की मांग की वजह से खरीदा था घर
अपने लिए बड़े घर खरीदे जाने के पीछे की वजह मायावती ने समर्थकों का दबाव बताया। उन्होंने कहा कि समर्थकों की वजह से ही उन्होंने यह घर खरीदे थे। उन्होंने कहा कि ये घर छोटे थे और सुरक्षा का बंदोबस्त नहीं था जिसके चलते उन्होंने लखनऊ व दिल्ली में उनके लिए आवंटित सरकारी आवास में रहना ही उचित समझा।
दलितों के उत्थान के लिए जमा है पैसा
मायावती ने समर्थकों के पैसों का हिसाब देते हुए कहा कि जो भी दान का पैसा बचा उसे बैंक में जमा कर दिया गया और उसका इस्तेमाल दलितों के उत्थान के लिए किया जा रहा है। यह वही पैसा है जिसे भाजपा और विपक्ष भ्रष्टाचार का पैसा बता रही हैं।
भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच दलित हथियार
जिस तरह से मायावती ने अपने उपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों गो दलितों के उत्थान से जोड़ा है वह विपक्षी दलों के लिए माया का नया हथियार है। ऐसे में उन्होंने साफ तौर पर यह संदेश देने की कोशिश की है अगर उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगता है तो यह आरोप दलितों के उत्थान के लिए चल रहे आंदोलन पर हमला होगा।
पार्टी के उत्थान के लिए माया का नया पैंतरा
मायावती इस बात से बेहतर तरीके से वाकिफ हैं कि उनकी पार्टी से जिस तरह से तमाम बड़े नेताओं पलायन कर रहे हैं उसने पार्टी की स्थिति को कमजोर किया है। लिहाजा इन नेताओं के जाने से कमजोर होती बसपा की स्थिति को संभालने के लिए एक बार फिर से मायावती दलित एजेंडे को आगे लेकर चलना चाहती हैं।
विपक्ष की रणनीति पर माया की नजर
मायावती पर ना सिर्फ भाजपा बल्कि सपा और कांग्रेस भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाती आई हैं। दलित वोट बैंक में ना सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस भी सेंधमारी कर रही है। भाजपा ने जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्या को प्रदेश का अध्यक्ष बनाया है तो दूसरी तरफ माया के अहम दलित चेहरे के रूप में जाने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। ऐसे में दलितों के मुद्दें को नए सिरे से धार देने के लिए मायावती उनपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को अपरोक्ष रूप से उनकी ओर वोटबैंक के तौर पर बदलने की कोशिश कर रही हैं। बहरहाल यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि प्रदेश का दलित वोट बैंक एक बार फिर से मायावती के पक्ष में वोट करता है या फिर नए विकल्प की तलाश करता है।