विकास दुबे एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस को क्लीन चिट, नहीं मिला कोई सबूत
लखनऊ, अप्रैल 21: कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे और उसके पांच साथियों की मुठभेड़ में मौत की जांच कर रहे आयोग ने उत्तर प्रदेश पुलिस को सबूतों के अभाव में क्लीन चिट दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान की अगुवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज शशिकांत अग्रवाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता की सदस्यता वाले आयोग ने आठ महीने के बाद गत सोमवार को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर 19 अगस्त को जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान की अगुआई में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी।
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आयोग के सदस्य केएल गुप्ता ने जानकारी दी कि आयोग ने सोमवार को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। इसकी एक प्रति सुप्रीम कोर्ट को भी भेजी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, जांच आयोग को पुलिस के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला है। बता दें, कानपुर शूटआउट मामले में तीन दिन में चार और आठ दिन में छह एनकाउंटर हुए। 10 जुलाई 2020 की सुबह कानपुर से 17 किलोमीटर पहले भौंती में गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर किया गया था। इससे पहले 9 जुलाई को उसके करीबी प्रभात झा का कानपुर में और बऊआ दुबे को इटावा में ढेर कर दिया गया था। 8 जुलाई को विकास दुबे के शार्प शूटर अमर दुबे का एनकाउंटर कर दिया गया। इससे पहले विकास के मामा प्रेम प्रकाश पांडे और सहयोगी अतुल दुबे का 3 जुलाई को ही एनकाउंटर हो गया था। इन एनकाउंटर पर सवाल उठाए गए थे।
याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यों की एक समिति गठित की थी। रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उन्हें यूपी पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि समाचार पत्रों और अन्य मीडिया माध्यमों में विज्ञापन दिए जाने के बावजूद पुलिस के दावों को चुनौती देने के लिए कोई भी गवाह सामने नहीं आया। इसके अलावा मीडिया से जुड़ा कोई व्यक्ति भी बयान दर्ज कराने के लिए सामने नहीं आया।
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