HC ने कोरोना वैक्सीन और स्वास्थ्य सुविधाओं के मुद्दों पर यूपी सरकार से मांगा जवाब
लखनऊ, मई 19: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में कोरोना संबंधी दवाओं और ऑक्सीजन की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने व स्वास्थ्य सुविधाओं के कथित कुप्रबंधन पर रोक लगाने के आग्रह वाली जनहित याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने सरकारी वकील को सरकार व अन्य पक्षकारों के अधिवक्ताओं को मामले में निर्देश लेकर 21 मई को पक्ष पेश करने को कहा है। जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने अधिवक्ता एचपी गुप्ता की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर यह आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि वह कोविड-19 महामारी की पिछली लहर की तरह इस बार होम क्वारंटाइन वाले संक्रमित लोगों को दवा और भोजन क्यों नहीं उपलब्ध करा रही है। बेंच ने यूपी सरकार से यह भी पूछा है कि वह पैरामेडिकल स्टाफ को ड्यूटी की अवधि के बाद ठहरने के लिए स्थान क्यों नहीं उपलब्ध करा रही है? इसके बावजूद कि उनके संक्रमित होने का खतरा और उनसे उनके परिजनों के संक्रमित होने का डर सबसे ज्यादा है।
यूपी में 'राम भरोसे' है छोटे शहरों और गांवों का हेल्थ सिस्टम- हाईकोर्ट
कोर्ट ने 18 से 44 साल आयु वर्ग के लोगों के वैक्सीनेशन के लिए कोविड की वैक्सीन कम पड़ जाने पर सरकारी वकील को इस सिलसिले में निर्देश प्राप्त करने को भी कहा है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इस मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता एचपी श्रीवास्तव को इस मुद्दे पर विस्तृत निर्देश प्राप्त करने के आदेश दिए। बता दें, इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि उत्तर प्रदेश के गांवों, छोटे कस्बों में स्वास्थ्य सुविधाएं राम भरोसे ही हैं। कोर्ट ने ये टिप्पणी मेरठ के मेडिकल कॉलेज से लापता 64 साल के बुजुर्ग संतोष कुमार के मामले में की थी। दरअसल, संतोष कुमार की अस्पताल के बाथरूम में गिरकर मौत हो गई थी। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर्स और स्टाफ ने उनकी पहचान करने के बजाय उनके शव को अज्ञात में डाल दिया था। कोर्ट ने कहा कि जब मेडिकल कॉलेज वाले मेरठ जैसे शहर का यह हाल है, तो समझा जा सकता है कि छोटे शहरों और गांवों के हालात भगवान भरोसे ही हैं।