लखनऊ के चार बच्चों ने किया "कबाड़ से अविष्कार", बना डाली दुनिया की अनोखी पॉल्यूशन फ्री कार
लखनऊ के चार छात्र जिनकी उम्र 9 से 14 साल के बीच में हैं उन्होंने कमाल कर दिया है। इन चार छात्रों ने दुनिया की पहली sustainable cars यानी प्रदूषण मुक्त कार बनाने में कामयाबी हासिल की है।
हर दिन लाखों की संख्या में सड़कों पर चलने वाले दो और चार पहिया वाहनों से निकलने वाले धुएं ने शहरी वातावरण को दमघोंटू बना दिया है। दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में तीन भारत के शहर शामिल हैं। 2025 तक अनुमान है कि यातायात से होने वाला उत्सर्जन दोगुना हो जाएगा। वहीं कारों से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को नुकसान से निज़ाद दिलाने के लिए लखनऊ के तीन छात्रों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। उन्होंने कबाड़ से अविष्कार किया है। इन छात्रों ने पॉल्यूशन फ्री कारों का मॉडल तैयार किया है।
9 से 14 साल तक की उम्र के बच्चों ने तैयार की ये कार
डस्ट फिल्ट्रेशन सिस्टम (DFS) का प्रयोग करके प्रदूषण मुक्त कार मॉडल तैयार करने वाले इन चार लड़कों की उम्र महज 9 से 14 साल के बीच में है। प्रदूषण मुक्त कार का मॉडल तैयार करने वाले लखनऊ के ये चार छात्र 11 साल के अमित मेहरोत्रा, नौ साल के आर्यव अमित मेहरोत्रा, 12 साल के गर्वित सिंह और 12 सा के श्रेयांश मेहरोत्रा है।
जल्द ही इन छात्रों की कार होगी पेटेन्ट
जल्द ही अपने डस्ट फिल्ट्रेशन सिस्टम (DFS) से तैयार की गई प्रदूषण फ्री कार के माडल को पेटेन्ट करवाने की तैयारी कर रहे इन छात्रों का दावा है कि ये दुनिया की ऐसी पहली कार है। ऐसी कार इससे पहले किसी ने नहीं बनाई है।
रोबोटिक साइंटिस्ट मिलिंग राज के अंडर में किया ये अविष्कार
हालांकि ये कार उन्होंने एंटी कोरोना ड्रोन बनाने वाले फेमस रोबोटिक साइंटिस्ट मिलिंग राज की गाइडेन्स में इन यंग साइनटिस्ट ने तीन गाडि़यों को तैयार किया है और इन्हें पेटेन्ट करवाने की तैयारी कर रहे हैं। याद रहे रोबोटिक मिलिंद राज वो ही शख्स हैं जिन्होंने कोरोना काल में एंटी कोरोना ड्रोन (Anti corona drone) तैयार किया था।
महज 1 साल की मेहतन में तैयार की है ये प्रदूषण मुक्त कार
मिलिंद
ने
बताया
ये
इन
छात्रों
की
1
साल
की
मेहतन
का
नतीजा
है।
उन्होंने
बातया
ये
कार
5
जी
रेडी
है
और
पॉल्युशन
भी
नहीं
करती
हैं।
चार
छात्रों
की
फोरएवर
नाम
से
एक
टीम
मिलिंल
ने
बताई
और
एक
साल
पहले
ये
काम
करना
शुरू
किया
और
इतनी
कम
अवधि
में
इसको
तैयार
करने
में
कामयाबी
हासिल
की
है।
मिलिंद
ने
पहली
बार
बच्चों
के
साथ
काम
किया
है।
इससे
पहले
रोबॉटिक्स
पर
बहुत
बड़े
काम
कर
चुके
हैं।
उन्नत टेक्नालॉजी का डीएफएस का किया गया है इस्तेमाल
मिलिंद राज ने बताया ये डस्ट फिल्ट्रेशन सिस्टम यानी डीएफएस हमें स्वस्थ हवा देने में मददगार हो सकती है। प्रदूषण के कारण होने वाली लंग्स की बीमार में भी कमी आएगी। लखनऊ के इन छात्रों ने इस कार में उन्नत टेक्नालॉजी का डीएफएस लगाया है। जिससे ये प्रदूषण नहीं छोड़ेगी और पर्यावरण को शुद्ध रखेगा।
पुराने सामान को प्रयोग कर बनाई है कार
लखनऊ के इन छात्रों ने जो तीन कारें तैयार की हैं वो रीयूजबल यानी बेकार पड़ी चीजों का दोबारा इस्तेमाल करके तैयार की गई हैं। दसको बनाने में रॉड, स्टील के फ्रेम समेत अन्य ऐसी ही चीजें शामिल हैं।
एक बार चार्ज करवाने पर 110 किलोमीटर तक जाएगी
छात्रों
द्वारा
बनाई
गई
ये
कार
अलग-अलग
डिजाइन
की
तैयारी
की
गई
हैं।
ये
एक
से
लेकर
तीन
सीटर
तक
है।
ये
इलेक्ट्रिक
कार
एक
बार
चार्ज
करवाने
पर
110
किलोमीटर
तक
जा
सकेगी।
इसके
अलावा
क्लासिक
और
मॉडलन
डिजाइन
से
तैयार
कि
गई
इन
गाडि़यों
में
100
वाट
इलेक्ट्रिक
ड्राइव
सिस्टम
के
लिए
बीएलडीसीएम
लगाया
गया
है।
बच्चों
के
इस
अविष्कार
के
गाइड
मिलिंद
राज
ने
बताया
कि
ये
कारें
टेक्नोलॉजी
के
बेहतरीन
उपयोग
का
उदाहरण
है।
उन्होंने
कहा
बच्चे
और
शोध
करने
वाले
इस
क्षेत्र
में
और
शोध
करने
के
लिए
प्रेरित
करेंगे।
कौन
हैं
मिलिंद
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