Fathers Day: IPS नवनीत सिकेरा ने बेहद भावनात्मक अंदाज में पिता को याद कर कही यह बात
लखनऊ, 20 जून: आज फादर्स डे मनाया जा रहा है। इस मौके पर आईपीएस नवनीत सिकेरा अपने पिता को याद कर भावुक हो गए। उन्होंने लिखा, ''जिस दिन से पिता का हाथ छूटा है, जीवन सदा के लिए कुछ सूना सा हो गया।'' बता दें, पिछले साल जनवरी में आईपीएस नवनीत सिकेरा के पिता का निधन हो गया था। इसके बाद नवनीत सिकेरा टूट गए थे, लेकिन हौसला कम नहीं होने दिया। उन्होंने लिखा, ''बचपन में उंगली पकड़कर चलना सिखाया, आज भी उन्हीं हाथों में मेरा हौसला है पापा।''
पिता से जुड़ी यादें शेयर करते रहते हैं नवनीत सिकेरा
उत्तर प्रदेश कैडर के दबंग आईपीएस नवनीत सिकेरा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। पिता से बेहद प्यार करने वाले नवनीत सिकेरा अक्सर उनसे जुड़ी यादें भी सोशल मीडिया पर साझा करते रहते हैं। पिछले साल अगस्त में मध्य प्रदेश के धार जिले की पिता-पुत्र की एक स्टोरी देखकर उन्होंने अपने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी खुद बयां की थी।
क्या थी मध्य प्रदेश के पिता-पुत्र की कहानी?
दरअसल, कोरोना महामारी के चलते पिछले साल भी लॉकडाउन लगाया था। इस दौरान बसें बंद थीं। ऐसे में मध्य प्रदेश के धार जिले में शोभाराम अपने बेटे आशीष को दसवीं की परीक्षा दिलाने के लिए रातभर साइकिल चलाते रहे। रात को गांव बयड़ीपुरा से धार तक का 105 किलोमीटर का सफर पिता-पुत्र ने साइकिल से तय किया। अगले दिन सुबह धार परीक्षा केन्द्र पर पहुंचे। पिता-पुत्र तीन पेपर के चलते तीन दिन का राशन भी अपने साथ साइकिल पर लेकर आए थे।
IPS ने लिखा- ये खबर देखी तो आंखे डबडबा गई
शोभाराम व आशीष की खबर देखने के बाद अगले दिन 19 अगस्त 2020 को आईपीएस नवनीत सिकेरा ने अपने फेसबुक पेज पर शोभाराम व आशीष की खबर की अखबार की कटिंगपोस्ट करते हुए अपनी स्टोरी भी शेयर की। उन्होंने लिखा, ''ये खबर देखी तो आंखे डबडबा गई अब से कुछ दशक पहले मेरे पिता भी मुझे मांगी हुई साईकल (यह एग्जाम दूसरे शहर में था) पर बिठा कर IIT का एंट्रेंस एग्जाम दिलाने ले गए थे। वहां पर बहुत से स्टूडेंट्स कारों से भी आये थे , उनके साथ उनके अभिभावक पूरे मनोयोग से उनकी लास्ट मिनट की तैयारी भी करा रहे थे , मैं ललचाई आंखों से उनकी नई नई किताबों (जो मैंने कभी देखी भी नहीं थी) की ओर देख रहा था और मैं सोचने लगा कि इन लड़कों के सामने मैं कहाँ टिक पाऊंगा , और एक निराशा सी मेरे मन में आने लगी।
'एक बार और मिल जाएं तो जी भर के गले लगा लूं'
''मेरे पिता ने इस बात को नोटिस कर लिया और मुझे वहां से थोड़ा दूर अलग ले गए और एक शानदार पेप टॉक (उत्साह बढ़ाने वाली बातें) दी। उन्होंने कहा कि इमारत की मजबूती उसकी नींव पर निर्भर करती है नाकि उस पर लटके झाड़ फानूस पर, जोश से भर दिया उन्होंने फिर एग्जाम दिया। परिणाम भी आया, आगरा के उस सेन्टर से मात्र 2 ही लड़के पास हुए थे जिनमें एक नाम मेरा भी था। ईश्वर से प्रार्थना है कि इन पिता पुत्र को भी इनकी मेहनत का मीठा फल दें। आज मेरे पिता नहीं है हमारे साथ पर उनकी कड़ी मेहनत का फल उनकी सिखलाई हर सीख हर पल मेरे साथ है, और हर पल यही लगता है कि एक बार और मिल जाएं तो जी भर के गले लगा लूं।''
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