बहती नदी और खारे पानी में डुबकी लगाने से कोरोना फैलने की संभावना कम- गंगा सागर मेले के आयोजन पर बंगाल सरकार
गंगा सागर मेले के आयोजन पर पश्चिम बंगाल सरकार ने हाई कोर्ट में दलील दी कि समुद्र के खारे पानी में डुबकी लगाने से कोरोना फैलने की संभावना कह है।
कोककाता, 15 जनवरी। कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा इस साल गंगा सागर मेला रद्द करने के आग्रह पर पश्चिम बंगाल सरकार ने पिछले सप्ताह दलील दी कि खारे पानी में बूंदों के संचरण (बोलने, खांसने आदि के माध्यम से संक्रमण) की संभावना कम होती है और इस वजह से राज्य सरकार 10 दिन तक चलने वाले गंगा सागर मेले को रद्द करने के पक्ष में नहीं है। 2021 के बाद यह दूसरी बार है जब पश्चिम बंगाल सरकार ने यह दलील दी है। बता दें कि कोर्ट ने मेरा रद्द करने की एक याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा था। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में कोरोना के केसों में तेजी से वृद्धि हुई है। राज्य में शुक्रवार को कोरोना के 22,546 मामले दर्ज किए गए, जिससे राज्य में कोरोना के पॉजिटिव मामले बढ़कर 1.45 लाख हो गए। वहीं शुक्रवार को राज्य में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 31.14 दर्ज किया गया।
मेले को रद्द करने के लिए दायर की गई थी जनहित याचिका
राज्य में 13 जनवरी से गंगा मेले के आयोजन की शुरुआत हो चुकी है हालांकि कोरोना के मद्देनजर मेले को टालने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई थी। पेशे से डॉक्टर अभिनंदन मंडल ने अपनी याचिका में मेले में लगने वाले जमावड़े की वजह से कोविड 19 संक्रमण का खतरा बढ़ने की आशंका जताई थी। इस मेले का आयोजन दक्षिण 24 परगना जिले के सागर में हो रहा है, जहां हुगली नदी और बंगाल की खाड़ी का संगम होता है।
यह भी पढ़ें: कोरोना से हुईं मौतों के सरकारी आंकड़े गलत बताने वाली मीडिया रिपोर्ट्स को केंद्र ने किया खारिज
सरकार
की
दलील
पर
क्या
कहके
हैं
विषाणु
विज्ञानी
सरकार
की
इस
दलील
पर
कि
खारे
पानी
और
नदी
के
तेज
बहाम
में
कोरोना
के
फैलने
की
संभावना
बेहद
कम
है,
एक
विषाणु
विज्ञानी
ने
नाम
न
छापने
की
शर्त
पर
कहा
कि
नमी,
हवा
की
गति
या
लवणता
जैसे
कारकों
की
वायरस
के
फैलने
में
कोई
भूमिका
नहीं
होती
है।
उन्होंने
कहा
कि
अगर
लोग
इकट्ठा
होंगे
तो
इसका
फैलना
स्वभाविक
है।
इस
फैलने
से
रोकने
के
लिए
पर्याप्त
दूरी
और
मास्क
पहनना
आवश्यक
है।
उन्होंने
कहा
कि
इसके
कोई
प्रमाण
नहीं
है
कि
खारे
पानी
में
कोरोना
अलग
व्यवहार
करता
है।