बृजेश पाल हत्याकांड: व्हाट्सएप वाली साक्षी ने फंसाया, देर रात बुलाया और फिर...
कानपुर। 17 जुलाई को कानपुर देहात के भोगनीपुर थाना के चौरा गांव स्थित धर्मकांटा के मैनेजर बृजेश पाल का शव का 12 दिन बाद कुएं से बरामद किया गया है। वहीं, इस हत्याकांड में पुलिस एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। दरअसल, जिस शख्स ने बृजेश का अपहरण और हत्या को अंजाम दिया, वह युवती बनकर उससे व्हाट्सएप पर चैट करता था। इसी हनीट्रैप में बृजेश को उसने फंसाया और आधी रात को मिलने बुलाया था। बाद में उसे हत्यारोपी शख्स ने शराब में नशे की गोलियां मिलाकर पिला दी और उसका अपहरण किया और फिर मार डाला।
साक्षी नाम की युवती से चैट कर रहा था बृजेश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से बृजेश एक साक्षी नाम की युवती से चैट कर रहा था। लेकिन दोनों के बीच फोन पर कभी बातचीत नहीं हुई थी। पुलिस की मानें तो साक्षी बनकर यह चैटिंग खुद आरोपी सुबोध करता था। पुलिस की जांच में पता चला कि 15 जुलाई की रात भी दोनों चैटिंग कर रहे थे। पुलिस के मुताबिक उसके ही दोस्त सुबोध ने बृजेश की हत्या कर दी थी।
कर्ज में डूबा हुआ था सुबोध
बृजेश कुमार के अपहरण कांड का खुलासा कानपुर देहात पुलिस ने मंगलवार को कर दिया। थाना भोगनीपुर के अंतर्गत एक धर्मकांटे पर ड्यूटी करने गए बृजेश पाल का नाटकीय ढंग से अपहरण हो गया था। पुलिस के मुताबिक उसके ही दोस्त सुबोध ने बृजेश की हत्या कर दी थी। वजह यह थी कि सुबोध कर्ज़ में डूबा था। उसने बृजेश की हत्या के बाद शव कुएं में फेंका। फिर कुछ घंटे बाद परिवार को बृजेश के ही मोबाइल से 20 लाख की फिरौती के लिए कॉल किया था।
साक्षी ने बृजेश को बुलाया था घर
वहीं, दूसरी तरफ पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि 15 जुलाई की रात को साक्षी (सुबोध) और बृजेश के बीच चैट हुई थी। चैट के जरिये ही साक्षी ने बृजेश को घर के बाहर बुलाया था। जहां ये थोड़ी दूर पर अपनी स्विफ्ट कार लिए खड़ा था। यहीं से उसने बृजेश को बाहर घुमाने की बात कही और अपने साथ ले गया। रास्ते में उसने उसको शराब पिलाई। उसमें उसने नशीली दवाई भी मिला दी थी। जिससे बृजेश पूरी तरह बेसुध हो गया था। करीब दो घंटे बाद उसका तार से गला घोंटकर मार दिया। पुलिस के मुताबिक आरोपी सुबोध ने खुद इस घटनाक्रम को कबूल किया है।
पुलिस को ऐसा हुआ शक
पुलिस के मुताबिक बृजेश दो मोबाइल रखता था। एक पर व्हाट्सएप चलाता था, दूसरे फोन का इस्तेमाल कॉलिंग के लिए करता था। जिस रात उसका अपहरण हुआ, घर से निकलते समय वह व्हाट्सएप वाला मोबाइल घर में ही भूल गया। पुलिस ने उसके घर से मोबाइल बरामद कर चैट रिकवर करवाया। इसके बाद एक दर्जन नंबर सर्विलांस पर लगाए गए। इसमें से साक्षी नाम से सेव नंबर वारदात की रात से बंद था। यहीं से पुलिस की शक की सुई घूम गई। पुलिस ने इस नंबर की डिटेल निकलवाई तो पता चला कि फेंक आईडी से सिम लिया गया था। सर्विलांस ने बी पार्टी की सीडीआर निकाली यानी इस नंबर से जिसे कॉल की गई थी। इसके बाद पुलिस सुबोध तक पहुंची।
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