झारखंडः कैबिनेट बैठक में हेमंत सरकार का बड़ा फैसला, बिजली समझौते से खुद को किया बाहर
Jharkhand Cabinet Meeting रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में गुरुवार को कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, जिनमें सबसे मुख्य निर्णय यह है कि झारखंड सरकार बिजली बिल भुगतान को लेकर केंद्रीय उर्जा मंत्रालय और रिजर्व बैंक के साथ त्रिपक्षीय समझौते से बाहर हट गई है। ऐसा होने के बाद अज बिजली बिला के बकाया के बदले ऊर्जा विभाग को भुगतान करने के लिए सीधे आरबीआई से राशि की कटौती नहीं हो सकेगी। बीते बुधवार को प्रदेश कैबिनेट बैठक ने सर्वसम्मति से इस मुद्दे पर समझौते से बाहर निकलने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी।
कैबिनेट के फैसले के बारे में बताते हुए ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार ने बताया कि इस फैसले के बाद सरकार पुरानी व्यवस्था के अनुसार बिजली खरीदकर भुगतान करेगी। बता दें कि पहले हुए समझौते के अनुसार तय समय पर भुगतान नहीं प्राप्त होने पर आरबीआई सीधे झारखंड के हिस्से की राशि काटकर ऊर्जा विभाग को सौंप देता ता। झारखंड सरकार को लगता है कि यह एकतरफा फैसला है और संविधान प्रदत्त लाभ से आम लोगों को वंचित होना पड़ता है।
बता दें कि राज्य सरकार के खजाने से राशि काटे लेने को सीएम हेमंत सोरेन ने बड़ी गंभीरता से लेते हुए 22 अक्टूबर को प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा था। कोरोना में प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब होने का जिक्र करते हुए राशि वापस करने का आग्रह किया था। कहा था कि 70 प्रतिशत बिजली कोयले से तैयार होती है और कोयला मंत्रालय पर झारखंड की बड़ी राशि बाकी है। ऐसे में कोयला मंत्रालय को त्रिपक्षीय समझौते में चौथा पक्ष बनाया जाए।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि मैं कटौती के निर्णय से आहत हू, व्यथित हूं। झारखंड से ज्यादा बकाया दूसरे राज्यों का है लेकिन कटौती हमारे खजाने से हुई। पीएम को पत्र लिखे जाने के बाद न ही पैसा लौटा और न ही कोई उसपर पहल हुई। पत्र में सीएम हेमंत सोरेन ने बताया कि लगभग 5514 करोड़ का बकाया तो रघुवर सरकार के वक्त का है। मेरे काल का बकाया 1313 करोड़ है, जिसमें 741 करोड़ का भुगतान कर दिया गया है।