हेमंत सोरेन का बड़ा फैसला, झारखंड में ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27% किया, 1932 के खतियान को मंजूरी
रांची, 15 सितम्बर। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य में बड़ा फैसला लेते हुए ओबीसी के लिए आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने को मंजूरी दे दी है। पिछड़ा वर्ग ही नहीं राज्य में एससी-एसटी के आरक्षण की सीमा को भी बढ़ाया गया है जिसके बाद में राज्य में एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण 77 प्रतिशत हो गया है। बुधवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में 1932 के खतियान को भी मंजूरी दी गई है।
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बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस सरकार को कोई हिला नहीं सकता है। हमारी संवेदनाएं सभी के साथ हैं।
किस
वर्ग
का
कितना
बढ़ा
आरक्षण
झारखंड
कैबिनेट
ने
बुधवार
को
कैबिनेट
में
आरक्षण
और
निवास
प्रमाण
पत्र
पर
ऐतिहासिक
निर्णय
लिया।
राज्य
में
ओबीसी
आरक्षण
अभी
तक
14
प्रतिशत
था
जिसे
बढ़ाकर
27
प्रतिशत
किए
जाने
को
मंजूरी
दी
गई
है।
इसके
साथ
ही
अनुसूचित
जाति
(एससी)
के
आरक्षण
को
10
से
बढ़ाकर
12
प्रतिशत
किया
गया
है।
वहीं
अनुसूचित
जनजाति
(एसटी)
को
मिलने
वाले
आरक्षण
की
सीमा
26
प्रतिशत
से
बढ़ाकर
28
प्रतिशत
किए
जाने
को
मंजूरी
दी
गई
है।
स्थायी
निवास
के
लिए
1932
का
खतियान
होगा
लागू
हेमंत
सरकार
ने
राज्य
में
स्थायी
निवासी
होने
के
लिए
आदिवासी
समाज
की
लंबे
समय
से
चली
आ
रही
मांग
पर
भी
मुहर
लगा
दी।
इसके
बाद
राज्य
में
स्थायी
निवासी
होने
का
पैमाना
बदल
गया
है।
अब
राज्य
में
उन्हें
स्थायी
निवासी
माना
जाएगा
जिनके
नाम
1932
के
खतियान
(भूमि
रिकॉर्ड)
में
दर्ज
होंगे।
हालांकि ऐसे लोग और परिवार जो झारखंड में 1932 के पहले से रह रहे हैं लेकिन जमीन न होने के चलते जिनके नाम खाता में दर्ज नहीं है वे अपना नाम शामिल करवाने के लिए ग्रामसभा में संपर्क कर सकते हैं। उन्हें ग्राम सभाओं से मिले रिकॉर्ड के आधार पर स्थायी निवासी माना जाएगा। यहां खास बात यह है कि राज्य में आरक्षण का लाभ केवल उन्हें ही मिलेगा जो झारखंड के स्थायी निवासी होंगे।
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