राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर वक्त ने बदला अशोक गहलोत का खेल, खड़गे के प्रस्तावक बनने के लिए लाइन में लगे गहलोत
जयपुर, 1 अक्टूबर । राजनीति में सब समय का खेल है। यहां कब कौन फर्श से अर्श पर पहुंच जाए। वक्त कब किसे अर्श से फर्श पर पहुंचा दे। यह कहना मुश्किल होता है। राजस्थान के सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के तमाम नेताओं को यह बात अच्छी तरह से समझ आ गई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुछ दिन पहले तक कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे थे। वही अशोक गहलोत मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन के दौरान उनके प्रस्तावक बनने के लिए लाइन में खड़े नजर आए।
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सरकार और संगठन से कोई पर्यवेक्षकों को रिसीव करने नहीं पहुंचा
हाल ही में 25 सितंबर को कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे बतौर पर्यवेक्षक जब जयपुर आए। तब उन्हें एयरपोर्ट पर रिसीव करने ना ही सरकार का कोई मंत्री पहुंचा और ना ही प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष। इसकी बड़ी वजह अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे होना रही। अशोक गहलोत कांग्रेसी विधायकों का बहुमत भी अपने पक्ष में बता रहे थे। गहलोत के समर्थक मंत्री और विधायक ऐसे जता रहे थे जैसे कि आलाकमान अशोक गहलोत ही हो। लेकिन वक्त की चाल ने गहलोत खेमे का सारा खेल ही उलटा कर दिया।
वक्त ने पलटी मारी तो लाइन में खड़े दिखे गहलोत
लेकिन जब वक्त ने पलटी मारी तो जिस मल्लिकार्जुन खड़गे को रिसीव करने राजस्थान का कोई नेता नहीं गया। वहीं मलिकार्जुन खड़गे जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर रहे थे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज नेता खड़गे के प्रस्तावक बनने वालों की लाइन में खड़े दिखे। गहलोत के मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी की एक गलती ने गलतफहमी का सारा खेल उलट कर दिया। नौबत विधायकों के इस्तीफे की आ गई। अशोक गहलोत जहां कांग्रेस अध्यक्ष पद हासिल करने जा रहे थे। वही इस घटनाक्रम को लेकर उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने जाकर माफी मांगनी पड़ी। कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे इस बात से प्रेरित जरूर होंगे कि 25 सितंबर को राजस्थान में पर्यवेक्षक के तौर पर उन्होंने क्या देखा, क्या घटित हुआ और कैसा महसूस किया।