Rajasthan : शहीद भाइयों की बहनों का छलका दर्द, राखी बांधने के बाद प्रतिमा से लिपटकर खूब रोईं
जयपुर, 12 अगस्त। ये बहनें खामोश थीं...। इनके चेहरे पर रक्षाबंधन पर्व की खुशी से ज्यादा गम था...। आंखों से बस आंसू बहे जा रहे थे...। ये टकटकी लगाए शहीद भाइयों की प्रतिमाओं को निहारे जा रही थीं...। इनके एक हाथ में मिठाई-रौली से सजा थाल तो दूसरे में राखी थी...।
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ये बहनें ज्यादा देर तक खुद को रोक नहीं पाईं और भाई की प्रतिमा से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगीं। रुंधे गले से जब इन बहनों ने कहा कि 'बीरा राखी तो बंधा ले' तो वहां मौजूद कोई भी शख्स अपने आंसू नहीं रोक पाया। सूरवीरों की धरती राजस्थान में रक्षाबंधन पर दिल को झकझोर देने वाली ऐसी तस्वीरें और वीडियो गांव-गांव, ढाणी-ढाणी से सामने आई हैं। खासकर उस अंचल शेखावाटी से जिसने देश को सबसे ज्यादा शहीद दिए हैं।
शहीद सुरेश कुमार नटवाडिया, कोटड़ी सिमारला, सीकर
सीकर जिले के श्रीमाधोपुर इलाके के कोटड़ी सिमारला गांव में सुशीला देवी के भाई सुरेश कुमार नटवाडिया 3 अप्रैल 2015 में मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे। सुशीला हर साल शहीद भाई की प्रतिमा को राखी बांधती हैं। 12 अगस्त को भी सुशीला हर साल की तरह शहीद स्मारक स्थल पर पहुंची। भाई की प्रतिमा को राखी बांधी।
वन इंडिया हिंदी से बाचतीत में सुशीला देवी ने कहा कि भले ही उनके भाई आज इस दुनिया में नहीं हैं। उसके लिए भाई अमर हैं और हमेशा जिंदा रहेंगे। इन्हें गर्व है कि इनके भाई सुरेश कुमार ने उन जैसे करोड़ों बहनों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। राखी बांधने के बाद सुशीला का दर्द का छलक पड़ा और ये भाई की प्रतिमा से लिपटकर रोने लगीं।
शहीद राजेश फगेड़िया, घांघू चूरू
राजस्थान के चूरू जिले के गांव घांघू निवासी राजेश फगेड़िया 28 जनवरी 2011 को सियाचिन गलेश्यिर में तैनाती के दौरान ऑपरेशन मेघदूत में शहीद हो गए। गांव घांघू के मुख्य मार्ग पर इनका शहीद स्मारक बना हुआ है। यहां हर साल रक्षाबंधन को इनकी बहन अंजू फगेड़िया पहुंचती हैं और शहीद भाई राजेश फगेड़िया की प्रतिमा को राखी बांधती है।
वहां मौजूद कोई भी शख्स आंसू नहीं रोक पाया
12 अगस्त को शहीद भाई की प्रतिमा को राखी बांधते वक्त अंजू फगेड़िया के साथ-साथ वहां मौजूद कोई भी शख्स आंसू नहीं रोक पाया। अंजू ने कहा कि उनको गर्व है कि उनके भाई ने भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राण गंवाए हैं। बता दें कि शहादत के आठ साल बाद राजस्थान सरकार गांव घांघू के सरकारी स्कूल का नाम शहीद राजेश फगेड़िया के नाम पर रखा।
शहीद गणपत राम कड़वासरा, ओसियां जोधपुर
राजस्थान के जोधपुर जिले के ओसियां इलाके क गांव खुदियाला के गणपत राम कड़वासरा 24 सितंबर 2017 को जम्मू कश्मीर में आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब देते हुए शहीद हो गए थे। गांव में इनकी प्रतिमा लगी हुई है। गुरुवार को रक्षाबंधन पर एक फोटो वायरल हुई, जिसमें एक बहन शहीद गणपत राम कड़वासरा की प्रतिमा को राखी बांध रही थी।
इस तस्वीर को वेदांत बिड़ला ने लिंक्डइन पर शेयर करते हुए लिखा कि राजस्थान में लगी ये मूर्ति शहीद गणपत राम कदवास की है, जो एक बहादुर सिपाही थे। उन्होंने जम्मू और कश्मीर में दुश्मनों से लड़ते हुए अपनी जान दे दी। शहीद भाई की प्रतिमा की कलाई पर राखी बांधते हुए और रक्षा के सार का सम्मान करते हुए देखा जा सकता है।
शहीद सुखराम बिश्नोई, गांव दाता जालोर
राजस्थान के जालोर जिले के गांव दाता निवासी सुखराम बिश्नोई ने 19 साल की उम्र में भारतीय सेना ज्वाइन की थी। जम्मू कश्मीर में 30 मई 1996 को सुखराम बिश्नोई शहीद हो गए थे। गांव दाता में शहीद सुखराम बिश्नोई स्मारक बना हुआ है। रक्षाबंधन पर उनकी बहनें शहीद स्मारक पहुंचीं और शहीद भाई की प्रतिमा को राखी बांधी। बहनों ने अपने भाई की शहादत पर गर्व किया।
शहीद गोकुल चंद यादव, सालावाली गांव, सीकर
गोकुलचंद यादव 13 अप्रैल 2016 को आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। ये मूलरूप से राजस्थान के सीकर जिले के गणेश्वर के पास गांव सालावाली के रहने वाले थे। गांव में पंचायत भवन के पास शहीद गोकुलचंद की प्रतिमा लगी हुई है। गुरुवार को रक्षाबंधन पर उनकी बहन सुनीता और कविता ने पहुंची और भाई की प्रतिमा को राखी बांधी। दोनों बहनें हर साल नाहरेड़ा से गणेश्वर उन्हें राखी बांधने के लिए आती हैं।